तुम्हरी यादो के सहारे,
हम यूँ ही जी रहे है।
कभी तुमको देख कर,
हम यूँ जी-जी कर मर रहे है।
ग़र एहसास को समझो,
हम प्यार तुम्ही से करते है।
तुम समझो या न समझो,
हम प्यार तुम्ही से करते है।।
तोड़ के सारे बंधन को,
रिश्तो को उन नातो को।
प्यार तुम्हारा पाने को,
हद से गुजर जाने को।।
इश्क की गहराई को,
कभी नापा नही जाता।
प्यार को ग़र समझो,
तो प्यार की गहराई को खुद नापो।।
हीर रांझा तो हम इतिहास है,
इश्क हमारा तुम्हारा सिर्फ आज है।
मेरे दिल के सपनो में आती हो सिर्फ तुम,
आ कर पता नही कब चली जाती हो तुम।।
हम यूँ ही जी रहे है।
कभी तुमको देख कर,
हम यूँ जी-जी कर मर रहे है।
ग़र एहसास को समझो,
हम प्यार तुम्ही से करते है।
तुम समझो या न समझो,
हम प्यार तुम्ही से करते है।।
तोड़ के सारे बंधन को,
रिश्तो को उन नातो को।
प्यार तुम्हारा पाने को,
हद से गुजर जाने को।।
इश्क की गहराई को,
कभी नापा नही जाता।
प्यार को ग़र समझो,
तो प्यार की गहराई को खुद नापो।।
हीर रांझा तो हम इतिहास है,
इश्क हमारा तुम्हारा सिर्फ आज है।
मेरे दिल के सपनो में आती हो सिर्फ तुम,
आ कर पता नही कब चली जाती हो तुम।।
4 comments:
वाह! बहुत खूब.... खूबसूरत रचना....
बहुत बढ़िया है.
बहुत सुंदर कविता
ग़र एहसास को समझो,
हम प्यार तुम्ही से करते है।
तुम समझो या न समझो,
हम प्यार तुम्ही से करते है।।
सुंदर अभिव्यक्ति,,बधाई!!
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