31 March 2009

भय हो




विवेक सिंह की वापसी :हार्दिक स्वागत

चिट्ठा चर्चा:"

विवेक सिंह ने वापसी पोस्ट बनाम चर्चा में

मित्र प्रशान्त के बारे में विवरण दर्ज किया जिनके पैर में फ़िर से चोट लग गयी .........
व्यवहारिक तौर पर किसी के लिए यह खबर....गैरज़रूरी हो सकती है किन्तु मुझे भाई
विवेक का आध्यात्मिक-भावुक चेहरा नज़र आ रहा है
इस दौर में ऐसे लोग जो आत्म केन्द्रित न होकर सर्वे सुखिन: भवन्तु ..
का बिरवा रोप रहें हों उनको आदर देना मेरा दायित्व है

27 March 2009

परसाई के शहर में व्यंग्य की परिभाषा खोजतीं खाली खोपडी


सुना है इन दिनों शहर व्यंग्य की सही और सटीक परिभाषा में उलझा हुआ है।
बवाल जी ने फोन पे पूछा - भैया ये सटायर की कोई नई परभाषा हो गई है क्या ?
अपन तो हिन्दी और साहित्य की ए बी सी डी नहीं जानते न ही ब्लागिंग की समझ है अपन में , न ही अपनी किसी ब्लागिंग के पुरोधा से ही गिलास-मंग्घे स्तर तक पहंच हैं जो कि उनकी बात का ज़बाव दे सकें सो अपन ने कहा भाई आप तो अपने बीच के लाल बुझक्कड़ हैं उनसे पूछा जाए ।
तभी हमने सड़क पर एक बैसाख नन्दन का दूसरे बैसाख नन्दन का वार्तालाप सुना {आपको समझ में नहीं आएगी उनकी आपसी चर्चा क्योंकि अपने भाई बन्दों की भाषा हम ही समझ सकतें हैं ।} आप सुनना चाहतें हैं..........?
सो बताए देता हूँ हूँ भाई लोग क्या बतिया रहे थे :
पहला :-भाई ,तुम्हारे मालिक ने ब्राड-बैन्ड ले लिया ..?
दूजा :- हाँ, कहता है कि इससे उसके बच्चे तरक्की करेंगें ?
पहला :-कैसे ,
दूजा :- जैसे हम लोग निरंतर तरक्की कर रहे हैं
पहला :-अच्छा,अपनी जैसी तरक्की
दूजा :- हाँ भाई वैसी ही ,उससे भी आगे
पहला :-यानी कि इस बार अपने को
दूजा :-अरे भाई आगे मत पूछना सब गड़बड़ हो जाएगा
पहला :-सो क्या तरक्की हुई तुम्हारे मालिक की
दूजा :- हाँ,हुई न अब वो मुझसे नहीं इंटरनेट के ज़रिए दूर तक के अपने भाई बन्दों से बात करता है। सुना हैकि वो परसाई जी से भी महान हो ने जा रहा है आजकल विश्व को व्यंग्य क्या है हास्य कहाँ है,ब्लॉग किसे कहतें हैं बता रहा है।
पहला :-कुछ समझ रहा हूँ किंतु इस में तरक्की की क्या बात हुई ?
दूजा :- तुम भी, रहे निरे इंसान के इंसान .........!!

26 March 2009

जबलपुर का मौसम ब्लागिया मौसम

इन दिनों जबलपुर का मौसम ब्लागिया होता जा रहा है. जिन लोगो की सूची यहाँ है उसके अलावा भी ब्लॉगर जी होंगे मुझे जानकारी है कुछ ज्ञात कुछ विख्यात भी जिनके नाम इधर छपे हैं उनके लिए सादर आग्रह का ट्रक भेज दिया है की वे सभी लोग नियमित रूप से भले दस लाइन लिखे लिखें ज़रूर नहीं तो नूह की नौका डोल जाएगी .
लाल और बवाल --- जुगलबन...

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ब्लागिंग को ऐसो नसा भए सब लबरा मौन

पत्नी से पूँछें पति -'हम आपके कौन ?'

25 March 2009

मेरी और से उसके सौन्दर्य की तारीफ़ ज़रूर का देना... !!

नूह की नौका के जात्री



माँ नरमदा की कृपा से
नौका जो यहाँ चलती है

जहाँ एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पे कूदते थे बन्दर


अब बेचारे शांत भाव से बरगी डेम का नज़ारा करतें है !!

हर तरफ से वज़नदार पोस्ट आ रहीं है,उधर अजय त्रिपाठी इधर विजय तिवारी और भाई डूबे जी क्या कहने....!विवेक रंजन श्रीवास्तव ,आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'!!,

बवाल भाई जान मुझे लगता है ये घने नहीं बज रहे हैं , इनसे निकले सुरों में गाम्भीर्य का पुट है। यानी सबके सब जबलपुर का नाम ........... खैर छोडिए ज़्यादा कहूँगा तो स्तीफा दे देने तक की नौबत आ जाती है ..... धुरंधर लिक्खाड़ में शुमार नूह की बनाई नाव पे बिराजे ब्लॉगर एन धुँआधार में नौकायन को उतारू हैं .......... अब तो आनंद ही आनंद हवे भाई।

ब्लॉग की चर्चा हो और भाई लाल साहब की चर्चा न करुँ हो इच्च नई सकता भाई वो तो नहीं कई और हैं जो उनके नाम से लाल--पी...ले..... हो जाएंगे तो अपुन न तो यथा के रहेंगे न ही तथा के ,,,,,,,,?

इधर अपने राम का गुसल खाने से निकलना हुआ था की बरसात आ गई ..बावरे फकीरा लांच.. से फारिग होते ही वायरल की ज़कड़न और फ़िर लोकसभा चुनाव फ़िर 23अप्रेल 2009,से मैजिक ट्रेन लाइफ लाइन के लिए एडवांस तैनाती यानी इतनी गंभीर पोस्ट लिखने का मौका कम ही मिलेगा जितनी गंभीर पोस्ट उपरोक्त मित्रों ने लिखी है . सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

आप सोच रहे होंगे की इस पोस्ट में सुन्दरी का चित्र.........?

सोचते रहिए अगर मिल जाए कहीं तो मेरी और से उसके सौन्दर्य की तारीफ़ ज़रूर का देना... सच कितनी सुंदर कल्पना है चित्र कार की कितना सुंदर देख लेते हैं चित्रकार लोग है न ...?

23 March 2009

कांग्रेस ने मारा गांधी के मुँह पर तमाचा

कांग्रेस के नेता ने तो महात्‍मा गांधी अच्‍छी वाट लगाई, मनीष तिवारी ने कहा कि हम महात्‍मा गांधी के विचारधारा के न होते तो  उद्धव ठाकरे की जुबान खीच लेते।


गांधी के अनुसार हिंस मन से भी करना भी बुरा था, पर कांग्रेस के नेता महात्‍मा गांधी को ठेगा दिखा कर उन्‍ही का नाम उपयोग कर बदनाम कर रहे है।

जय हो
जय हो
जय हो गांधी गिरी की।

20 March 2009

बावरे-फकीरा एलबम से संगृहीत राशि 25 हज़ार सौंपी गई कलेक्टर श्री हरिरंजन राव को





सव्यसाची-कला-ग्रुप

969/A,Gate No.04,Sneh Nagar Road, Jabalpur (M.P.)

Phone: 09826143980 Email: savysachi@gmail.com

"बावरे-फकीरा से संगृहीत 25.000/- रूपए की राशि मैजिक-ट्रेन"लाइफ लाइन एक्सप्रेस'' के लिए सौंपी गयी "





सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर द्वारा बावरे फकीरा एलबम के ज़रिए एक सप्ताह से भी कम समय में जुटाई है धन राशि संस्था चाहती है कि "विश्व में जादुई रेल "कही जाने वाली

लाइफ-लाइन-एक्सप्रेस के लिए आवश्यक आर्थिक सहायता देने हर वर्ग के नागरिक आगे आएं

*संस्था इस हेतु संकल्पित है कि आम नागरिक के मन में इस पुनीत कार्य हेतु भागीदारी की भावना जागृत हो

सव्यसाची-कला-ग्रुप जबलपुर द्वारा दिनांक 14 मार्च 2009 को स्थानीय मानस भवन जबलपुर में आयोजित पोलियो-ग्रस्त बच्चों की मदद हेतु साईं भक्ति एलबम बावरे-फकीरा का लोकार्पण किया गया था . जिसमें आभास जोशी एवं पोलियो-ग्रस्त गायक श्री ज़ाकिर हुसैन (वी ओ आई 02 फेम ) के अतिरिक्त स्थानीय कलाकार भी शामिल हुए थे . सव्यसाची कला ग्रुप ने एक सप्ताह से कम समय में "बावरे-फकीरा टीम" के संकल्प को पूर्ण करने के उद्येश्य से एलबम के प्रथम संस्करण के माध्यम से रूपए 25,000=00 की धन राशि संगृहीत की है माह अप्रैल 2009 में जबलपुर में आने वाली मैजिक-ट्रेन "लाइफ लाइन एक्सप्रेस'' के लिए 25.000/- रूपए की धनराशि श्री हरि रंजन राव कलेक्टर जबलपुर को भेंट की गयी.

इस अवसर पर प्रशासन की ओर से महेंद्र द्विवेदी जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास तथा संस्था की ओर से श्री के जी बिल्लोरे,के के बैनर्जी,मनोज सक्सेना,पप्पू शर्मा,डाक्टर विजय तिवारी "किसलय",कर सलाहकार श्री दिलीप नेमा, राजेश पाठक "प्रवीण",श्री निर्मल यादव, श्री नितिन अग्रवाल सहित संस्था के संस्थापक-अध्यक्ष श्री एस के बिल्लोरे सचिव श्री सुनील पारे उपस्थित रहे. सव्यसाची कला ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष श्री एस के बिल्लोरे ने बताया कि :"इस एलबम का निर्माण स्वर्गीया प्रमिला देवी की प्रेरणा से युवा संगीतकार श्रेयस जोशी,गायक आभास जोशी,संदीपा पारे(भोपाल) एवं गीतकार गिरीश बिल्लोरे मुकुल द्वारा किया गया था सभी ने नि:शुल्क उक्त कार्य को पूरे मनोयोग से पूर्ण किया है सव्यसाची-कला-ग्रुप जबलपुर इन कला साधकों का हार्दिक आभार मानते हुए नगर के उन सभी सम्मानित जनों का आभार मानता है जिनके कारण लक्ष्य की पूर्ती सहजता से हो सकी है |"

जिलाध्यक्ष श्री हरिरंजन राव ने डोनेशन स्वीकारते हुए कहा :-"लाइफ लाइन एक्सप्रेस के लिए यह पहला डोनेशन है जो सराहनीय है "

सुनील पारे

सचिव ,सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर

19 March 2009

क्षणिका

कुंठा जो जला देती है
मेरे मन में हरियाई
चिंतन की फसलें ...
तब कहीं दूर से आभासी
चित्र सी तुम उभरतीं हो
तुम जो मेरी आत्मा की आकांक्षा हो
मुझसे इतने दूर मत जाया करो कि मैं
"अपनी ही अंतस की आग में झुलस जाऊं "
*********************

16 March 2009

बावरे फकीर एलबम विमोचन

विकलागों की सेवा का संकल्प लेकर उसे पूरा करना उसे आकार देना अनुकरणीय है.मुझे बेहद प्रसन्नता है की सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर द्वारा जिस भक्ति एलबम "बावरे-फ़कीरा" का लोकार्पण किया जा रहा है सराहनीय कार्य है "-तदाशय के विचार दिनांक 14 मार्च 2009 को सायं:07:30 बजे स्थानीय मानस भवन में आयोजितभक्ति एलबम "बावरे-फ़कीरा" का लोकार्पण समारोह अवसर पर ईश्वर दास रोहाणी ने व्यक्त किये . कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री मुकेश गर्ग महानिदेशक संगीत संकल्प ने कार्यक्रम के उद्द्येश्य की सफलता के लिए समुदाय से अनुरोध किया जबकि अस्थि रोग विशेषज्ञ डाक्टर जितेन्द्र जामदार के बावरे-फकीरा एलबम टीम के सदस्यों आभास जोशी,गिरीश बिल्लोरे,श्रेयस जोशी,सहित सभी सदस्यों के कृतित्व पर प्रकाश डाला. डाक्टर जामदार का कथन था कि "गिरीश और ज़ाकिर हुसैन वो लोग हैं जो बैसाखियों से नहीं बैसाखियाँ उनसे चलतीं है.

बेहद अध्यात्मिक-उर्जा से परिपूर्ण वातावरण में एलबम का विमोचन कराने साईं बाबा बने एक बच्चे ने मशहूर पोलियो ग्रस्त गायक जाकिर हुसैन एवं आभास जोशी को मंच पर लाया गया . अतिथियों के अलावा बावरे फकीरा टीम के सदस्यों तथा श्रीमती पुष्पा जोशी श्री काशीनाथ बिल्लोरे की उपस्थिति में एलबम का विमोचन किया गया .

इस अवसर अंध-मूक-बधिर-विद्यालय के छात्र विशेष रूप से आमंत्रित थे .इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों श्री चारु शुक्ला {मंडला},विदिशा नाथ .मृदुल.श्रृद्धा बिल्लोरे.अक्षिता ,आकाश जैन ,दिलीप कोरी ,राशि तिवारी.शेषाद्री अय्यर के अलावा आभास जोशी एवं वाइस आफ इंडिया द्वितीय के गायक श्री ज़ाकिर हुसैन तथा संदीपा पारे द्वारा मनोरंजक गीत-संगीत निशा स्वर बिखेरे . आयोजकों के अनुसार एलबम के विक्रय से संगृहीत राशि संस्था द्वारा व्यय किया जावेगा.वर्तमान में इस हेतु लाइफ लाइन एक्सप्रेस को सहयोग हेतु एलबम के प्रथम संस्करण से प्राप्त लाभांश राशि जिला प्रशासन जबलपुर को सौंपी जावेगी.

आयोजन में उन व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया जिन्हौने वाइस आफ इंडिया प्रथम के दौरान आभास-जोशी-स्नेह मंच जबलपुर के आव्हान पर आभास जोशी के समर्थन में वातावरण निर्माण हेतु सहयोग किया. ,श्री रोहित तिवारी "हीरा",प्रहलाद पटेल मित्र गरीब मदद संस्था संस्थापक अध्यक्ष ,गनपत पटेल,प्रमोद देशमुख,अशोक जैन सुप्रभात क्लब जबलपुर,,श्री रमेश बडकुल ,यशो,श्री पंकज भोज,दीपांशु दुबे,अनुराग वरदे,आभास जोशी स्नेह मंच ,जबलपुर डाक्टर संध्या जैन श्रुति ,डाक्टर प्रशांत कौरव,जितेन्द्र चौबे,आभास जोशी स्नेह मंच ,भोपाल,के संजय चौरे,आभास जोशी स्नेह मंच , खंडवा योगेन्द्र जोशी,श्री गोविन्द दुबे,आभास के ज्योतिषी माधव यादव मनीष शर्मा,महावीर महिला मंडल महावीर कालोनी गुप्तेश्वर श्रीमती वन्दना जोशी,लता श्रीवास्तव,प्रवीणा टाक,सिमरन सूरी,कॅनॅडा से आए ब्लॉगर श्री समीर लाल,महिला परिषद् शिवनगर श्रीमती नीलम जैन ,श्रीमती आरती जैन, मंजू जैन,समीर विश्वकर्मा,योगेश गोस्वामी नितिन अग्रवाल, को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.

14 March 2009

उत्‍तर प्रदेश सरकार का मंत्री निकला मेरा सहपाठी है, 2 माह के लिये परीक्षा निरस्‍त

अत्‍यंत हर्ष का विषय है, कि गिरीश बिल्‍लोरे '' मुकुल'' की तरफ से दिनाँक 14 को आयोजित ''बावरे फकीरा'' सी‍डी एल्‍बम के विमोचन का कार्यक्रम आयोजित कर रहे है। जब श्री गिरीश जी ने इस कार्यक्रम की सूचना मुझे दी, मुझे बहुत ही अच्‍छा लगा। मै स्‍वयं इस कार्यक्रम का हिस्‍सा बनना चाह रहा था किन्‍तु मेरी परीक्षाऍं 17 मार्च से प्रारम्‍भ होने को थी किन्‍तु मुझे आज ही पता चला कि मेरी परीक्षाऍं अब स्‍थगित होकर 18 मई को प्रारम्‍भ होगी। खबर है कि उत्‍तर प्रदेश सरकार का कोई मंत्री मेरा सहपाठी है और चुनाव के चलते वो परीक्षा देने में असमर्थ है इस लिये विश्वविद्यालय प्रशासन को यह निर्णय लेना पड़ा। भला हो मंत्री का कि कल तक मेरे हाथ में किताब थी आज कीबोर्ड है। :) जब परीक्षा देने जाऊँगा तो मुँह से निकलेगा सत्‍यानाश हो मंत्री का की मई-जून की गर्मी में पेपर देना पड़ा रहा है।

जब मेरी श्री गिरीश जी से बात हुई थी तो उन्‍होने मुझे इस विमोचन कार्यक्रम में मुझे हार्दिक निमत्रित किया। उनका निमंत्रण मेरे लिये आदेश के समान था किन्‍तु जब मैने अपनी परिस्थिति उनके सामने रखी तो उन्‍होने कहा कि तुम्‍हारा काम ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है, आप उसे करों। साथ ही साथ उन्होने मुझे आदेश दिया कि मै महाशक्ति व महाशक्ति समूह के पाठकों को इस कार्यक्रम का खुला आमंत्रण दूँ ताकि वो इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर, कार्यक्रम की शोभा में चार-चाँद लगाये।

यह कार्यक्रम तथा ''बावरे फकीरा'' कई मायनो में महत्‍वपूर्ण है। बावरे फकीरा की सीडी में आवाज दिया है, उभरते सितारे अभास जोशी जो कई टैलेंट हंट प्रतियोगिता में सहभागिता की थी। इस सीडी के बार में यह भी बताना चा‍हूँगा कि यह पूरा काम निस्‍वार्थ भाव से विकलांग बच्‍चो के सहायतार्थ आयोजित किया जा रहा है। इस सीडी से प्राप्‍त सम्‍पूर्ण धन इन बच्‍चों के उपर खर्च किया जायेगा।

खैर, आप सभी कार्यक्रम के अंग बने, और कार्यक्रम को सफल बनाये, अगर मै अब भी कोई ट्रेन या बस पकडूगाँ तब पर भी नही पहुँच पाऊँगा। कार्यक्रम की सफलता के की कामना करता हूँ, और आग्रह करना हूँ कि कल्‍याणार्थ सीडी को एक बार जरूर सुने।

06 March 2009

बावरे फकीरा प्रोमो

GIRISH BILLORE'S WORLD

धर्मक्षेत्रे

ॐ ईशा वास्यमिदँ सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत् ।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ॥१॥

अनुवाद :- अखिल विश्‍व मे जो कुछ भी गतिशील अर्थात चर अचर पदार्थ है, उन सब मे ईश्‍वर अपनी गतिशीलता के साथ व्‍याप्‍त है उस ईश्‍वर से सम्‍पन्‍न होते हुये से तुम त्‍याग भावना पूर्वक भोग करो। आसक्‍त मत हो कि धन अथवा भोग्‍य पदार्थ किसके है अथार्थ किसी के भी नही है ? अत: किसी अन्‍य के धन का लोभ मत करो क्‍योकि सभी वस्‍तुऐ ईश्‍वर की है। तुम्‍हारा क्‍या है क्‍या लाये थे और क्‍या ले जाओगे।

01 March 2009

लाइफ लाइन एक्सप्रेस

{स्वर्णिम,अंकुर,गिरीश,आभास,नानाजी,आशीष-सक्सेना,श्रेयस जोशी ये है बावरे फकीरा टीम }
मुझे विश्वास नहीं हो रहा पर सच है साईनाथ ने दो हाथों से खुशियाँ दे दी मुझे दो बरस से ज़्यादा वक़्त बीत गया ... "बावरे-फकीरा" को बने मुझे लगा शायद जनता के बीच न जा सकेगा ......ईश्वर की मर्ज़ी यही थी कि जब लाइफ लाइन ट्रेन जबलपुर आएगी तभी एलबम लांच होगा । जी हाँ यही सच था है और रहेगा....! अप्रैल माह में लाइफ लाइन एक्सप्रेस ...........जबलपुर आयेगी। समय से पहले कुछ होना सम्भव नहीं हर काम का समय तय शुदा है... यही ईश्वर की करामात है। अब साई और क्या कमाल करेंगे मेरा मन उन ही छोड़ता अपना और "बावरे-फकीरा"का कल आज और कल............यानी सब कुछ "रब की मर्ज़ी पर "

कट पेस्ट

लाइफ लाइन एक्सप्रेस के बारे में उनकी आधिकारिक साइट से साभार




It was a simple dream. All it wanted was that people should not, through neglect or ignorance, become disabled or crippled, and thus robbed of health, productivity and joy, and that disabled persons especially in rural India should have access to medical services wherever they be.

On 16th of July, 1991, this dream came true, when Impact India's Lifeline Express, the world's first hospital on a train, was launched.

Over 400,000 Indians have so far benefited from the remarkable train, and other countries have come forward to start their Lifeline Express on which major surgeries have been performed to restore movement, hearing, sight and correction of clefts.

As the dream comes of age today on its 16th Anniversary, Impact proves that when the vision is clear, and the will is firm, hands will always rise to help, and that the human spirit resolved to reach out to help cannot be stopped. You, too, can help.

Extracts from Honourable Union Railway Minister Lalu Prasad's address at the inauguration of the new five-coach Lifeline Express on July 12 th, 2007 at the National Rail Museum, New Delhi.

The Magic Train of India

Miraculously, a hospital that comes to its patients

"You know," said Jawaharlal Nehru one day, " sometime you ought to use a train, the Indian Railways. It is most efficient and covers every village. "

When Pandit Nehru voiced himself to Sir John Wilson, a prominent British Advocate for the disabled, founder of IMPACT, little did Panditji realize that his words would some day germinate the concept of a hospital-train.

The leaders of Impact India took up the challenge of turning Sir John's idea into reality and created the Lifeline Express ( Jeevan Rekha ), bringing the benefits of modern medicine free of cost to millions of poor villagers in rural India.

The Train carries hope for the crippled children of India

The Lifeline Express, the world's first hospital on a train, for outreach into inaccessible rural areas where medical services are not available; offering on-the-spot diagnostic, medical and advanced surgical treatment for preventive and curative interventions for the handicapped, using the Indian Railway Network which is the largest in the world comprising about 63,500 kilometres of tracks.

The LIFELINE EXPRESS hospital train has become a model for transfer of Indian appropriate technology to setting up similar projects in China, Zimbabwe and a hospital river boat "Jibon Tori", in Bangladesh.

This project has been developed in collaboration with the Indian Railways and Health Ministry. It has been funded by Impact UK, international charitable sources, Indian corporate houses and individuals.


· Restoration of sight through cataract operations and providing Intra Ocular Lenses


(Assessment of curvature of cornea by a Keratometer)

· Restoration of hearing through surgery and supply of hearing aids

  • Correction of clefts through surgery
  • Counselling and referral services

· Follow-up of patients' progress through arrangements with local authorities

· Preventive services in the form of immunization, administration of nutrients, and creating health awareness among the deprived in the neglected rural and semi-urban areas

· Opportunity provided to medical and other voluntary personnel to work in a unique field situation

· Teaching surgeons, working in smaller towns, the finer skills of micro-surgery

· Training health workers, doctors and other Non-Government Organisation's on various health issues

Top

By ensuring access to such services for the needy and the deprived in the remote areas, the Lifeline Express not only renders a much needed service but also raises the efficiency level of the existing local government and voluntary health infrastructure. It also encourages the local bodies of the area, who are involved in all aspects of the programme, to provide follow-up services after the Lifeline Express has departed.

It leaves behind much greater awareness and a better motivated administration for the handicapped. It serves a similar purpose among the voluntary agencies and the general population. And last but not the least, it creates awareness about this easily replicable project.

At the macro level too, the Lifeline Express creates awareness and motivation for the cause of the handicapped, across a wide cross section, since various agencies particularly the Government, business houses, voluntary organisations and individual volunteers are involved in each programme.

The extensive media interest which the Lifeline Express invariably generates also aids this process and consequently, the impact generated is beyond the medical services provided by each individual Lifeline Express project. Impact India and its Lifeline Express are committed to combat the appalling loss of productive life and economic