25 December 2009

प्‍यार की मौत


दूरियो के दौर में,
मजबूरियाँ नज़र आती है।
तेरे चाहत की तनहाई मे,
तेरी परछाई नज़र आती है।।

मजबूरी को समझ सको तो,
इश्‍क समझना असां होगा।
मतभेद दिखा कर दूरी हमसे,
हमें हटना आसां होगा।।

हम हट जायेगे मिट जायेगे,
यादो की कश्‍ती टूट जायेगी।
टूटा तागा जुड जाता है,
पर गांठ हृदय को चुभ जाती है।

इश्‍क की गहराई हमे मालूम नही,
नापने इश्‍क की गहराई को हम।
डूबना चाहते थे सागर मे ,
पर सागर को अपने गहराई का अभिमान था।।

सागर के अपने अभिमान से,
प्‍यार की गहराई मे मौत हो गई।
प्‍यार के मौत की पीड़ा आँसू,
सागर मे मिल मीत बन गई।।

सागर को अभिमान बड़ा कि,
प्‍यार तो उसकी गहराई मे है।
मार कर प्‍यार को सागर ने,
नष्‍ट किया उसकी तरूणाई को।।

हमारे प्रिय स्‍वर्गीय दोस्‍त रोहित सिंह की असमयकि मौत पर, जो कुछ दिन पहले एक कुएं मे गिर कर मर गया, भगवान उसकी आत्‍मा को शान्ति प्रदान करे।

24 December 2009

मेरा प्‍यार

तुम्‍हरी यादो के सहारे,
हम यूँ ही जी रहे है।
कभी तुमको देख कर,
हम यूँ जी-जी कर मर रहे है।

ग़र एहसास को समझो,
हम प्‍यार तुम्‍ही से करते है।
तुम समझो या न समझो,
हम प्‍यार तुम्‍ही से करते है।।

तोड़ के सारे बंधन को,
रिश्‍तो को उन नातो को।
प्‍यार तुम्‍हारा पाने को,
हद से गुजर जाने को।।

इश्‍क की गहराई को,
कभी नापा नही जाता।
प्‍यार को ग़र समझो,
तो प्‍यार की गहराई को खुद नापो।।

हीर रांझा तो हम इतिहास है,
इश्क हमारा तुम्‍हारा सिर्फ आज है।
मेरे दिल के सपनो में आती हो सिर्फ तुम,
आ कर पता नही कब चली जाती हो तुम।।

16 December 2009

हिन्दू आक्रामक हो या नहीं ?

हिन्दुओं के लिए दिन-ब-दिन जब परिस्थितियाँ विपरीत होती जा रही हों तो क्या इस अवस्था मैं भी हमारा सहनशील (वास्तविक तौर पे कायर) बने रहना उचित है? मैं समझता हूँ की आज की अवस्था में यदि हिन्दू आक्रामक हो कर दुस्प्रचारियों से लड़े तभी कुछ सुधार आएगा | आज हिन्दुओं का आक्रमणशील होना क्यों जरुरी है, जरा निम्न बिन्दुओं पे गौर करें :

  • पिद्दी सा देश पाकिस्तान हमारी नाक मैं दम किये रहता है, क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक पाकिस्तान |
  • भारत - ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच, किसके जितने की संभावना ज्यादा है ? शायद ऑस्ट्रेलिया, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक खेल |
  • छोटी सेना लेकर मुहम्मद गौरी ने शक्तिशाली पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया | ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक मुहम्मद गौरी |
  • हिन्दुस्तान लीवर का साबुन या अन्य उत्पाद बाजार मैं अब तक टिका है पर टाटा का साबुन और अन्य प्रसाधन उत्पाद गायब क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण हिन्दुस्तान लीवर का - आक्रामकप्रचार और मार्केटिंग |
  • भारत - चीन युद्ध, चीन से हमारी सर्मनाक हार, क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - चीन का आक्रामक होना |
  • विश्व के उच्चतम तकनीक से लैस पाकिस्तान और अमेरिकी सेना तालिबान को वर्षों की लम्बी लड़ाई के बाद भी ख़तम नहीं कर पाया है, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - तालेबान का आक्रामक होना है|
  • मैक्रोसोफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम से कहीं अच्छा एपल का ऑपरेटिंग सिस्टम है, फिर भी बाजार मैं मैक्रोसोफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टमकी ही धूम है, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - मैक्रोसोफ्ट का आक्रामक प्रचार और मार्केटिंग होना है |
......

ऐसे हजारों उदाहरण हैं | ऐसा भी नहीं है की आक्रामक हो जाने भर से ही जीत निश्चित हो जाती है, पर ये भी उतना ही सत्य है की आक्रामकता के अभाव मैं अंततः विजय दूर भागती तो है ही , साथ ही आक्रामक लोग प्रतिदिन सर का दर्द बने रहते हैं |

क्रिस्चन मिसनरी दिनों-दिन बेहद सुनियोजित रणनीती से हिन्दुओं को हूक्स & क्रूक्स के सहारे धर्म परिवर्तन करवा रही है | जाकिर नायक जैसे इस्लामी प्रचारक भी आये दिन हिन्दू धर्मग्रंथों का खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ा रहे हैं | ब्लॉग जगत को ही लीजिये सलीम खान, मुहम्मद उमर खैरान्वी, अंजुमन, कासिफ आरिफ जैसे लुच्छे रोज हमारी धर्म ग्रंथों का मजाक उड़ा रहा है | कोई हिन्दू यदि ब्लॉग के जरिये ही सही उनके साजिशों का पर्दाफास करता है तो कई सम्माननीय हिन्दू ब्लॉगर शांति-शांति या उनको ignore कीजिये या आलेख को कीचड़/मैले मैं पत्थर कहकर साजिशों का पर्दाफास करने वालों को हतोत्साहित करते हैं | सम्माननीय ब्लॉगर की सुने तो मतलब यही निकलता है की यदि कोई गन्दगी फैला रहा है तो उसे फैलाने दो आप गन्दगी फैलाने वालों को कुछ मत कहो | महात्मा गाँधी ने भी कहा था की "पाकिस्तान उनकी लाश पे ही बनेगा" .. पाकिस्तान उनके जीते-जी बन गया गाँधी जी देखते रह गए | संतों की भाषा संत और सज्जन ही समझते हैं, दानवों से दानवों की भाषा मैं ही बात की जानी चाहिए | अलबेला खत्री जी ने कुछ दिनों पहले बहुत सही अपील की थी वही अपील दुहराता हूँ "पत्थर उठाओ और गन्दगी फैलानेवालों के ऊपर चलाओ" |

साभार -सृजन
ब्‍लाग में श्री राकेश सिंह जी द्वारा

06 December 2009

अमृत वचन - डॉक्टर जगदीश चन्द्र बोस ने कहा

"उठो, मन की मलिनता हटाओ।" सुविधायें नही हैं, प्रयोगशालाये नही हैं, कह कर बैठने से काम नही चलेगा। तुम्‍हारा मन ही सबसे बड़ी प्रयोगशाला है। आलस्‍य त्‍यागो, जहाँ हो वहीं से कार्य आरम्‍भ करो। 'याद रखो'; जो लोग वित्तेषणा व लोकेषणा के लिये कार्य नही करते असफलतायें उन्‍हे रोक नही पातीं। ---यह कहनाहै डॉक्टर जगदीश चन्द्र बोस/बसु का

04 December 2009

यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

दुनिया की बात सहना और कुछ न मुंह से कहना
रूई कान में तुम देके आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम मुंह सब के बंद कर के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

अपने हो या पराये कोई न बचने पाये
डाइजेशन देखो तुम्हारा हर्गिज न गड़बड़ाये
मौका बड़ा कठिन है, खाना संभल संभल के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

भाई हो या भतीजा तुम सबका ध्यान रखना
फुल सात पीढियों का तुम इन्तजाम रखना
स्विस बैंक की तिजोरी तुम खूब रखना भर के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

02 December 2009

मै महासचिव बोल रहा हूँ

आज करीब 3 साल बाद महाशक्ति के सदस्‍य के रूप में प्रमेन्‍द्र जी से मिला, काफी अच्‍छा लगा। महाशक्ति की यादें ताजा हो गई, मै महाशक्ति संगठन का महाससचिव हुआ करता था। पर हमारे अध्‍यक्ष प्रमेन्‍द्र जी ने बताया कि आज मै महासचिव पद पर हूँ।

वकाई आज बहुत अच्‍छा लग रहा है।