विन्ध्याचल भवानी की महिमा अपरम्पार है, एक सज्जन माता की दुर्लभ चित्र लेकर जा रहे थे। अचानक वह किसी कारण वश कहीं छूट गया। एक दिन एक व्यक्ति फोन करता कि माता की तस्वीर मेरे पास है आप अपना पता बता दे तो मै उसे पहुँचा दूँ। उन सज्जन ने अपना नाम और मोबाईल नम्बर लिख दिया था। उन सज्जन ने उक्त फोन करने वाले से कहा कि बन्धु माता को मेरे द्वारा पर अभी नही आना था, माता को आपके घर पर ही आसन ग्रहण करना था। आप माता की विधिवत पूजा करें और माता को अपने गृह में विराजमान करें।
निश्चित रूप से हम बस तो एक अंश है, सारा किया धरा तो मॉं का ही होता है, जो समय से पहले नही होता है। माँ को जहाँ जाना होगा वहीं जायेगी, वह किसी व्यक्ति विशेष से तालुक नही रखती है। जो होना लिखा है वही होता है, जो नही होता है उसमें भी माँ की इच्छा और आशीर्वाद है।
जय माँ विन्ध्यवाशिनी
2 comments:
bilkul sahi kaha aapne maa antryami, dayalu avam apne bhakton ke kast ko harne wali hai.
सत्य वचन!- जय माँ विन्ध्यवाशिनी
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