18 August 2008

बेइंतहा प्यार है तुमसे तुम्हारी दौलत से नही

बेइंतहा प्यार है तुमसे तुम्हारी दौलत से नही....

बेइंतहा प्यार है तुमसे तुम्हारी दौलत से नही
मौहब्बत है तुम्हारे दिल से दौलत से नही.

गर सितारा न होता अगर चाँदनी नही होती
गर लड़की न होती तो लडके आवारा न होते.

मुहब्बत के बीज बोकर गम ए फसल काटी
बाकी जिंदगी हमने इसी अफसोस में काटी.

फूल भंवरो को देखकर महक जाते है दोस्तों
सुंदर फूलो को देखकर. भंवरे बहक जाते है.

शबाबे मुहब्बत हकीकत में नशीली बहुत है
अभी तक असर है....दिल पर जो हमने पी.

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4 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

आपकी इन पाक्तिंयों ने वास्तव में हमें दीवाना कर दिया है। सच कह रहे है, आज के परिवेश में यर्थात बता रही है ये कविता।

गर सितारा न होता अगर चाँदनी नही होती
गर लड़की न होती तो लडके आवारा न होते.

बालकिशन said...

मुहब्बत के बीज बोकर गम ए फसल काटी
बाकी जिंदगी हमने इसी अफसोस में काटी.
वाह.
बहुत खूब.
अति सुंदर.

Anil Pusadkar said...

wah kyaa baaat hai,sunder

Demo Blog said...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं |


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