।। श्री गोभ्यः नमः।।
आनंदवन पथमेड़ा भारत देश की वह पावन व मनोरम भूमि है जिसे भगवान श्री कृश्ण ने कुरूक्षेत्र से द्वारिका जाते समय श्रावण,भादो महिने में रूककर वृन्दावन से लायी हुई भूमण्डल की सर्वाधिक दुधारू,जुझारू,साहसी,शौर्यवान,सौम्यवान,ब्रह्मस्वरूपा गायों के चरने व विचरने के लिए चुना था। गत 12 शताब्दियों से कामधेनु,कपिला,सुरभि की संतान गोवंश पर होेने वाले अत्याचारों को रोकने के लिये सन् 1993 मे राष्ट्रव्यापी रचनात्मक गोसेवा महाभियान का प्रारम्भ इसी स्थान से हुआ है।
जिसके अन्तर्गत सर्वप्रथम श्री गोपाल गोवर्धन गोशाला श्री गोधाम महातीर्थ की स्थापना कर पश्चिमी राजस्थान एवं उतर पश्चिमी गुजरात के विभिन्न क्षेत्रों में गोसेवा आश्रमों,गोसंरक्षण केन्द्रों तथा गोसेवा शिविरों की स्थापना करना प्रारम्भ किया। इस अभियान द्वारा गोपालक किसानों तथा धर्मात्मा सज्जनों के माध्यम से गोग्रास संग्रहित करके गोसेवा आश्रमों में आश्रित गोवंश के प्राण पोशण का निरन्तर प्रयास प्रारम्भ हुआ। उपरोक्त महाभियान के प्रथम चरण में क्रूर कसाइयों के चंगुल से तथा भयंकर अकाल की पीड़ा से पीड़ित लाखों गोवंश के प्राणों को संरक्षण मिल सका।
श्री गोधाम महातीर्थ की स्थापना से लेकर आजतक अत 17 वर्शो में श्री गोधाम पथमेड़ा द्वारा स्थापित एवं संचालित विभिन्न गोसेवाश्रमों में आश्रय पाने वाले गोवंश की संख्या क्रमशः इस प्रकार रही है-सन् 1993 में 8 गाय से शुभारम्भ,सन् 1999 में 90,000 गोवंश सन् 2000 में 90,700 गोवंश सन् 2001 में 1,26,000 गोवंश,सन् 2003 में 2,84,000 गोवंश सन् 2004 में 54,000 गोवंश, सन् 2005 में 97,000 गोवंश, सन् 2009 में 72,000 हजार इस प्रकार लगातार चलते हुए वर्तमान सन् 2010 में 2,00,000 लाख से अधिक गोवंश सेवा में है, जो की अकाल की विभीशिका के चलते बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही प्रदेश के विभिन्न भागों में अस्थाई गोसेवा अकाल राहत शिविरों में लाखों गोवंश को आश्रय देने का कार्य प्रारम्भ हो गया है।
अन्त में ’’ कामधेनु कल्याण परिवार श्री गोधाम पथमेड़ा ’’ भारत की धर्मपरायण जनता से विनम्र प्रार्थना करता है कि श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा प्रायोजित रचनात्मक एवं सृजनात्मक गोसेवा महाभियान में आप सभी तन-मन-धन से पूर्ण सहयोग करके इस सर्व कल्याणकारी कार्य को गति प्रदान करें तथा गोसेवा के महान पुण्य को अवश्यमेव अर्जित करें।
जय गोमाता जय गोपाल।
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