30 October 2008

हिन्दु आतंकवादी एक और कंलक का कोशिश

14 नवम्बर 2004 दिपावली के ठीक पहले शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी को ठीक पुजा करते समय गिरफ्तार किया गया सेकुलर के द्वारा यह किसी विश्व विजय से कम नही था जम कर खुशीयाँ मनायी गया। इस खुशी के माहौल को दुगना करने में मिडीया का भरपुर सहयोग मिला मिडीया पुलिस और खूफिया ऎजेन्सी से ज्यादा तेज निकला और डेली एक नया सबूत लाकर टी.वी समाचार के माध्यम से दिखाया जाने लगा हिन्दु साधु-संत को जम कर गालिया दिया जाने लगा सभी को हत्यारा कहा जाने लगा। लेकिन सेकुलर और मिडीया का झुठ ज्यादा दिन तक नही टिका और शकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी के खिलाफ सेकुलर और मिडीया कुछ भी नहीं साबित कर रहा था, सभी आरोप को बकवास करार दिया गया, उच्चतम न्यायालय का फैसला शकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी के पक्ष में आया उन्हे हत्या के आरोप से जमानत के द्वारा रिहा कर दिया गया।

इस दीवाली हिन्दुओ के उपर एक और कंलक लगाने का कोशिश किया जा रहा हिन्दु आतंकवादी का बैगर किसी सबूत के एक हिंदू साध्वी को मालेगांव विस्फोटों में उसकी कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के पास सबूत नही है। जिस मोटर बाइक का उपयोग विस्फोट में करने के बारे में बताया जा रहा है उस बाइक को कुछ साल पहले बेच दिया गया था। स्पेशल पुलिस रविवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह के किराए के मकान पर छापा मारा, लेकिन वहाँ से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला। मुंबई एटीएस प्रदेश में साध्वी प्रज्ञा से जुड़े लोगों की गतिविधियों की जानकारी एकत्रित कर रही है। लेकिन अभी तक पुलिस को कोई खास सफलता मिला लगता नही है। लेकिन इस मुद्दे पर काग्रेसी और उसके सहयोगी के द्वारा झुठा प्रचार सुरु कर दिया गया है । चुनाव से पहले खुफिया ऎजेन्सी और पुलिस को अपने चुनाव ऎजेन्ट के रुप में काम करवाया जा करवा दिया है। काग्रेस के नेता और उनके सहयोगी दल इसी कोशीश में लगे हैं कि किस हिन्दु संघठन को चुनाव तक हिन्दु आतंकवादी का तगमा लगा कर रखा जाये जिससे चुनाव में फायदा उठाया जा सके।

कांग्रेस सरकार इस पांच साल में इस देश को क्या दिया है। इस सरकार के दौरान सबसे ज्यादा मुस्लिम आतंकी का भयावह चेहरा हिन्दुस्तान देखा है। आंतकी को सरक्षण देने के लिये पोटा हटा दिया गया। परमाणु करार के द्वारा सरकार अपना परमाणु और रक्षा निती अमेरिका के हाथ में गिरवी रख दिया है। आखिर कौन सा चेहरा मुंह कांग्रेस उन किसानो के पास वोट मागने जायेगा जिसके परिजन आत्महत्या कर चुके हैं। हिन्दुस्तान का अर्थव्यवस्था आज जिस गति से निचे गिर रहा है उतना तेजी से शायद सचिन और धोनी ने रन भी नही बनाता है। हमारे अमेरिकन स्कालर प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी वित्त मंत्री के द्वारा लाख भरोसा और आश्वासन के बाबजुद भी अर्थव्यवस्था का गिरना बन्द नही हो रहा है अगर हालत यही रहा तो 1-2 महीना के अन्दर हिन्दुस्तान में भुखमरी सुरु हो जायेगा।

सोचने योग्य बाते हैं आखिर हिन्दु अपने देश हिन्दुस्तान में क्यों बम विस्फोट करेंगे। उन्हें ना तो किसी देवता के द्वारा जिहाद करने को कहा गया है। नही हिन्दु इस देश को दारुल हिन्दुस्तान बनाना चाहता है। हिन्दु के किसी धर्म ग्रन्थ में कही भी यैसा भी नही लिखा है कि दुसरे धर्म वालो को तलवार से सर कलम कर दो। उसके बच्चों को उसी के सामने पटक कर मार दो उसकी बहन और बेटी का बलात्कार करो। किसी हिन्दु धर्मगुरु ने मंदिर के उपर चढकर अपने भक्तों को कभी नही कहा होगा की तुम्हे अपने घर में हथियार रखना जरुरी है और हिन्दु जिहाद के नाम पर चन्दाँ इकट्ठा कर के आतंकवादीयों को सुरक्षा मुहैया करना है आतंकवादीयों को अपने घर में पनाह देना है। और उसे न तो किसी आतंकवादी देश के द्वारा छ्दम युद्ध लड़ने के लिये पैसा मिलता है। आखिर क्या कारण है कि हिन्दु अपने घर को तवाह करना चाहते हैं। कोई कारण समझ में नही आता है सिर्फ इतना ही समझ में आरहा है कि हिन्दु आतंकवाद का डर दिखा कर कुछ मुस्लिम तुस्टिकरण में लिप्त, आतंकवादियों के सहयोगी राजनिती पार्टी को चुनाव में फायदा होगा। और कोई कारण नही है इस हिन्दु आतंकवादी का।

सत्यमेव जयते के सिद्धान्त का पालन करते हुये हिन्दु इसी आशा में बैढे हैं कि जिस तरह से शकराचार्य स्वामी जयेन्द्र स्वामी को न्यायालय के द्वारा बाइज्जत बरी किया गया उसी तरह इस साध्वी प्रज्ञा सिंह भी एक दिन इज्जत के साथ जेल से रिहा होगी और तथाकथित सेकुलरिज्म का नकाव पहने, समाचार के नाम पर दलाली करने बाले मिडीया के गाल में तमाचा मारते हुये। फिर से इस देश में अपने ओजस्वी भाषण, देशभक्ती कार्य के द्वारा इस देश को परम वैभव में पहुचाने के कार्य में लग जायेगी।

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27 October 2008

दीपावली की शुभकामनाएं :एक चिंतन


दीपावली की धूमधाम भरी तैयारीयों में इस बार श्रीमती गुप्ता ने डेरों पकवान बनाए सोचा मोहल्ले में गज़ब इम्प्रेशन डाल देंगी अबके बरस बात ही बात में गुप्ता जी को ऐसा पटाया की यंत्र वत श्री गुप्ता ने हर वो सुविधा मुहैय्या कराई जो एक वैभव शाली दंपत्ति को को आत्म प्रदर्शन के लिए ज़रूरी था । इस "माडल" जैसी दिखने के लिए श्रीमती गुप्ता ने साड़ी ख़रीदी गुप्ता जी को कोई तकलीफ न हुई । घर को सजाया सवारा गया , बच्चों के लिए नए कपडे यानी दीपावली की रात पूरी सोसायटी में गुप्ता परिवार की रात होनी तय थी । चमकेंगी तो गुप्ता मैडम,घर सजेगा तो हमारी गुप्ता जी का सलोने लगेंगे तो गुप्ता जी के बच्चे , यानी ये दीवाली केवल गुप्ता जी की होगी ये तय था । समय घड़ी के काँटों पे सवार दिवाली की रात तक पहुंचा , सभी ने तय शुदा मुहूर्त पे पूजा पाठ की । उधर सारे घरों में गुप्ता जी के बच्चे प्रसाद [ आत्मप्रदर्शन] पैकेट बांटने निकल पड़े । जहाँ भी वे गए सब जगह वाह वाह के सुर सुन कर बच्चे अभिभूत थे किंतु भोले बच्चे इन परिवारों के अंतर्मन में धधकती ज्वाला को न देख सके ।
ईर्ष्या वश सुनीति ने सोचा बहुत उड़ रही है प्रोतिमा गुप्ता ....... क्यों न मैं उसके भेजे प्रसाद-बॉक्स दूसरे बॉक्स में पैक कर उसे वापस भेज दूँ .......... यही सोचा बाकी महिलाओं ने और नई पैकिंग में पकवान वापस रवाना कर दिए श्रीमती गुप्ता के घर ये कोई संगठित कोशिश यानी किसी व्हिप के तहत न होकर एक आंतरिक प्रतिक्रया थी । जो सार्व-भौमिक सी होती है। आज़कल आम है ............. कोई माने या न माने सच यही है जितनी नैगेटीविटी /कुंठा इस युग में है उतनी किसी युग में न तो थी और न ही होगी । इस युग का यही सत्य है।
{इस युग में क्रान्ति के नाम पर प्रतिक्रया वाद को क्रान्ति माना जा रहा है जो हर और हिंसा को जन्म दे रहा है }
दूसरे दिन श्रीमती गुप्ता ने जब डब्बे खोले तो उनके आँसू निकल पड़े जी में आया कि सभी से जाकर झगड़ आऐं किंतु पति से कहने लगीं :-"अजी सुनो चलो ग्वारीघाट गरीबों के साथ दिवाली मना आऐं

दीपों का त्यौहार

आया देखो आया देखो दीपों का त्यौहार,
लेकर आया है ये मस्त पटाखों का संसार.

मिलकर घरवालों के संग मनालो ये त्यौहार,
पर पटाखों से ना हो पर्यावरण पर प्रहार.

मिलने का मौसम आया, महफिलें जमालो,
और अपनी खुशियों का संसार बसालो.

बच्चे जलाएंगे फुलझाडियाँ,बड़े बाटेंगे मिठाइयाँ.
मौसम लायेगा मस्त बहार, फिजाएं में जैसे शहनाइयां.

झूमेगा सारा संसार, गाएगा हर परिवार,
अब तो होगा हर जगह, खुशियों का अम्बार...

देखो यारों देखो आया दीपों का त्यौहार,
इसके आने से देखो झूम उठा संसार.

26 October 2008

हिन्दु आतंकवादि गंदी राजनीति का गंदा खेल

मालेगांव में हुये विस्फोट के मामले में पुलिस के द्वारा हिन्दु संगठन पर लगाये गये आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो समय आने पर मालूम होगा लेकिन कुछ प्रशन है जो दिमाग में चुभ रहा है - आतंकवादी घटना में हिन्दू की गिरफ्तारी उतनी चौंकाने वाले नहीं है जितनी उसकी टाइमिंग। आखिर अभी तक साध्वी और उनके साथ गिरफ्तार लोगों के ऊपर मकोका के तहत मामला क्यों दर्ज नहीं किया गया है और यह मामला भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत ही क्यों बनाया गया है जबकि आतंकवादियों के विरुद्ध मकोका के अंतर्गत मामला बनता है। इससे स्पष्ट है कि संगठित अपराध की श्रेणी में यह मामला नहीं आता। आज एक और तथ्य सामने आया है जो प्रमाणित करता है कि मालेगाँव विस्फोट में आरडीएक्स के प्रयोग को लेकर महाराष्ट्र पुलिस और केन्द्रीय एजेंसियों के बयान विरोधाभासी हैं। महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि वह घटनास्थल पर पहले पहुँची इस कारण उसने जो नमूने एकत्र किये उसमें आरडीएक्स था तो वहीं महाराष्ट्र पुलिस यह भी कहती है कि विस्फोट के बाद नमूनों के साथ छेड्छाड हुई तो वहीं केन्द्रीय एजेंसियाँ यह मानने को कतई तैयार नहीं हैं कि इस विस्फोट में आरडीएक्स का प्रयोग हुआ उनके अनुसार इसमें उच्चस्तर का विस्फोटक प्रयोग हुआ था न कि आरडीएक्स। इसी के साथ केन्द्रीय एजेंसियों ने स्पष्ट कर दिया है कि मालेग़ाँव और नान्देड तथा कानपुर में हुए विस्फोटों में कोई समानता नहीं है। अर्थात केन्द्रीय एजेंसियाँ इस बात की जाँच करने के बाद कि देश में हिन्दू आतंकवाद का नेटवर्क है इस सम्बन्ध में कोई प्रमाण नहीं जुटा सकी हैं।
जामिया नगर इनकाउंटर में कथित सेक्युलर लोग पुलिस के सबूतों को मानने से इनकार कर रहे है जहाँ कई राउन्ड गोली चला खतरनाक हथियार मिला लेकिन मालेगांव में पुलिस के सूत्रों के हवाले से मिली खबर पर हो-हल्ला क्यों क्या हिन्दु संघटन के पकरे गये कार्यकर्ता के साथ किसी तरह का मुठभेड़ हुआ था क्या किसी तरह का खतरनाक हथियार मिला था नही सिर्फ पुलिस के द्वारा आरोप लगायें गयें है। यह अभी तक सिद्ध नही है कि बम धमाकों में इन्ही लोगों का हाथ है। अगर ये विस्फोट करते तो क्या इतने नासमझ हैं ये कि अपना मोटर बाइक का इस्तेमाल करते। 2000 का कही से साइकल भी तो खरीद सकते थे या फिर यैसा भी नही है कि मोटर पर विस्फोट करने से असर कुछ ज्यादा होता है। कुछ दिन पहले तक मालेगाव विस्फोट का सक सिमी पर था एकाएक चुनाव नजदिक आते ही हिन्दुओं के संस्था का नाम कैसे जुड गया यह बात कुछ हजम नही हो रहा है। पुलिस इस विस्फोट में R.D.X का प्रयोग का बात कह रही थी लेकिन अभी तक किसी पुलिस बाले ने बताया नही कि इनके पास R.D.X आया कहा से किसने बेचा कहा से लाया इन्होंने। मालेगांव के अगर छोड दे तो सैकडों आतंकी बम विस्फोट हुये जिसका स्पेशल पुलिस पता नही लगा पाया लेकिन चुनाव के ठिक पहले पुलिस के ये कैसे पता चल गया कि मालेगांव में विस्फोट एक महिला साध्वि का हाथ है। सरकार जिस तरह से कुछ दिन पहले से बजरंग दल, विश्व हिन्दु परिषद पर बैन लगाना चाहता था लेकिन किसी तरह के सबूत ना मिलने पर इन संस्थाओ को काग्रेस सरकार बैन नही लगा पाया कही ये निराशा में उठाया गया यह कदम तो नही है।
अगर देखा जाये तो चुनाव में उतरने के लिये सरकार में बैठे राजनितीक दल के पास जनता के सामने मुह दिखाने लायक कुछ भी नही है। महगाई आसमान कब का छु चुका है वित्त मंत्री के बार - बार आश्वासन के बावजुद महगाई उतरने का नाम नही ले रहा है। किसानों को उपजे फसल का दाम मिल नही रहा है किसान कर्ज में दबे जा रहे हैं जिसके फलस्वरुप किसान अत्महत्या कर रहें हैं। आतंकवाद के समर्थन में सत्ताधारी नेताओं के उतरने से इन दलों पर से आम जनता का भरोसा पहले डिग चुका है। एक अदना सा आतंकवादि को फांसी तक ये सरकार नही दे पाया। पोटा जैसा कानून जो आतंक का कमर लगभग हिन्दुस्तान में तोड दिया था उस पोटा को हटा कर सरकार ने इस देश में आतंकवाद को दुबारा से फलने फुलने का मैका दिया । इस देश में अवैध रुप से रहे 5 करोड से ज्यादा बाग्लादेश जो कि आतंकवाद, चोरी, अपहरण, पाकेटमारी, डकैती जैसी घटना में संलिप्तता पाया गया है वैसे अपराधी तत्व को सिर्फ वोट राजनीति के कारण इस देश में बिठा कर रखा गया है और इनका राशन कार्ड, वोटिग कार्ड बना कर सरकार अघोषित रुप से इन्हें नागरिकता प्रदान कर रही है।
आज हिन्दुस्तान का हर एक कोना जल रहा है काग्रेस प्रायोजित उत्तर भारतीयों का पिटाई जिसमें अभी तक कितनों का जान जा चुका है और सरकार ताली बजा कर मजा ले रहा है। नार्थ इस्ट में बिहार के मजदुरों का हत्या। अमरनाथ जमीन विबाद में सरकार का चेहरा बेनकाब हो गया। राम सेतु जिस से देश को एक पैसे भी फायदा नही होने बाला है उस राम सेतु को तोड़ने के लिये सरकार जिस तरह से ललायित दिख रही है उस से पता चलता है दाल में जरुर कुछ काला है। राम का अस्तित्व नही है राम मनगंठत है लेकिन मुस्लामानों को हज के लिये हजार तरह का सुविधा और सव्सिडी दे कर काग्रेस पहले से ही हिन्दु के वोट से हाथ धो चुका है।
अब क्या करें चुनाव में जाना है और जनता को मुह भी दिखाना है दोबारा सत्ता में आने का सपना भी देखना है। अब बस एक तरीका है हिन्दु आतंकवादि । हिन्दुओ को निचा दिखा कर जनता को भ्रम में डालकर हिन्दू विरोधी माहौल तैयार करके मुस्लमानों को भय दिखा कर मुस्लिम तुष्टिकरण के द्वारा समाज को अगरे और पिछडे़ में बाँट कर दोबारा सत्ता मिल सकता है।
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22 October 2008

देश तोड़ते दो नेता

आज देश किस मोड़ पर जा रहा है, आज के नेतागण देश और धर्म को चूस रहे है। महाराष्ट्र में राज ठाकरे देश को तो समाजवादी पार्टी के कुछ नेता देश और धर्म को बॉंट रहे है। आज इन नेताओं की मानसिकता बन गई है कि बन गई है कि इस देश में उसी का राज है। आज इन अर्धमियों के आगे अपना देश और सविंधान नतमस्तक  हो गया है। आखिर ये देश और देश की राजनीति को किस दिशा में ले जाना चाहते है ? 

आज जिस प्रकार महाराष्ट्र में राज ठाकरे द्वारा कुराज किया जा रहा है, वह देश बॉंटने वाला है। आज ये क्षेत्रवाद के नाम पर देश को बॉट रहे है। वह देश की संस्‍कृतिक विरासत के लिये खतरा है। अगर इसी प्रकार क्षेत्रवाद के नाम पर राष्‍ट्र को बॉंटा जायेगा तो देश का बंटाधार तो तय है। भारत को उसकी विविधा के कारण जाना जाता है। पर इस विवि‍धा वाले देश को मराठा और तमिल के नाम पर कुछ क्षेत्रिय नेता आपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे है। ये नेता क्यो भूल जाते है कि जो क्षेत्रवाद की राजनीति करते है। वे भूल जाते है कि वे जिस मराठा मनुष की बात करते है वही के मराठा मानुष भारत के अन्य राज्यों में भी रहते है। अगर उनके हितो को नुकसान पहुँचाया जायेगा तो कैसा लगेगा ? 

आज कल सपा नेताओं को भी चुनाव आते ही मुस्लित हितो का तेजी से ध्‍यान आने लगा है। जिनते आंतकवादी मिल रहे है सपा उन्हे अपना घरजमाई और दमाद बना ले रही है। अमर सिंह की तो हर आंतकवादी से रिस्‍ते दारी निकल रही है। तभी देश की रक्षा करते हुये शहीदो से ज्‍यादा सपा और उसके नेताओं को अपने घर जामईयों की ज्‍यादा याद आ रही है।

यह देश आज आत्‍मघातियों से जूझ रहा है, जो क्षण क्षण देश को तोड़ रहे है। भगवान राजठाकरे को, और अल्लाह मियॉं अमर सिंह को सद्बुद्धि दे की ये देश के बारे कुछ अच्छा सोचे और देश के विकास में सहयोग करें। इसी में सबका भला है। 

21 October 2008

जेब ढीली हो ग ई क्या ?

आने वाली है दिवाली

उसके पहले ही होगी जेबें खाली

धनतेरस पर धन जाये

एक खरीदे कंगन अगूठी

मुफ्त पायें।

बीबी की जिंद

बच्चों के कपड़े करते हैं कंगाल

हाय ये मौसम और ये त्योहार

खुश हूँ मैं भी ये दिखता है सब को

अन्दर ही अन्दर दुखता दिल है

और चुप मैं हूँ

करता हूँ मैं अब यही कामना

जाये ये त्यौहार

छूटे जेब का भार

राष्ट्रीय एकता परिषद का राजनीतिक दुरुपयोग

कांग्रेस सरकार राष्ट्रीय एकता परिषद के मंच का राजनीतिक दुरुपयोग कर रहा है। यह राष्ट्रीय एकता का ढकोसला है। विगत सप्ताह एकता परिषद की दिल्ली में हुई बैठक के एजेंडे से ही यह झलक मिल रही थी कि यह बैठक बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद को घरने के दुराग्रह के साथ आयोजित की जा रही थी क्योंकि आज देश के सामने जो सबसे गंभीर संकट है अर्थात आतंकवाद, वह इस बैठक के एजेंडे में ही नहीं था। बल्कि उड़ीसा और कर्नाटक की हिंसक घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में साम्प्रदायिकता को बैठक का केन्द्रीय विषय बनाया गया। यह स्पष्ट है कि परिषद की यह बैठक आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर साम्प्रदायिकता के नाम पर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों और भाजपा को आरोपित कर छद्म सेकुलर जमात अल्पसंख्यक समुदायों को यह संदेश देना चाहती थी कि वही उनकी हिमायती है। बजरंग दल के खिलाफ स्वर को मुखर करने के लिए समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह को परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया जबकि अमर सिंह ने आतंकवादियों के खिलाफ पुलिस मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस अधिकारी शहादत पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया था। अमर सिंह जैसे लोगों को परिषद में शामिल कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है। इस बैठक की गंभीरता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि बैठक में विशष आमंत्रित के रूप में बुलाए गए कामरेड ज्योति बसु ने स्वयं उपस्थित न होकर अपना जो संदेश भेजा वह परिषद की कार्यशैली व भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। भाजपा द्वारा आतंकवाद जैसे गंभीर विषय को बैठक के एजेंडे में शामिल करने के लिए जोर देने पर सरकार ने चरम पंथ को एजेंडे में शामिल किया क्यों कि संप्रग सरकार व उसके छद्म धर्मनिरपेक्ष घटक दल जानते हैं कि आतंकवाद पर व्यापक बहस हुई तो उन सबकी पोल खुलेगी और फिर देश की जनता जानेगी कि सोनिया पार्टी की सरकार और लालू,पासवान व मुलायम सिंह जैसे उसके सहयोगी किस तरह मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए न केवल आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने से कतरा रहे हैं बल्कि आतंकवादी समूहों के पैरोकारी कर रहे हैं।
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कितना कठिन है सबको साथ लेकर चलना


"अनूप जी"की एक लाइना देख कर लगता है की एक दूसरे से जुड़ने में कितना आनंद है । 'अनपेक्षित विवाद
को लेकर जो बबाल मचा "उस पर अनूप जी ने बस इतना कहा लिखते रहिए !" वास्तव में लिखने की धारा में कमी हो उनका उद्द्येश्य है इसके पीछे । इसमें बुराई क्या है अगर बुराई है तो "इनके"कार्यो में रचनात्मकता की चेतना के अभाव को देखा जा सकता है । राज ठाकरे जैसे व्यक्तियों को कितना भी राज़ ठाकरे जी "सादर-अभिवादन"">समझाया जाए हजूर के कानों में जूँ भी न रेंगेगी तो ये भी जान लीजिए हजूर "जिंदगी "से हिसाब मांगती रहेगी कल की घड़ी तब आप भौंचक रह जाएंगे और तब आपके आंसू निकल आएँगे ये तय है। ये हम नहीं लोगों का कहना है जिन को आप क्षेत्र,भाषा,धर्म,प्रांत,के नाम पर तकसीम कर रहें हैं । "वशीकरण, सम्मोहन व आकर्षण हेतु “' किसी का या "मन्त्र"-का उपयोग करिए । "ताना-बाना"बिनतीं, विघुलता का स्वागत
विघुलता जी एक अच्छी साहित्य कार होने के साथ साथ पत्रकारिता से भी सम्बद्ध हैं तथा सभी ब्लॉगर जो आज की चर्चा में शामिल हैं उनका हार्दिक सम्मान जिनके चिट्ठे छूट गए उनसे क्षमा याचना के साथ
आपका स्नेह एवं कभी कभार कोप भाजन
गिरीश बिल्लोरे मुकुल

18 October 2008

आतंकवादियों को मारो मत भारतरत्न का अर्वाड दो

आज हिन्दुस्तान में सत्ताधारी नेता बाटला हाउस में मारे गये आतंकवादियों के पझ में खडे़ हैं और जिस तरह से ब्यानबाजी कर रहें है लगता है पुलिस ने आतंकवादियों को मार कर कोई गुनाह किया हो। आमिताभ बच्चन के पिछलग्गु नेता अमर सिंह इस मामले में पुलिस बालों पर पहले अगुली उठा चुके हैं और उनका केस भी लड़ने को तौयार हैं आज सत्ता पक्ष के नेता इस होड़ में उलझें हैं कि कौन कितना ज्यादा आतंकवादियों का हिमायती है। काग्रेंस कुछ के नेता प्रधानमंत्री से मिल कर बाटला हाउस में मारे गये आतंकवादियों के मारे जाने पर पुलिस के कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगाने गये थे। वैसे पुलिस को क्लिनचीट सुरक्षा सलाहकार नारायणन दे चुके हैं। वैसे आजकल आतंकवादियों के सर्मथक नेताओ का लिस्ट कुछ ज्यादा बडा़ होता जा रहा है सबसे पहले बाटला हाउस मामलें मे अर्जुन सिंह ने आतंकियों के केस लड़ने का मनसा जाहिर किया था। तो रामविलास पासवान जो हमेशा से ओसामा बिन लादेन के हमसक्ल को साथ में लेकर चलते हैं क्यों पीछे रहते लगे हाथ उसने भी ब्यान जारी करके आतंकियों के साथ गलवहिया डालना सुरु किया फिर क्या था लालु प्रसाद कहा पीछे रहने बाले थे लगे हाथ उन्होंने भी अपनी देशभक्ति का पिटारा खोल कर रख दिया।
आखीर कब तक मुस्लिम तुस्टीकरण का खेल इस देश में चलता रहेंगा। आखिर कब तक इस देश में अल्पसंख्यक असुरक्षा के नाम पर दबाब डाल कर अपना उल्लु साधते रहेगा। हिन्दुस्तान ऎसा देश है जहा के अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा सुरक्षीत है। पुरे विश्व में 57 मुस्लिम देश है जो किसी तरह का हज में सब्सिडी नही देता है लेकिन हिन्दुस्तान में मुस्लमानों को सब्सिडी दिया जाता है मुस्लमानों सभी हवाई अड्डा पर सिर्फ साल में कुछ दिन खुलने बाला पाँच सितारा हज हाउस बनाकर दिया गया। आतंकवाद का नर्सरी को सरकार के द्वारा पैसा मुहया किया जाता है मस्जिदों के मरम्मत के नाम पर करोडों खर्च करती है सरकार क्या ये सब सुविधा हिन्दुओ को मिलता है आज हिन्दुस्तान में हिन्दुओ के मुकाबले ज्यादा सुविधा दी जा रही है मुस्लिमानों को। हिन्दुस्तान के मुस्लिम बहुल राज्य में हिन्दु मुख्यमंत्री नही बन सकता है मुस्लिम उत्पात मचा कर रख देंगे। जैसा कि अफजल को फांसी के मामले में उन्होंने पहले सभी को चेता दिया है अगर अफजल को फांसी दिया गया तो देश में दंगा भरक जायेगा। लेकिन हिन्दु बहुल राज्य में मुस्लिम मुख्यमंत्री बने है और आगे भी बनते रहेंगे। हिन्दुस्तान के कुछ नेता के नासमझी के कारण हिन्दुस्तान अपना 30% जमीन का टुकरा अल्पसंख्यक को अलग देश के लिये दे दिया लेकिन हिन्दु अयोध्या में एक मन्दिर बनाने के लिया अल्पसंख्यक के आगे निहोरा कर कर रहा है। गोधरा में मारे गये हिन्दु के बाद भडके दंगा का नासुर आज भी सभी को जला रहा है सेकुलर इसे हिन्दु के लिये सबसे बडा़ कलंक बना दिया हो लेकिन मोपला, कलकत्ता, भागलपुर जैसे हजारों दंगा हुआ जिसमें मारे गये हिन्दुओं पर आज कोई आँसु बहाने बाला नही है। जम्मु काश्मिर से 4 लाख से ज्यादा हिन्दुओं को लात मार कर निकाल बाहर कर दिया गया किसी के आँख में आसु नही आया कोई नेता, सेकुलर एक शब्द इस मामले में नही बोला। आज पाकिस्तान और बाग्लादेश में हिन्दुओ की हालत जानवरों से भी बत्तर है उन्के 12 साल की लडकियों को घर से उठा कर बालात्कार किया जा रहा है जबरदस्ती शादी किया जा रहा है किसी ने नही बोला लेकिन दो आतंकवादियों के मरने पर इतना हायतैबा मचा रखे है जैसे इनका अपना सगा बाला मारा गया हो। मुलायम सिंह यादव और आमिताभ बच्चन के पिछल्लगु अमर सिंह अगर चिल्लम पो मचाते हैं तो समझ में आता है क्यों कि एक आतंकवादि तो उन्ही के पार्टी के जिला अध्यक्ष का बेटा था।
अब समय आ गया है यैसे नेताओ से पुछने का कब तक ये अल्पसंख्यक असुरक्षा के नाम पर ब्लैकमेलिग का खेल खेला जायेगा और देश को गर्त में ढकेलने का काम ये नेता करते रहेंगे। हिन्दुस्तान के अल्पसंख्यक से ज्यादा किसी और देश का अल्पसंख्यक सुरक्षीत नही है उन्हें जितना सहुलियत हिन्दुस्तान में मिलता है उतना और किसी देश में नही मिलता है लेकिन फिर ये क्यों दिखाने का कोशीश किया जाता है कि हिन्दुस्तान में अल्पसंख्यक असुरक्षा है। उन्हें किसी भी तरहा का सुविधा यहा नही मिल रहा है। अल्पसंख्यक को अगर ऎसा लगता है तो उन्हें किसी ने रोका नही है अपना रास्ता नापे और कही जाकर सुरक्षीत ठीकाना का खोज लें और हमें शान्ती से रहने दें।

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15 October 2008

गंदे हाथ धोया क्या ?

आज हैप्पी वास डे है । आपको जैसे मालूम नहीं था वैसे मुझे भी नहीं पता था अगर मेरा दोस्त ना फंछता कि " आज तुमने हाथ धोया तो मैंने सोचा क्या फालतू सवाल है ? तब बताया उसने ये बात । पता नहीं भैया कौन - २ से दिवस मनाने होगें । देखिये कहीं ऐसा न हो कि जीते जी खुद के लिए मरण दिवस का भी प्रचलन हो सकता है । आज हाथ तो धो ही लेना । बाकी का काम कीटाणु करेंगे ।

14 October 2008

I’m Tarun Joshi basically from a small town of Pali district in Rajasthan state called as Rani.
I’m a 20year old boy who wants to do something new & passionate about doing some extraordinary works. In connection of same I just want to perform an all Rajasthan bicycle tour with the aim of mobilizing & motivate the public for water & soil conservation & Child rights with the title of stop child labor & move them into the schools. I’ll visit every district includes it’s headquarter.

My route chart is as followed.
Proposed Bicycle tour
(Bus)
Rani → PALI → Sirohi → Jalore → Badmer → Jaisalmer → Jodhpur
(START) ↓
Nagaur

Sikar → JAIPUR Ajmer
↑ (FINISH) start from 14th Nov. 2008 ↓
Churu Tonk
↑ ↓
Bikaner Bhilwara
↑ ↓
Shri Ganga Nagar RajSammand
↑ ↓
Hanuman Garh Uaipur
↑ ↓
Jhunjhanu Dungar Pur
↑ ↓
Alwar Banswara
↑ ↓
Bharat Pur Chittorgarh
↑ ↓
Dhol Pur Jhalawar
↑ ↓
Karauli ← Dausa ← Sawai Madhopur ← Bundi ← Baran ← Kota


My requirements are following
1. Laptop
2. Projector
3. Digital Photo Camera
4. Digital Movie Camera (optional)
5. Transparencies/CD’s/ DVD’s (regarding the issue)

BUDGET
CEREMONEY స్టార్ట్ 10000
LAPTOP 38000
PROJECTOR 20000
DIGITAL PHOTO CAMERA 10000 Important
DIGITAL MOVIE CAMERA 25000
TRANSPERENCIES 5000
TRANSPORTATION (CYCLE WITH GEAR) 15000 Important
FILMS RELATED TO TOPICS 5000
DAILY ALLOWNCE (3 MONTHS*500 DAILY) 45000 Important
CEREMONEY FINISH 20000

TOTAL 193000
TENTATIVE AMOUNT (MINIMUM) 170000
TENTATIVE AMOUNT (MAXIMUM) 200000
IMPORTANT ITEMS + HAND MIC WITH BATTERIES+ Misc. (70000+10000+15000) 100000 With a low budget

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Tarun Joshi “NARAD” (Writer & Poet)
Behind Panchayat Samiti,
Kenpura Road,
RANI (PALI) 306115
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13 October 2008

स्वामी विवेकानंद जी कहते है -

"तुम्‍हारे भविष्‍य को निश्चित करने का यही समय है। इस लिये मै कहता हूँ, कि तभी इस भरी जवानी मे, नये जोश के जमाने मे ही काम करों। काम करने का यही समय है इसलिये अभी अपने भाग्‍य का निर्णय कर लो और काम में जुट जाओं क्‍योकिं जो फूल बिल्‍कुल ताजा है, जो हाथों से मसला भी नही गया और जिसे सूँघा ही नहीं गया, वही भगवान के चरणों मे चढ़ाया जाता है, उसे ही भगवान ग्रहण करते हैं। इसलिये आओं ! एक महान ध्‍येय कों अपनाएँ और उसके लिये अपना जीवन समर्पित कर दें "

11 October 2008

मुश्किल है तो बस शरूआत करना

किसी कार्य की शुरूआत करना बहुत ही कठिन होता है । मन में तरह के सवाल उठते हैं , नयापन से कुछ घबराहट भी होती है । हम अपने नये कार्य को लेकर चिंतित भी रहते है । जहन में ये भी बात रहती है कि जो मैं कर रहा हूँ वह कैसा ? सफलता मिलेगी या नहीं याफिर मैं इसे पूरा भी कर पाऊंगा कि नहीं। इसी जद्दोजहद के बीच इंसान का आत्मविश्वास और कार्य के प्रति लगन की भावना उसे नये कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है । बदलाव इंसान की जरूरत है पर बदलाव का क्रमिक रूप से होना बहुत ही जरूरी है एकाएक परिवर्तन को हम सही से अपना नहीं पाते है याफिर मुश्किल से सहेज पाते है ।

इस लिये जरूरत है तो बस एक कदम आगे बढ़ाने की । रास्ते खुद ब खुद बनते जायेगें ।

10 October 2008

लेस्बियन यानी "समलैंगिकता " बनाम भारत ? ये संबध भारतीय संस्कृति के लिए खतरा

विश्व पटल पर कोई आवाज अगर बुलंद होती है तो इसका असर दुनिया के कर कोने पर होता हैं। हाल में ही भारत सहित विश्व के कई देशों में लेस्बियन यानी " समलैंगिता" का हो हल्ला रहा । दिल्ली , मुम्बई सहित विश्व के कई शहरों में कदम ताल हुआ। भारत में भी लोगों ने अपनी बुलंद आवाज में समलैंगिकता को सही ठहराते हुए इसे संवैधानिक दर्जा देने की हिमाकत की।भारत में समलौंगिक सम्बंध को जुर्म करार दिया गया है । दो एक ही सेक्स के लोगों के बीच का संबध कानूनी तौर गलत होगा। और इस तरह के कार्य पर कानूनी दाव पेंच में फंस जायेगें। पर इसके ठीक विपरीत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अंबुमणि रामदौस ने समलैगिकता को उचित ठहराया है । पर कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय की अर्जी को खारिज कर दिया । और रामदौस के बयान को भी अंदेखा कर दिया । साथ ही साथ गृह मंत्रालय भी लेस्बियन संबध को नकार दिया है । जबकि राम दास का कहना है इस तरह के बालिग जोड़ों के खिलाफ धारा ३७७ के तहत मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। रामदास ने कहा कि लेस्बियन संबध से एडस जैसे रोगों मे कमी आयेगी । पर क्या भारत में समलैगिकता को स्वीकार करना उचित होगा ? मेरे अनुसार तो नहीं ? आप की क्या राय है ? जरूर बतायें?ब्रिटेन में एक महिला मंत्री ने अपनी समलैंगिक पार्टनर से शादी रचा ली । कोषागार मंत्री ऐंजला ईगल हाउस आफ कामंस की इकलौती घोषित सदस्य है।पर वहां की सभ्यता अलग है हमारे देश से। अब भारत में इस तरह के संबध को मंजूरी कब मिलेगी। पर यह समलैगिक संबध हमारे समाज के रीति रिवाज के बिल्कुल परे हैं । यदि भारत में लेस्बियन संबधों को मंजूरी मिल जाती है। तो हमारे समाज में उथल पुथल सम्भव है ।भारत विश्व के समस्त देशों के अलग हैं। यहां की पंरम्पराये, संस्कृति और रीति रिवाज विश्व के अलग करती है । समलैंगिक क्रांति को भारत अगर स्वीकृति देता है तो यह हमारे समाज में इसका बुरा असर पड़ सकता है । वैसे मेरे अनुसार लेस्बियन संबध भारत जैसे देश के लिए नहीं है । हमारे युवाओं के बेहतरी के लिए समलैंगिकता एक खतरा मात्र है और कुछ नहीं ।

कन्या पूजन -सामाजिक समरसता का अनूठा प्रयोग

दुर्गाष्टमी के दिन कुंवारी कन्याओं के पूजन की परंपरा है जिसमें ब्राह्मण कन्याओं (यदि उपलब्ध हों तो)अथवा अपने आस पास परिचित परिवारों की कन्याओं को पूजन कर ,चरण प्रक्षालन कर भोजन करवाकर दक्षिणा देते हैंदुर्गाष्टमी के अवसर पर सीकर मैं संघ के कार्यकर्ताओं ने एक अनूठा प्रयोग किया .जिसमं सेवा बस्तियों(संघ के कार्यकर्ता तथाकथित दलित या हरिजन बस्ती की जगह सेवा बस्ती शब्द ही काम लेते हैं बस्ती जहां सेवा की आवश्यता है) की कन्याओं को प्रमुख कार्यकर्ताओं के घर कन्या पूजन के लिए आमंत्रित किया.जिसमें मेहतर समाज,गंवारिया ,नट आदि विभिन्न समाजों की करीब 130 कन्याओं का कन्या पूजन किया गया.कार्यक्रम का हेतु ये था कि संघ और सेवा भारती(जिस संस्था से मैं जुङा हूं) मैं काम करते करते कार्यकर्ता बंधुओं के मन मैं छुआछुत जैसी कलुषित सोच खुरच खुरच कर दूर हो जाती है पर कहीं हमारा परिवार हिंदवः सौदराः सर्वे न हिंदु पतितो भवेत् से दूर तो नहीं जा रहा क्या यह संस्कार हमारे घरों की माताओं बहनों तक पहुंचा या नहीं ...या के हिंदु समाज की समरसता की बातें मात्र खाना पूर्ति ही तो नहीं हो रही है ...तो ये सब बातें कार्यकर्ता के घर परिवार तक पहुंचे और धीरे धीरे इन सब चीजों को हम वृहद् रूप मैं कर पायेंगे तो सामाजिक समरसता की बात महात्मा गांधी डा हेडगेवार और श्री मा स गोलवलकर ने सोची थी हम उनको साकार कर पायेंगे.


कार्यक्रम की काफी कुछ जिम्मेदारी मेरी थी क्यों कि ऐसी कुछ बस्तियों मैं मेरा सहज आना जाना है जब बस्ति के प्रमुख युवा लोगों से बात हुइ तो उन्होंनेअपनी स्वीकृति दे दी....पर मेरी आंखों से आंसु निकल पङे जब उनमें से एक लङके ने कहा कि अब तक तुम कहां थे...क्या हम तुम लोगों से कम हिंदु हैं क्या..... खैर सब बच्चियों को नियत समय पर बस मैं लेकर निश्चित घरों मै छोङा और बहां सब कार्यक्रम संपन्न कर वापिस बस्ती मैं छोङा और तब तक हम सब की सांसे अटकी हुई थी कि कहीं कुछ गलत हो गया तो ...........क्यों कि सैंकङों वर्षों की छुआछूत जैसीकुरितियों को आप पलभऱ मैं साफ नहीं कर सकते.


खैर पूरा कार्यक्रम जैसा हम चाहते थे वैसा संपन्न हुआ...शाम को बस्ती मैं दुर्गा पूजा के कार्यक्रम मैं उन्होने फोन कर के मुझे बुलाया मैं जैसे हमेशा जाताहूं बैसे ही पहुंच गया ..पर वही हुआ जो मैं नहीं चाहता था....बस्ती मैं मेरे स्वागत की पूरी तैयारियां थी. माला...भाषण ...अतिथि के द्वारा दो शब्द...कुल मिलाकर सब बङे खुश थे मैं भी और वे भी......


मुझे यूं लगा जैसे बहुत दिनों बाद मैं घर लौटा हूं



09 October 2008

चर्च के कपट सेवा के नाम पर ठगी

ईसाइ मिशनरी इस देश में सेवा के नाम पर ईसाइय द्वारा यहा के भोले-भाले जनता का देशान्तरण कर रही है इस कार्य में तथा कथित बुद्धीजिवी वर्ग का खुला सर्मथन प्राप्त है। बुद्धीजिवी वर्ग इस ओर से आख बन्द किये हुये हैं या बुद्धीजिवी वर्ग को पता नही है कि चर्च के नाम पर इस देश में तरह- तरह के धंधे भी चल रहे हैं। चर्च धर्मान्तरण करने के लिये किसी भी हद तक जा सकता है। चर्च के पादरी अब अपने नाम के पीछे स्वामी शब्द का प्रयोग करते हैं जिससे भोले जनता उन्हें भी किसी हिन्दु साधु या धर्म गुरु समझे और वैसे जनता को आसानी से देशान्तरण के खेल में शामिल किया जा सकता है। झारखण्ड के देवघर में एक चर्च है बाहरी आवरण से किसी भी तरह से चर्च नजर नही आता है और नाम भी शिव जी के नाम पर आश्रम का नाम रखा है लेकिन अगर शिव जी के नाम से अगर कोइ अन्दर चला जाये तो अन्दर घात लगा कर बैढें चर्च के पादरी यैसा झप्पट्टा मारेंगे कि कुछ दिन बाद आप शिव जी को भुल कर कुछ दिन में शिव जी को गाली देना शुरु कर देता है यैसे आश्रम कि सख्या इस देश में कम नही है। वैसे ये सिर्फ आश्रम का नाम ही नही बदलतें है। ये अपना उजला चोला उतार कर गेरुआ वस्त्र और तुलसी माला और रुद्राक्ष भी धारण कर के अपने आपको हिन्दु धर्मगुरु दिखाने का कोशीश करते है। प्रयागराज इलाहाबाद में यैसा एक चर्च है और उसका पादरी जो गेरुआ चोला और रुद्राक्ष पहन कर नंगा नाच करता है आप कभी भी जा कर इस बहुरुपिये से मिल सकतें है जो हिन्दु धर्म का सहारा ले कर हिन्दुस्थान को कमजोर करने में जुटा है। मिशनरी के पादरी सिर्फ कपडा़ बदल कर ही धंधा नही करता है ये दिल्ली जैसे माहानगर में सुन्दर और सेक्सी लड़किया भी मैदान में उतार रखा है जो काँलेज के और जवान लड़को को अपने मोहपास में फँसाती है और अपने रुप सैन्दर्य या फिर जरुरी परा तो सेक्स के द्वारा भी ये आपको फसाँने का कोशीश करेंती हैं। यैसी लडंकिया आपको बस, मेट्रो या किसी भी पब्लिक बाले जगह में अपने ग्राहक तालास करती दिख जाती है जो लड़कों को समय आ फिर किसी कालेज का पता पुछने के बाद ये इतनी ज्यादा घुल मिल जाती हैं कि ये 1-2 दिन के अन्दर सिनेमा हाल, माल या पार्क में डेटिग के रुप में मिलतें है ये डेटिग को ये कामोतेजक बनाती है जिससे की नैजवान लड़का कही भी चलने को तैयार हो जाये। फिर 1 सप्ताह उस लड़के सामने धर्म बदलने का प्रस्ताव रख कर फिर ये किसी नये को खोजने के लिये निकल पडती है।
मिशनरी के द्वारा धर्मान्तरण इस देश पर कितना भारी पर रहा है हमें अब अपने आखों से देख लेना चाहिये। नागालैण्ड में मिशनरी ने जब वहा कि जनता का अच्छी तरह धर्मान्तरण कर दिया तो ग्रेटर नागालैण्ड नामक अलग देश का मांग किया जा रहा है और इसके लिये चर्च ने हथियार के साथ तैयारी कर रखी है।
चर्च के पादरी चर्च के परदे के पिछे क्या क्या गुल खिलाते है हम सभी को पता है जैसे नावालिक लडकियों का यौन शोषण, पादरी चर्च में आने बाली लडकियों के साथ अवैध यौन सबन्ध बनाते रहतें है ये बात हम सभी को पता है। लेकिन सेवा के नाम पर चर्च भेले भाले गरीब जो अपने परिवार के रोटी के लिये जी तोड़ मेहनत करके अपने परिवार और बच्चो का पेट पालतें है और उसी पैसा में से कुछ पैसा बचा कर अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिये बचाता है जिस से अपने बच्चों को पढा़ लिखा करे अच्छा इन्सान बना सके यैसे गरीब आदिवासियों के पैसे पर भी इन मिशनरी का नजर पर गया है अभी कुछ दिन पहले रांची के पास दुमका का घटना है गुड सेफर्ड नामक मिशनरी जो आदिवासियों के बीच में नि:शुल्क शिक्षा, रहने के लिये आवास, मुफ्त पुस्तक और भोजन के नाम पर आदिवासी का पंजीयन कराने के नाम पंजीयन शुल्क 1750 रुपये आदिवासियों से लिया गया और जब पंजीयन के द्वारा जब अच्छा खासा पैसा इक्कठा हो गया तो मौका देख कर गुड सेफर्ड मिशनरी आदिवासियों का पैसा ले कर रफुचक्कर हो गया। जब यहा के गरीब परिवार के द्वरा मिशनरी का खोज खबर लिया गया तो पता चला कि उस क्षेत्र के हजारों आदमी का पैसा ले कर गुड सेफर्ड मिशनरी भाग गया। पुलिस ने मिशनरी के पादरी जोसेफ बोदरा के खिलाफ प्राथमिकता दर्ज कर लिया है।

07 October 2008

मजहब उन्हें सिखाता है आपस में बैर करना

उडी़सा में जन्माष्टमी से ठीक पहले स्वामी श्री लक्ष्मणान्द सरस्वती को ईसाई मिशनरियों के सर्मथकों ने मौत के घाट दिया मसीही धर्मावलम्बी आजादी के पहले गरीब हिन्दुओं का धर्मान्तरण कर रही है। कुछ दिन पहले तक ईसाई मिशनरि का कहना था कि वो धर्मान्तरण नही करते हैं । लेकिन पर्दे के पिछे धर्मान्तरण का गंदा खेल चलता रहता था लेकिन अब हालात खुछ बदल गयें है देश के दलालों का साथ मिलने से अब ईसाई मिशनरियों अब खुल कर कहती है कि हिन्दु का धर्मान्तरण ईसाई मिशनरि करती है और तर्क के अनुसार इसे धर्मान्तरण नही हिन्दुओं का ह्रदय परिवर्तन कहती है। हृदय-परिवर्तन कर रहे हैं, उन्हें बेहतर इन्सान बना रहे हैं। लेकिन क्या ईसाई धर्म ग्रहण कर लेने के बाद क्या कोई आदमी इन्सान बन सकता है क्या बाइबिल में इन्सान बनाने बाले श्लोक हैं जो वेद में है|

बाइबिल यूहन्ना 6:53 में लिखा है

यीशू ने उनसे कहा: 
मैं तुमसे सच सच कहता हूं जब तक तुम मनुष्य मे पुत्र का मांस न खाओ,
और उसका लहू न पीओ, तुममें जीवन ही नही है।

Then Jesus said unto them, Verily, verily, 
I say unto you, Except ye eat the flesh of 
the Son of man, and drink his blood, 
ye have no life in you.

इन्सान को मार कर उसको खाना लहू पीना ये ईसाई धर्म है|

यशायाह 13:15/16
(जो यहोबा को न माने) वह तलवार से मार डाला जाएगा। 
उनके बाल बच्चे उनके सामने पटक दिये जाएंगे और
घर लूटे जाएंगे उनकी स्त्रियों से बलात्कार किया जाएगा।
किसी का घर लुटना स्त्रियों से बलात्कार करने को धर्म कहते हैं।

मत्ती 10 :34 से 38 तक में लिखा है।
 मैं धरती पर एक आग भड़काने आया हूँ। मेरी कितनी इच्छा है कि वह कदाचित् अभी तक भड़क उठती। मेरे पास एक बपतिस्मा है जो मुझे लेना है जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, मैं कितना व्याकुल हूँ।  तुम क्या सोचते हो मैं इस धरती पर शान्ति स्थापित करने के लिये आया हूँ? नहीं, मैं तुम्हें बताता हूँ, मैं तो विभाजन करने आया हूँ। 
क्योंकि अब से आगे एक घर के पाँच आदसी एक दूसरे के विरुद्ध बट जायेंगे। तीन दो के विरोध में और दो तीन के विरोध में हो जायेंगे। 53 पिता पुत्र के विरोध में, और पुत्र पिता के विरोध में, माँ बेटी के विरोध में, और बेटी माँ के विरोध में, सास, बहू के विरोध में और बहू सास के विरोध में हो जायेंगी।"

क्या ये धर्म है और इसे पालन कर क्या मनुष्य इंसान बन सकता है शायद कभी नही ठीक इसके विपरीत हिन्दु धर्मसर्वे भवन्तु सुखिन्: । वसु धैवकुटुम्बकम पराई स्त्री को माता, बहन, बेटी समझना। आज इन्सानियत कही बचा है तो सिर्फ हिन्दु धर्म में जो ना तो जिहाद का बात करता है और धर्मान्तरण का| आखिर कन्धमाल की वस्तुस्थिती के बारे में हमें जानना चाहिये। कंधमाल जिला में ज्यादा जनसंख्या कंध जनजाति और दलित जाति के लोग रहते हैं। ईसाई मिशनरियों का नजर इन पर 1827 में परा और ईसाई मिशनरियों सबसे पहले कंधमाल क घुमसर में डेरा डाला। धीरे - धीरे ईसाई मिशनरियों समाजिक सुधार कार्य के आड़ में दलित जाति के गरीबों का धर्मान्तरण किया। 2001 के जनगणना के अनुसार कंधमाल जिले के कुल आबादी 6,47,000 है जिसमें से 1,20,2000 से ज्यादा धर्मांतरित ईसाई हैं। 1894 में दिगी में सबसे पहला चर्च बना और आज 1014 से ज्यादा चर्च हैं जो धर्मांन्तरण के कार्य में लगे हैं। 
                                                                              सरकार को चाहिये वोट नीति को छोड़ देश हित में ईसाई मिशनरियों के अनैतिक कार्य को जल्दी से जल्दी बन्द कराये। स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती के हत्यारों को सजा दिलवाये। और ईसाई मिशनरियों के अनैतिक गतीविधीयों पर लगाम लगा कर देशहित में कुछ काम करे।

06 October 2008

NEED OF A NEW REVOLUTION

WE NEED A NEW REVOLUTION
Composition 25-9-2008 Translation on 1-10-2008

We have to make similarity between male & female. We don’t have any right to make difference of rights & social status only due to physical changes. Hence the women are kept in homes like the bird in the cage or an animal tied from a lead. Her condition is like righless she isn’t getting her human rights life education, self respect etc...
Now today more than one & a half million persons are pursuing their life in laziness & enjoyment without any hardworking. We are wasting our precious time & money in the name of pregilionms like temple, mosque, and montessories, if these all assets are used properly so we can improve our social,mental,moral & emotional status to a sound position, by this we can get our proud of ancient time easily. If our religious leaders which are known as guru to us who are running their business & propaganda of worship & prayer. If they left all this drama & come on a stage to make our country organized & able for evey work so we can see a great result of this campaign by these results everybody will be surprised. These words are take place for every stage. It doesn’t matter that this is a personnel matter of a matter which belongs to the family or a society, national or international matter.
Imagine that if all countries of this world make an organization & treat the whole world as one family. All countries announced cease fire on borders, war is abandon. Terrorism & home interruption get closed. All the persons who are involve in the defense services, all the amount which is wasted by our governments on the development & modernization of the defentions in the world. The lot of money spent in purchasing, manufacturing, mainainance of weapons & techniques. If we collect all the amount, manpower & utilize this in the development of nation, social amenities, health & education etc… so we can get the heavenly contentment in the world easily.
!!!!India is great!!!!
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Tarun Joshi “NARAD” (Poet & Writer)
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05 October 2008


गुजरात के व्यापारियों ने सारे विश्व को अपने साथ साथ अपनी संस्कृति से परिचित कराया इतना ही नही उनको सर्व प्रिय बना दिया. गरबा गुजरात से निकल कर सुदूर प्रान्तों तथा विश्व के उन देशों तक जा पहुंचा है जहाँ भी गुजराती परिवार जा बसे हैं , मेरी महिला मित्र प्रीती गुजरात सूरत से हैं उनको मैंने कभी न तो देखा न ही जाना किंतु मेरे कला रुझान को
परख मित्र बन गयीं हैं , "आभासी दुनिया यानी अंतरजाल" पर मेरे लिए उनके प्रीती होने या अन्य कोई होने की पड़ताल नहीं करनी वरन इस बात के लिए सराहना करनी है की वे सूरत,गुजरात,गांधीनगर,के बारे में अच्छी जानकारियाँ देतीं है . मेरे आज विशेष आग्रह पर मुझे सूरत में आज हुए गरबे का फोटो सहजता से भेज दिया उनने मेरी और से उनको हार्दिक सम्मान एवं आभार
वेब दुनियाँ पर गायत्री शर्मा का आलेख चर्चा योग्य है गरबा परिधान पर "गरबों की शान पारंपरिक चणिया-चोली और केडि़या" जिसकी झलक आज समूचे गरबा आयोजनों में दिखाई देती है।
आवारा बंजारा की यह पोस्ट गरबा का जलवा भी समीचीन ही है .......जिसमें उन्हौने स्पष्ट किया है :-"ज का गुजरात नौवीं शताब्दी में चार भागों में बंटा हुआ था, सौराष्ट्र, कच्छ, आनर्ता (उत्तरी गुजरात) और लाट ( दक्षिणी गुजरात)। इन सभी हिस्सों के अलग अलग लोकनृत्य थे जिनके आधार पर हम कह सकते हैं कि आज गुजरात के लोकनृत्यों में गरबा, लास्या, रासलीला, डाँडिया रास, दीपक नृत्य, पणिहारी, टिप्पनी और झकोलिया प्रमुख है। अब सवाल यह उठता है कि करीब करीब मिलती जुलती शैली के बाद भी सिर्फ़ गरबा या डांडिया की ही नेशनल या इंटरनेशनल छवि क्यों बनी। शायद इसके पीछे इसका आसान होना, बिना एसेसरीज़ या अतिरिक्त उपकरणों-साधनों के किया जा सकना आदि प्रमुख कारण है। इसके अलावा और भी कारण हैं।"
यह सच है की व्यवसायिता का तत्व गरबा को घेर चुका है तो एस एम् एस/टेलीवोटिग/घडियाली आंसू बहाते मनोरंजक चैनलों से बेहतर है "गरबा '' पर विस्तार से जानकारी विकिपीडिया पर भी वहाँ के अन्य लोक नृत्यों के साथ [झकोलिया टिप्पनी डांडियारास दीपक नृत्य पणिहारी नृत्य भबई रासलीला लास्या ]
दी गयी है
संजीत भाई की पोस्ट में जो भी लिखा वह ग़लत कदापि नहीं है ,इस पर भाई संजय पटेल की की टिप्पणी "संजीत भाई;गरबा अपनी गरिमा और लोक-संवेदना खो चुका है।मैने तक़रीबन बीस बरस तक मेरे शहर के दो प्रीमियम आयोजनो में बतौर एंकर पर्सन शिरक़त की . अब दिल खट्टा हो गया है. सारा तामझाम कमर्शियल दायरों में है. पैसे का बोलबाला है इस पूरे खेल में और धंधे साधे जा रहे हैं.'' सही ही है किंतु मैं थोडा सा इतर सोच रहा हूँ कि व्यवसायिकता में बुराई क्या अगर गुजराती परिधान लोकप्रिय हो रहें है , और यदि सोचा जाए तो गरबा ही नहीं गिद्दा,भांगडा,बिहू,लावनी,सभी को सम्पूर्ण भारत ने सामूहिक रूप से स्वीकारा है केवल गरबा ही नहीं ये अलग बात है कि गरबा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के सहारे सबसे आगे हो गया।
दैनिक भास्कर समूह ने गरबे को गुजरात से बाहर अन्यप्रान्तों तक ले जाने की सफल-कोशिश की तो नई-दुनिया,ऍफ़ एम् चैनल्स भी अब पीछे नहीं रह गए हैं । इंदौर का गरबा, मस्कट में इस बार छाने गया है तो यह भारत के लिए गर्व की बात है । ये अलग बात है कि गरबे के लिए महिला साथी भी किराए , उपलब्ध होने जैसे समाचार आ ने लगे हैं ।
संजय पटेल जी उस व्यवसायिकता से परहेज कर रहे हैं जो उनने अपने शहर में देखी [ मेरे शहर में गरबा इन दिनों चौंका रहा है] इस दृश्य से हर कोई पहेज करेगा जो संजय भाई ने किया उनकी पोस्ट कहती है कि :
"चौराहों पर लगे प्लास्टिक के बेतहाशा फ़्लैक्स।गर्ल फ़्रैण्डस को चणिया-चोली की ख़रीददारी करवाते नौजवानदेर रात को गरबे के बाद (तक़रीबन एक से दो बजे के बीच) मोटरसायकलों की आवाज़ोंके साथ जुगलबंदी करते चिल्लाते नौजवानघर में माँ-बाप से गरबे में जाने की ज़िद करती जवान लड़कीगरबे के नाम पर लाखों रूपयों की चंदा वसूलीइवेंट मैनेजमेंट के चोचलेरोज़ अख़बारों में छपती गरबा कर रही लड़के-लड़कियों की रंगीन तस्वीरेंदेर रात गरबे से लौटी नौजवान पीढी न कॉलेज जा रही,न दफ़्तर,न बाप की दुकानकानफ़ोडू आवाज़ें जिनसे गुजराती लोकगीतों की मधुरता गुमफ़िल्मी स्टाइल का संगीत,हाइफ़ाई या यूँ कहे बेसुरा संगीतआयोजनों के नाम पर बेतहाशा भीड़...शरीफ़ आदमी की दुर्दशारिहायशी इलाक़ों के मजमें धुल,ध्वनि और प्रकाश का प्रदूषणबीमारों,शिशुओं,नव-प्रसूताओं को तकलीफ़नेतागिरी के जलवे ।मानों जनसमर्थन के लिये एक नई दुकान खुल गईनहीं हो पा रही है तो बस:वह आराधना ...वह भक्ति जिसके लिये गरबा पर्व गुजरात से चल कर पूरे देश में अपनी पहचान बना रहा है। देवी माँ उदास हैं कि उसके बच्चों को ये क्या हो गया है....गुम हो रही है गरिमा,मर्यादा,अपनापन,लोक-संगीत।माँ तुम ही कुछ करो तो करो...बाक़ी हम सब तो बेबस हैं !
न्यूयार्क के ब्लॉगर भाई चंद्रेश जी ने इसे अपने ब्लॉग Chandresh's IACAW Blog (The Original Chandresh), गरबा शीर्षक से पोष्ट छापी है जो देखने लायक है कि न्यूयार्क के भारत वंशी गरबा के लिए कितने उत्साही हैं

Family Weekness or Strenght,,

Weekness V/s strength of a person
Hey allies today I just want to argue about the strength & weekness of a person. I want to show you the mutual relation between the both.
According to my estimation a person’s strongest point is his family as well as his weakest point also. If anybody tries to effect on a person by using the emotions related to his family so that person can do any work which is very hard-hitting. But in opponent of this example I want to say in the manner of weekness. Any body can be able to get done any negative work by using any person just by effecting once emotions.
For Example if a week person who thinks that anybody can harm his family so suddenly he get an extreme power & he’s able to fight against them, now look on an another example of a student or a player who belongs to the poor family & the forfeit for his career when he thinks about their forfeit & He got an extreme power & motivation against the circumstances. By using this power he’s able to get the success.
For the second issue in the aspect of negative power we can take the same example of the player or an innocent person if anybody give him threats to hurt his family so may be his honesty, love for country disturbed & he’ll do the work of the choice of the person who told him to harm his family. Or if he got a provocation by someone that if he’ll not do the work of his senior’s choice so might be he’ll fired & he had a thaught about his family’s future without his job. So may be he’ll do the work while he is not in the favor of the work.
So I Can say that the family is a weekness for us & sometimes it is a power for us.Mr Shiv khera also told in a seminar that winner are not fool they recognized their limitations but focus on their strength but loser do the opposite they recognize the strength but focus on strengths . so now we have to turn our weekness into our strength
!!! JAI HIND!!!

Tarun Joshi “NARAD” (Poet & Writer)
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04 October 2008

रात में हम और तुम

रात में हम और तुम, 
अकेले हो। 
साथ और कोई न हो, 
बस हम-तुम।।
********************
तुमने हमको, 
प्यार के तीन शब्दों में बांध लिया है।
सिर्फ 
आई लव यू कह कर।। 
********************
शिक्षा के बाजार में,
शिक्षा रही है बिक।
औने पौने दाम में, 
बेंच सको तो बेंच।।

03 October 2008

मैं

जब भी अच्छा काम हो श्रेय ले जाते हैं वे,
क्योंकि उनके सिर चढा है मैं!
मैं यों तो छोटा सा है शब्द,
मगर फैलाता है बडा दुख- दर्द!
मौसम चाहे सर्द हो चाहे हो गर्म,
मै ही है सबसे बडा मर्म!
" मैं" " मैं" करते लुट गए कई लाख,
मिट्टी में मिलकर होना है सबको खाख!
मिट्टी में मिलकर भी नही मिटता है मैं,
क्योंकि उनके सिर चढा है मैं!
कई बुत व सडकें बनती हैं उनके नाम पर,
कई बातें गढ़ी जाती हैं उनके काम पर,
समाज में ऊँचा रूतबा होता है उनका,
लूटते हैं जिसे वे वह होती है जनता,
गुपचुप करते हैं धन्धे चोरी के,
भाषणों में बनते हैं निन्दक चोरी के ,
कईयों का खाख में मिलाकर ,
अपने रस्ते से मिटाकर ,
जब खुद जाते हैं खाख में ,
तब भी नही मिटता है मैं
क्योंकि उनके सिर चढा है मै ,
और हर अच्छे काम का श्रेय ले गये हैं वे।


already published before some time by mahashakti group bcoz I'm unable to post it posted on 24th jan. 08

THINK ABOUT IT, & CONVEY THE MASSAGE TO OTHERS

I think that at present politics is run by the persons most of them are not working with the thinking of nation’s goodness, but all of them are selfish. At present scenario in our country the issues of politics are not meaningful the issue of this time is Hindi-Marathi, Temple Mosque & Ram setu, which are futile. In this time issue of politics are not related to nations favour & thinking for national progress & country first but today these are related to self profitable & monatry thinks. Everyone wants that how can I earn a lot of money & every body is forgetting country first only remembering money first or profit first,
Politician of present time think that they got this period of five years they didn’t take it as a chance of serving the country & society they took this chance as making their contacts to international level & estiblishing any business at international level, improving their bank balance & foreign tours only.
Most of our Leaders are corrupt; they just finished the countrism from their mind. In our assemblies which are the holy places of ……. For every Indian. Many of the persons who sit there they are corrupt & worst. They attempt a sin their also we have an example of incopration moment. I want to ask how much they are earning that they were ready to spend the money during that situation, now I want to ask that are they suffering from any type of blindness, that’s why they are unable to see the problem of the flood in some of northern Indian states. Now nobody’ll take iniciative for this matter, no one pay any money for this. We have a huge fung PM national security Fund, just declare some huge amount & what happens, a corruption of many lacs rupees in the name of saving the life of fatalities.Corruption is not a bad thing in todays thinking this is humanity for today. The rates for corruption is also fixed according to places * time like it is a govt. fees. For examples if you want to travel to jaipur from Rani/ Falna & you haven’t any reservation so just give the 75-100 rupees to TTE & you’ll get the seat this is for the day time & for night time for sleeper in Delhi mail or ashram express or any other train the amount increases to 200. In the routr of Gorakhpur to Agra the measurement is very strange you’ll get the govt. receipt by the TTE but you have to pay the fine of Rs. 250 also. That is a Govt fine but you’ll not get any receipt from Railway department this amount of fine will be the extra income of the TTE.
Our respected leaders most of time they haven’t work sometimes they need to do work during the prociding of session but what happens during assemblies session ? They just start the quarrel between opponent & Speaker announced that session is postponded due this quarrel. In our country just one type of session doesn’t postponded when they are proposed to talk for increasing the salaries, pension, allowances of leaders,
At present time our govts are running by the…… for example many of our M.P`s are prisoners at present but they came out to make a voting during incopration moment. I don’t think that it is necessary to give their name in this place.
At present time most of the organization are communal, they don’t discuss on the national goodness they only disguss about the goodness of their community, not for the nation. The leaders are misunderstanding the public in the name of god,allah,ram etc…., but if we think it with a deep mood so we can see that if our country is safe so in this great country where many types of communites lives, many languages, many cultures are embossing can easily get solution of every problem. Our culture will get developments by the thinking of the ‘SARVDHARM SAMBHAV. In this type of social atmosphere “ PANTH NIRPEKSH” all the religions, societies,cultures will develop regularlay otherwise if we are fighting for these issues so nation’ll devides into many pieces everybody demands for a new state or country by the name of religion, language, culture. Frooks if our nation will not be safe so we are also unsafe, I want to say to the politicians & these so called contractor of society/religions that if country isn’t safe so where they play the game of these nonsence issues.
Come on frooks forget these type of politicians, leaders of religions & organistaion which are making their own profit in the name of religion,languages & these sensless issues. If we collect the whole money & manpower which is wasting on these type of organizations & use that power for ‘national similarity moment’ we have to start a new assignment by this name for similarity for all. So we can see that the wind of change’ll blow & India will become the world teacher & bird of gold again. May god help us.

!!!!! JAI HIND !!!!!

Tarun Joshi “NARAD” (Poet & Writer)
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