25 January 2009

पालने से पालकी तक

“पालने से पालकी तक बेटियों का सुदृढ़ जीवन सफल जीवन “

पालने और पालकी को

सजाने की

समझ जो है - "बेहतर है....!"

ज़िन्दगी बेटियों की

भी संवारी जाए तो अच्छा !!

पालने में दुलारो खूब

बिटिया को "बेहतर है....!"

ज्ञान-साहस से सजी बिटिया

बिदा की जाए तो अच्छा ..

21 January 2009

अल्‍लाह इ‍स्‍लामिक देशो से नाराज है इसलिये ज्‍यादा बच्‍चे भारत में पैदा कर रहे है

मुस्लिम सम्‍प्रदाय में अल्‍लाह को सर्वोपरि माना जाता है,और अल्‍लाह को सर्वोपरि माना भी जाना चाहिये। किन्‍तु अक्‍सर देखने में आता है कि मुस्लिम कठमुल्‍लाओं के चलते देश का मुसलमान पंथ भटकाव के रास्‍ते पर नज़र आता है। मुस्लिम सम्‍प्रदाय आज अपनी रूढियों को त्‍यागने को मुखर नही हो रहा है। इस्‍लाम में यह धारणा देखने में आती है कि दूसरे धर्म को मानने वाले मारे जाने योग्‍य होते है। भारत को माता कहने से अल्‍लाह नाराज हो जायेगे। इस्‍लाम में इस प्रकार की धारण उपाजने वाले कठमुल्‍ले ये भूल जाते है। अल्‍लाह ने भारत में मुसलमानों को इसलिये जन्‍म दिया है ताकि समस्‍त भारतीयों द्वारा अपने जाने वाले रीति रिवाजों को को अपनाओं न कि देश की छाती पर मूँग दलने का काम करें।

अगर अल्‍लाह को मुसलमानों के द्वारा भारत को माता कहे जाने पर अपत्ति होती। अल्‍लाह शायद ही किसी मुस्लिम को भारत में जन्‍म देते। क्‍योकि भारत में जन्‍म लेने पर भारत को माता कहना पढ़ जाता है। तो अल्‍लाह मुस्लिमो को सिर्फ मुस्लिमों को मुस्लिम देशो में ही जन्‍म देते, पर अल्‍लाह ने ऐसा नही किया। आज भारत विश्‍व का सबसे बड़ा अल्‍लाह की इबादत करने वाला देश है, तो अल्‍लाह को किस लिये भारत को माता कहने पर आपत्ति होगी। आज मुस्लिमो पर जितने कड़े कानून इस्‍लामिक देशो में है शायद उतना भारत में नही। अब कठ मुल्‍ले यही कहेगे कि अल्‍लाह इ‍स्‍लामिक देशो से नाराज है इसलिये ज्‍यादा बच्‍चे भारत में पैदा कर रहे है।

17 January 2009

"फुर्षोत्तम-जीव "...

किस किस को सोचिए किस किस को रोइए
आराम बड़ी चीज है ,मुंह ढँक के सोइए ....!!
"जीवन के सम्पूर्ण सत्य को अर्थों में संजोए इन पंक्ति के निर्माता को मेरा विनत प्रणाम ...!!''
(यहाँ फुरसत+उत्तम =फ़ुरुषोत्तम शब्द के प्रादुर्भाव महिमा पर आधारित आलेख सादर प्रस्तुत है )
आपको नहीं लगता कि जो लोग फुर्सत में रहने के आदि हैं वे परम पिता परमेश्वर का सानिध्य सहज ही पाए हुए होते हैंईश्वर से साक्षात्कार के लिए चाहिए तपस्या जैसी क्रिया उसके लिए ज़रूरी है वक़्त आज किसके पास है वक़्त पूरा समय प्रात: जागने से सोने तक जीवन भर हमारा दिमाग,शरीर,और दिल जाने किस गुन्ताड़े में बिजी होता हैपरमपिता परमेश्वर से साक्षात्कार का समय किसके पास है...?
लेकिन कुछ लोगों के पास समय विपुल मात्रा में उपलब्ध होता है समाधिष्ठ होने का
इस के लिए आपको एक पौराणिक कथा सुनाता हूँ ध्यान से सुनिए
एकदा -नहीं वन्स अपान अ टाइम न ऐसे भी नहीं हाँ ऐसे
"कुछ दिनों की बात है नए युग के सूत जी वन में अपने सद शिष्यों को जीवन के सार से परिचित करा रहे थे नेट पर विक्की पेडिया से सर्चित पाठ्य सामग्री के सन्दर्भों सहित जानकारी दे रहे थे " सो हुआ यूँ कि शौनकादी मुनियों ने कहा-"हे ऋषिवर,इस कलयुग में का सारभूत तत्व क्या है.....?
ऋषिवर:-"फुर्सत"
मुनिगण:- "कैसे ?"
ऋषिवर :- फुरसत या फुर्सत जीवन का एक ऐसा तत्व है जिसकी तलाश में महाकवि गुलजार की व्यथा से आप परिचित ही हैं आपने उनके इस गीत का कईयों बार पाठ किया है .
मुनिगण:- हाँ,ऋषिवर सत्य है, तभी एक मुनि बोल पड़े "अर्थात पप्पू डांस इस वज़ह से नहीं कर सका क्योंकि उसे फुरसत नहीं मिली और लोगों ने उसे गा गाकर अपमानित किया जा रहा है ...?"
ऋषिवर:-"बड़े ही विपुल ज्ञान का भण्डार भरा है आपके मष्तिस्क में सत्य है फुर्सत के अभाव में पप्पू नृत्य न सीख सका और उसके नृत्य न सीखने के कारण यह गीत उपजा है संवेदन शील कवि की कलम से लेकिन ज्यों ही पप्पू को फुरसत मिलेगी डांस सीखेगा तथा हमेशा की तरह पप्पू पास हो जाएगा सब चीख चीख के कहेंगे कि-"पप्पू ....!! पास होगया ......"
मुनिगण:-ये अफसर प्रजाति के लोग फुरसत में मिलतें है .... अक्सर ...........?
ऋषिवर:-" हाँ, ये वे लोग हैं जिनको पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप फुरसत का वर विधाता ने दिया है
मुनिगण:-"लेकिन इन लोगों की व्यस्तता के सम्बन्ध में भी काफी सुनने को मिलता है ?
ऋषिवर:-"इसे भ्रम कहा जा सकता है मुनिवर सच तो यह है कि इस प्रजाति के जीव व्यस्त होने का विज्ञापन कर फुरसत में होतें है, "
मुनिगण:-कैसे...? तनिक विस्तार से कहें ऋषिवर
ऋषिवर:-"भाई किससे मिलना है किससे नहीं कौन उपयोगी है कौन अनुपयोगी इस बात की सुविज्ञता के लिए इनको विधाता नें विशेष गुण दिया है वरदान स्वरुप इनकी घ्राण-शक्ति युधिष्ठिर के अनुचर से भी तीव्र होती है मुनिवर कक्ष के बाहर खडा द्वारपाल इनको जो कागज़ लाकर देता है उसे पड़कर नहीं सूंघ कर अनुमान लगातें हैं कि इस आगंतुक के लिए फुरसत के समय में से समय देना है या नहीं ? "
मुनिगण:-वाह गुरुदेव वाह आपने तो परम ज्ञान दे ही दिया ये बताएं कि क्या कोई फुरसत में रहने के रास्ते खोज लेता है सहजता से ...?
इस के लिए आपको एक पौराणिक कथा सुनाता हूँ ध्यान से सुनिए
एकदा -नहीं वन्स अपान अ टाइम न ऐसे भी नहीं हाँ ऐसे
"कुछ दिनों की बात है नए युग के सूत जी वन में अपने सद शिष्यों को जीवन के सार से परिचित करा रहे थे नेट पर विक्की पेडिया से सर्चित पाठ्य सामग्री के सन्दर्भों सहित जानकारी दे रहे थे " सो हुआ यूँ कि शौनकादी मुनियों ने कहा-"हे ऋषिवर,इस कलयुग में का सारभूत तत्व क्या है.....?
ऋषिवर:-"फुर्सत"
मुनिगण:- "कैसे ?"
ऋषिवर :- फुरसत या फुर्सत जीवन का एक ऐसा तत्व है जिसकी तलाश में महाकवि गुलजार की व्यथा से आप परिचित ही हैं आपने उनके इस गीत का कईयों बार पाठ किया है .
मुनिगण:- हाँ,ऋषिवर सत्य है, तभी एक मुनि बोल पड़े "अर्थात पप्पू डांस इस वज़ह से नहीं कर सका क्योंकि उसे फुरसत नहीं मिली और लोगों ने उसे गा गाकर अपमानित किया जा रहा है ...?"
ऋषिवर:-"बड़े ही विपुल ज्ञान का भण्डार भरा है आपके मष्तिस्क में सत्य है फुर्सत के अभाव में पप्पू नृत्य न सीख सका और उसके नृत्य न सीखने के कारण यह गीत उपजा है संवेदन शील कवि की कलम से लेकिन ज्यों ही पप्पू को फुरसत मिलेगी डांस सीखेगा तथा हमेशा की तरह पप्पू पास हो जाएगा सब चीख चीख के कहेंगे कि-"पप्पू ....!! पास होगया ......"
मुनिगण:-ये अफसर प्रजाति के लोग फुरसत में मिलतें है .... अक्सर ...........?
ऋषिवर:-" हाँ, ये वे लोग हैं जिनको पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप फुरसत का वर विधाता ने दिया है
मुनिगण:-"लेकिन इन लोगों की व्यस्तता के सम्बन्ध में भी काफी सुनने को मिलता है ?
ऋषिवर:-"इसे भ्रम कहा जा सकता है मुनिवर सच तो यह है कि इस प्रजाति के जीव व्यस्त होने का विज्ञापन कर फुरसत में होतें है, "
मुनिगण:-कैसे...? तनिक विस्तार से कहें ऋषिवर
ऋषिवर:-"भाई किससे मिलना है किससे नहीं कौन उपयोगी है कौन अनुपयोगी इस बात की सुविज्ञता के लिए इनको विधाता नें विशेष गुण दिया है वरदान स्वरुप इनकी घ्राण-शक्ति युधिष्ठिर के अनुचर से भी तीव्र होती है मुनिवर कक्ष के बाहर खडा द्वारपाल इनको जो कागज़ लाकर देता है उसे पड़कर नहीं सूंघ कर अनुमान लगातें हैं कि इस आगंतुक के लिए फुरसत के समय में से समय देना है या नहीं ? "
मुनिगण:-वाह गुरुदेव वाह आपने तो परम ज्ञान दे ही दिया ये बताएं कि क्या कोई फुरसत में रहने के रास्ते खोज लेता है सहजता से ...?
ऋषिवर:-"हाँ,सरकारी दफ्तरों में यह (फुरसत) सहजता से सभी को मिलती है इसके लिए बहाना नामक क्रिया को सदा अपने साथ रखिए "
मुनिगण:-वाह , गुरुदेव सही ज्ञान दिया गुरुदेव ।
कुछ ही क्षणों उपरांत सारे मुनि कोई न कोई बहाना बना के सटक लिए फुरसत पा गए और बन गए ""फुर्षोत्तम-जीव "
गुरुदेव सूत जी के अनुसार :
फुर्सत और उत्तम शब्द के संयोजन से प्रसूता यह शब्द आत्म कल्याण के लिए बेहद आवश्यक और तात्विक-अर्थ लेकर धरातल पर जन्मां है आज यानी 18 दिसम्बर 2009 को इस शब्द का जन्मदिन जो नर नारी पूरी फुर्सत से मनाएंगें वे स्वर्ग में सीधे इन्द्र के बगल वाली कुर्सी पर विराजेंगे । इस पर शिवानन्द स्वामी एक आरती तैयार करने जा रहें हैं आप यदि कवि गुन से लबालब हैं तो आरती लिख लीजिए अंत में लिखना ज़रूरी होगा : कहत "शिवानन्द स्वामी जपत हरा हर स्वामी " पंक्ति का होना ज़रूरी है

14 January 2009

महाजाल सबसे तेज़ !!



एक " रिपोर्ट:"- (संक्रांति की सुबह "महाजाल " पर समाचार नुमा
यह आलेख) पढ के शरीर का रोयाँ -रोयाँ खड़ा हो गया। तभी श्रीमति जी ने शेविंग-उपकरण सामने लाके रख दिए साहब आज शेव करके समय एक भी बाल न छूट पाया । वे बोलीं:-आज इत्ती जल्दी शेव निपटा लिया । मेरे मुंह से निकल गया महाजाल पे छपी 2040 का समाचार पढा तो यह सम्भव हुआ है। श्रीमति बिल्लोरे अपना माथा खाजुआनें लगीं कि हम ने क्या कहा । तब तक अपने मानस में भी "

" हलचल:"होने लगी कि इतने शब्द तो पहले से ही हिन्दी में विराजे हैं पंडित जी ने गज़ब शब्द खोज निकाला इसे अब भाषाविज्ञानी तय करेंगे कि थोक कट-पेस्टीय लेखनशब्द को शामिल किया जाए या नहीं अगर ब्लागर्स से कोई पूछेगा तो हम सब दादा के साथ हैं। उधर कबाड़ी भाई के पास पुराने रेडुए से ये सुनने मिला आत्म-विभोर हूँ ! इस बीच तिल का कटोरा दो बार मेरे सामने से से वापस जा चुका है अत: पोस्ट आधी-अधूरी छोड़ के उठ रहा हूँ बाकी एहावाल शाम के बाद पोस्ट करूंगा मुझ डर है कि संक्रांति कहीं क्रान्ति का रूप न रख लेवे। इन अन्तिम-पंक्तियों के लिखे जाने तक पाँच पुकार सुनाई पड़ चुकीं हैं मुझे । सभी को सादर मकर-संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाए अब आगे 08:45 बजे घर लौटा तो सोचताहूँ सुबह की चर्चा को एक सुंदर मोड़ दे दूँ- सो लेपू खोला ही था कि येभाई साहब -यानीअपने दुबे जी याद आ गए जिनने ने गज़ब की बात कही ।अपन को याद आया गंगटोक जहाँ पिछले दिनों बड़े भैया होकर आए थे सो ये आलेख बांच ही लिया कि नाथुला पास --बर्फीली वादियाँ में कैसा लगता है कि मन में आया पतंग बाजी करलें किंतु एक डाकिया हाँ वही हवा का डाकिया मेरी पुरानी प्रेमिका , की याद लाया वो भी व्हाया - राजीव रंजन प्रसाद, और फ़िर अचानक हमने पतंग बाजी का मसला बीच में ही छोड़ कर [रात में पतंग उडाना असम्भव मान के ] आइने में जब देखा, तो पाया कि हम 45 के हैं और पतंग पर समय जाया करने 'कुत्ते से कुछ शिक्षा लें कि वो कैसे अमीर हुआ । नौवें सोपान पर है चिट्ठों की चर्चा जो रवीन्द्र प्रभात जी की "परिकल्पना " में है । उधर श्रीमती जी के बनाए तिल ले लड्डू खूब ज्यादा हो गए हैं तो ब्लॉग पर स्वास्थ्य चर्चा लेकर मिहिर भोज उपस्थित हैं न अब आप न तो तिल से डरिए और न ही ताड़ से । चलो अब बंद करता हूँ चर्चा बस का फ़ोन आ गया कल की ममत्व मेले वाली प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी करनी है। सो सहिकिन्तु बॉस इस आलवेज राइट अब विदा कल तक के लिए

08 January 2009

टूटता देश और देखते हम

जम्‍बू कश्‍मीर में हाल में जो चुनाव  परिणाम आये है, उससे घाटी में बदलती वायर कहा जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने 11 सीटो पर विजय प्राप्‍त कर विधान सभी में आपनी प्रखर मौजुदगी दर्ज कराई है। भाजपा को 11 तथा अन्‍य पार्टीयों को जम्‍बू में मिले सीट और वोट सत्‍ताधारियों द्वारा होते जम्‍मू पर हो रहे हत्‍याचार का प्रमाण है। हमेंशा से इस प्रदेश जम्‍बू डीविजन अग्रणी रहा है किन्‍तु राजनीति की कुटिल चालो के कारण है यह सत्‍ता की सी‍ढी पर चढ़ने से वंचित रहा है। आज के दिन भारतीयों को तोड़ने की बात करने वाला उमर अब्‍दुल्‍ला वहॉं मुख्‍यमंत्री बन गया है, और हम उससे उम्‍मीद ही क्‍या की जा सकती है।

हमारे स‍ंविधान की धारा 370 जम्‍बू कश्‍मीर को देश का अंग बनाने रोक रहा है। अक्‍सर हमारे मंत्रियों और प्रधामंत्री को कश्‍मीर यात्रा के दौर यह कहना पड़ता है कि कश्‍मीर हमारा अंग है। अखिर हम यह किसे बता रहे है। आज राजनीति के मेज पर भारत की जनता को लूटने और ठगने का प्रयास किया जा रहा है। विश्‍व की बात छोड़े भारत में कुछ लोग आईएएस और पीसीएस जैसी महत्‍वपूर्ण परीक्षा में देश के खडि़त मानचित्र प्रकाशित किये जाते है। हाल में मेरे पास आरकुट पर राष्‍ट्र भक्ति से भरा एक संदेश के रूप में भारत का मानचित्र के रूप मे आया था किन्‍तु वह भारत का खडि़त मानचित्र था। अब इसे हम देश भाक्ति कहे या राष्‍ट्रीय शर्म ?

सर्वप्रथम आज जरूरत है देश में जगरूक नागरिको की जो सही और गलत का फैसला कर सकें, अन्‍यथा हम भारत का खडि़त चेहरा हमेंशा एक दूसरे को फारवर्ड करते रहेगे। 

07 January 2009

सम्पादक जी अपने खबरीयों को सिखाएं !!

मीडिया में महामारी जितने भी सवाल उठाए जा रहें हैं वे आधार हीन नहीं हैं प्रमोद रंजन की चिंता में गंभीर चितन की झलक दिखाई दे रही है। पिछले दिनों मेरे मित्र डाक्टर सतीश उपाध्याय जो जिला टीकाकरण अधिकारी हैं ने बताया कि पल्स पोलियो अभियान के विशेष चरण के लिए स्टोर से वैक्सीन का वितरण करते समय कुछ बॉक्स जो खाली थे स्टोर के बाहर साफ़ कराने के बाद रख दिए गए जिसे एक प्रतिष्ठित संचार माध्यम के प्रतिनिधि ने शूट करके ख़बर चला दी कि पोलियो वैक्सीन का टोटा होने के कारण अभियान में बाधा उत्पन्न ? जबकि भारत और राज्य सरकारों का सर्वोच्च प्राथमिकता वाले इस अभियान में कभी भी वैक्सीन की कमीं नहीं होती।इतना ही नहीं किसी भी शहर में आप जाएँ उससे लगे गाँवों के हाकर जोपत्रकार कहे जातें हैं जिस प्रकार का बर्ताव आम जनता से करतें हैं उसके बारे में भी मीडिया को सोचना ज़रूरी है। यदि सामाजिक सरोकारों की अनदेखी किए जाने वाली प्रवृत्तियों पर अंकुश नहीं लगाया तो तय है कि मीडिया के प्रति आम जनता जो इसे चौथा-स्तम्भ मानतीं उसके स्वरुप पर नकारात्मक असर होगा।समाचार सम्पादकों को विनम्र सलाह देने का माद्दा तो नहीं है फ़िर भी इन नन्हें मुन्नों को पत्रकारिता और दीवारें पोतनें/रंगने के अर्थों में अन्तर को समझानें का कष्ट करें ताकि ......बदलाव की उम्मीदें की जा सकें ?

01 January 2009

ओ नवल वर्ष

मत झुलसाना न भरमाना
हर घर में खुशियाँ दे आना
आए तो स्वागत नवल वर्ष
अबके आँसू मत दे जाना !
ओ नवल वर्ष ओ धवल वर्ष
शिशु सा आकर्षण ले आना