कुछ लोग हिंदू धर्म के संबंध में बिना सोचे समझे इस प्रकार का वर्णन कर देते है जो अत्यंत दुखी करने वाला होता हैं ऐसी टिप्पणियां निहायत अध्ययन रहित और दुर्भावना से प्रेरित होती है।
ऐसे लोगों को मैं स्पष्ट रूप से बता देना चाहता हूं कि हिंदू धर्म में भय से भगवान का निर्माण नहीं हुआ है। डर से देवता का निर्माण नहीं हुआ है। हमारे यहां हिंदू धर्म में देवी और देवता वह हैं जो संसार को कुछ देते हैं। संसार से कुछ भी नहीं लेते हैं। हमारे यहां विभिन्न परंपराओं में पशु,पक्षी,वृक्ष और झाड़ियों की पूजा होती है।
यहां पूजा का अर्थ धन्यवाद देना है। उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना है। आपने देखा होगा हिंदू समाज के लोग नीम के पेड़ में जल छोड़ते हैं। नीम को ही शीतला माता का दर्जा दिया गया है। आज विश्व मान रहा है कि नीम में औषधीय गुण हैं यह तमाम बीमारियों से व्यक्ति को दूर रखता है।
दुर्भावना से भरी व्याख्या व्यक्ति को दिग्भ्रमित कर सकती है। सनातन संस्कृति के विशाल भंडार का अध्ययन करके ही यदि इस पर टीका टिप्पणी की जाए तो उचित होगा।