24 February 2009
धर्म क्षेत्रे - महापुरूष (विवेकानन्द) उवाच
तुमने किसी का मकान छीन लिया तो किराये के मकान से वह जीवन गुजार लेगा लेकिन तुमने उसकी श्रद्धा तोड़ दी, श्रद्धा का दुरुपयोग कर दिया, ईश्वर से, शास्त्र से, गुरु से, भगवान के मार्ग से, साधन-भजन से उसको भटका दिया तो वह अपने मकान में होते हुए भी स्मशान में है। रूपयों के बीच होते हुए भी वह बेचारा कंगाल है। उसके दिल की शांति चली गई जीवन से श्रद्धा गई, शांति गई, साधन-भजन गया तो भीतर का खजाना भी गया। बाहर के खजाने में आदमी कितना भी लोट-पोट होता हो लेकिन जिसके पास भक्ति, साधन, भजन, श्रद्धा का खजाना नहीं है वह सचमुच में कंगाल है
सम्पतिशाली बनने का देवी उपाय
मूल लेखक : MAHESH CHANDER KAUSHIK
23 February 2009
सुभाषित क्रमांक - 2
पर पीड़ा नहिं अधमाई।।
22 February 2009
सुभाषित क्रमांक - 1
सोत्साहस्य हि लोकेशु, न किंचिदपि दुर्लभम्।।
20 February 2009
बवाल ने किया कमाल/ नर्मदे हर हर ...
उर्फ़ इलाहबादी तड़का लगाने वाले भाई साहब जी
"सादर नर्मदे हर हर "
अपने पोस्ट मिसफिट पे जाकर ठेल रहा था कि रात पौने दो बजा । फ़िर अल्ल-सुबह जागने की गरज से एक अन्तिम चतुष्पदी की अन्तिम लाइन के लिए न तो शब्द मिल रहे थे न कुछ लिखने की इच्छा ही हो रही थी आँखें जलने लगीं ....... बस सोचा बवाल दिन भर ब्लागिंग करेंगे अपुन सो लें .......... चलो उनको पोस्ट के लिए भी प्रेरित कर दे लगे हाथ ....... सो बस लिख दिया अधूरी कविता बवाल पूरी करेंगे.... हुआ भी यही भाई ने दिन भर की टालमटोल के बीच बेहतरीन पोस्ट दे डाली यानी कि"तामीले-हुक्म " किया गया हम सोच रहे थे पता नहीं बवाल क्या सोचेंगे छेड़ तो दिया किंतु आज बवाल का दिन था होना ही था क्योंकि व्हाया हमारी पोस्ट से धडाधड आदेश जारी हुए कुछ यूँ-
उड़न तश्तरी -
सीमा गुप्ता-सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
" बहुत जानदार ............निशब्द कर दिया इन पंक्तियों ने.
Regards
ताऊ रामपुरिया -...लाजवाब है..अब बवाल भाई का इन्तजार करते हैं.
रामराम।
तब कहीं जाकर भाई बवाल बोले -हाँ जी मगर ये बतलाइए कि टिप्पणी में ही पूरा करूँ या पोस्ट के माध्यम से ? निर्देश के इंतज़ार में -
यानी कि माहौल की तपास शाम को मेरे आफिस में भाई ने सूचित किया :-"काम कर दिया...!"
घर आकर एक उम्दा पोस्ट मिली सुंदर कविताई मज्जा आ गया भाई वाह.....वाह......!!
रंजू दीदी का आभारी भी हूँ जो उनने कहा
रंजना [रंजू भाटिया] गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये,बहुत खूब ..बेहतरीन
शेष शुभ
हर हर गंगे
16 February 2009
प्यार का इजहार
नजदीक आते नही।
छुप छुप कर वे,
नखरे दिखाते है वे।।
स्कूल की गलियो से,
कालेज के कैम्पस तक।
तुम्हारे प्यार की आस में,
चक्कर लगता था।।
ऐसा नही है कि तुम,
हमसे प्यार नही करते हो,
लगता है मुझको,
इजहार करने से डरते हो।।
14 February 2009
हम प्रेम को यौन-संबंधों का प्रतीक क्यों मान रहे हैं ?
फ़िर प्रतिक्रया व्यक्त कर के हम प्रेम को यौन-संबंधों का प्रतीक क्यों मान रहे हैं ? 'यदि ये ये हो रहा है तो उसका दोषारोपण किसी पर्व को देना गैर-ज़रूरी है'' अब तो इसके अमानवीय संस्करण सामने आ रहें हैं .
मैं यौन-संबंधों के लिए सामाजिक वर्जनाओं को आदर करता हूँ ..... इन मूल्यों की रक्षा का हिमायती भी हूँ .... यौन विकृत युवाओ को समाज के मूल्यों का पालन करना ही होगा . किंतु प्रेम करने से रोका जाना वह भी धर्म की आड़ लेकर हिन्दू होने के नाते ऐसे तालिबानी-उपबंधों/संकल्पों की जितनी निंदा की जाए कम होगी .
विस्तार से यहाँ=>जाने मेरी सोच ।
हिंदू,इस्लाम,ख्रिस्त,सभी का आदर करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं सच्चे प्रेम के लिए । इसके लिए सबसे पहले इस्लामिक आतंकवाद की विश्व से समाप्ति ज़रूरी है.
09 February 2009
ब्लॉग-पार्लियामेन्ट
ब्लॉग जगत अब प्रजातान्त्रिक-सूत्र में पिरोया जाने वाला है। इसकी कवायद कई दिनों से फुनिया फुनिया के कई दिनों से जारी थी. सूत्रों ने बताया इस के लिए आभासी-संविधान की संरचना के प्रयास युद्ध स्तर पर जारी हैं . बताया जाता है की जिस शहर में सर्वाधिक ब्लॉगर होंगे उसे "ब्लागधानी "बना दिया जाएगा . ब्लॉग'स में प्रान्त/भाषा/जाति/वरन/वर्ग/आयु का कोई भेदभाव नहीं होगा . कुन्नू सिंह की अध्यक्षता में बनने वाली ब्लॉग-संविधान की संरचना की जानी लभग तय है. जिसके प्रावधानों में निहित होगी ब्लॉग-सरकार की व्यवस्थाएं .अंतरिम-सरकार के सम्बन्ध में अनाधिकृत जानकारी के अनुसार एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाना है जिसका संघीय स्वरुप होगा . तथा शासनाध्यक्ष /मंत्रालय की निम्नानुसार व्यवस्था प्रस्तावित होगी :-
- ब्लागाध्यक्ष: एक पद
- प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
- अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
- कायदा-मंत्री
- टिप्पणी-मंत्री
- प्रति-टिप्पणी मंत्री
- गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती
- बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री
- नारी-ब्लॉग मंत्री
- राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
इस चालीसा के अलावा १०० से अधिक बिलागर जबलपुर के ही होंगे अभी 20-25 हैं मार्च के बाद 100 से अधिक होंगे
"बोलो नरमदा माइ की जय "
1. ब्लागाध्यक्ष: एक पद
2. प्रधान-ब्लॉग-मंत्री
3. अन्तर-राष्ट्रीय मामलों के मंत्री
4. कायदा-मंत्री के आगे अल न लग जाए अत: क़ानून-मंत्री कहा जावे टिप्पणी-मंत्री
6. प्रति-टिप्पणी मंत्री
7. गुम-नाम टिप्पणी प्रतिषेध-मानती में मानती को मंत्री बांचिये
8. बिन-पडी पोस्ट टिपियाना मंत्री को सुधार कर "बिन-बांच टिप्पणी टांक मंत्रालय " करा दिया है
9. नारी-ब्लॉग मंत्री
10। राजनीतिक /धर्म/संस्कृति/तकनीकी सहित उतने मंत्री होंगें जितने विषयों पर ब्लॉग लिखे जा रहें हैं।
इस संशोधन की ज़रूरत थी पोस्ट में संशोधन के लिए सहयोगी मित्रों का आभार : गुरु अनूप जी वे भी इसकी चर्चा की है यहाँ उनका हूँ :
आ....भारी ..............आभारी
02 February 2009
ठीकरा फोड़ समारोह से मिले समस्त ठीकरे मुझे स्वीकार्य : कहिये ॐ शान्ति...श्स्स्न्ती....!!
एक भाई साहब इर्दगिर्द भी ऐसा ही कुछ घट रहा है जो लोग उसे जानते भी नहीं बेचारे स्नेह वश उसके माथे पे टीका लगा के चले जातें हैं क्रम चला आगे तो ये तक हुआ कि जिनके बाल कड़े होने के कारण शेव करने में कठिनाई हो रही थी उनके बाल कार्यक्रम के इंतज़ाम में शामिल एक दुर्जन के सर - कार्यक्रम के बाद के, ठीकरा फोड़ समारोह की चल-रिपोर्ट पठन से खड़े हो जाते और सट-सट शेव हो जाती . लंबे समय तक कुंठावश कसमें खाईं और खाई बनाई। जिसके बगैर सब कुछ चल सकता था । खैर "समय की प्रतीक्षा करना ज़रूरी था'' किंतु अब ज़रूरी हो गया था कि सब कुछ खुलासा कर दिया जाए सो वो आलेख के इसी किसी भाग में लिख दिया जाएगा । डरता भी हूँ की कहीं कोई बवाल न मच जाए .
किंतु एकतरफा कारर्वाई इस टीकाकरण समारोह के प्रायोजक भी अकबकाए...... अंत में पिछली कसमों पर इस उस का हवाला देकर बदली गयी । जिसकी सबको उम्मीद थी ।
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- नर्मदा-काधुँआधारस्वरुप:-सब को मालूम किंतु सब के लिए मनोरम नयनाभिराम दृश्य माँ ने हर और यहदृश्य नहीं रखा जहाँ ज़रूरी था वहाँ सरल मंथर भी रहीं माँ नर्मदा। नर्मदा जयंती की शुभकामनाओं के साथ
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खुलासा
· यूँ कि मैंने Vijay Tiwari "Kislay" एवं डूबेजीके आग्रह दिनांक 17-01-09 के कारण मीट की सहमति दी साथ ही भावातिरेक एवं ब्लागर्स मीट के लिए उत्साहित होकर आयोजन को सफल बनाने के लिए माहौल भी बनाया . समीर भाई की व्यस्तताओं के मद्दे नज़र ज़रूरी था कि उनके पिछले प्रवास पर संकल्पित मीट जैसा हश्र न हो । समय पर मैं पहुंचा किंतु कुछ मित्र अपनी वैयक्तिक परिस्थितियों के कारण न आ सके......! उनमें पंकज स्वामी,माधव सिंह यादव , डाक्टर विजय तिवारी आदि थे यह बात कोई अप्रत्याशित नहीं कोई भी व्यक्ति समय और सामयिक परिस्थिति के हाथों मजबूर हो सकता है । जो मित्र नहीं आए वे गैर जिम्मेदार नहीं थे उनकी परिस्थितियाँ थीं जो वे न आ सके. रहा आयोजन का सवाल बेहद उपयोगी था । रिपोर्ट न दे सका सरकारी व्यस्तताएं थीं . 10 से 5 बजे तक का काम नहीं है रात बिरात यदि कोई काम सौंपा जाता है निबाहना मेरा फ़र्ज़ है. जबलपुर के एक ब्लॉगर मित्र ने आयोजन की रिपोर्ट तैयार की और पोस्ट कर दी जो मीट की सफलता ही है भाई संजीव तिवारी उनकी यह तीसरी पोस्ट थी यानि मीट का असर अच्छा रहा . उधर बिटिया शैली एवं डूबे जी , सब उत्साहित रहे . एक मित्र डाक्टर प्रशांत कौरव ब्लागिंग का पाठ्यक्रम तैयार कराने का अनुरोध कर गए ताकि ब्लागिंग के लिए क्रेश कोर्स न्यूनतम दरों पर उनके कालेज जबलपुर-कालेज ऑफ़ मीडिया एंड जर्नलिज्म में चलाएं जा सकें . वे नि:शुल्क सेमीनार का भी आयोंजन करना चाहतें हैं ताकि हिन्दी-ब्लागिंग को बढावा मिले . मीट में यह भी तय हुआ कि हर ब्लॉगर कम-से-कम एक ब्लॉगर तैयार करे.
अब बताएं इसमें क्या किसी का सम्मान कम होता है सार्वजनिक कार्य करना न करना सबका अपना मामला है ।
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- सार्वजनिक संकल्पों में कोई आए तो अच्छा न आए तो अच्छा । सभी अपना अपना व्यक्तित्व, क्षमता, दक्षता साथ लेकर चलते हैं । कोई अपनी रजाई में बैठ कर जाड़ों से बचता है तो कोई ठण्ड से बचने जोगिंग करता है। मेहनत करता है।
- ग़लत दौनों नहीं तो भाई ग़लत कौन है...? - ग़लत हैं कुंठाएं,क्रोध,मतिभ्रम,.......
- न तो मैं कोई संकल्प ले रहा हूँ न ही कोई कसम खा रहा हूँ कि मैं किसी समारोह में न जाउंगा जहाँ वे जातें हों जिनसे मैं असहमत हूँ ..... सच तो यह है कि मेरा शत्रु कष्ट में भी बुलाएगा तो ज़रूर जाउंगा । कोई (शत्रु-मित्र) कष्ट में होगा मुझे उसकी मदद करना ही होगा ।
- मित्रो मुझे स्वीकारिए या नकारिये सुबह से शाम तक मुझे मेरे सभी काम पूरे करने हैं सो करूंगा सही बात सही वक्त पर करूंगा इसमें कोई गफलत होगी तो मैं जिम्मेदार हूँ कोई और नहीं ........ क्या हिन्दी ब्लॉगर की संख्या बढ़ने से किसी एक को लाभ होना है……….?
"ता उम्र जो अपना चेहरा पढ़ सका
अब हम उसके हाथों आइना नहीं देंगे "
अब मेरी और से कोई पोस्ट न आएगी जिसमे जबलपुरिया मीट के बाद के तीसरे विश्व युद्ध का आभास हो भाई सपको ब्लॉग:सलाम