28 January 2010

उत्तर प्रदेश के जिले


उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक जिलो वाला प्रदेश है, इस प्रदेश मे कुछ 70 जिले है जो निम्‍न है-
  1. अंबेदकर नगर जिला
  2. आगरा जिला
  3. अलीगढ़ जिला
  4. आजमगढ़ जिला
  5. इलाहाबाद जिला
  6. उन्नाव जिला
  7. इटावा जिला
  8. एटा जिला
  9. औरैया जिला
  10. कन्नौज जिला
  11. कौशम्बी जिला
  12. कुशीनगर जिला
  13. कानपुर नगर जिला
  14. कानपुर देहात जिला पुराना नाम अकबरपुर जिला
  15. गाजीपुर जिला
  16. गाजियाबाद जिला
  17. गोरखपुर जिला
  18. गोंडा जिला
  19. गौतम बुद्ध नगर जिला
  20. चित्रकूट जिला
  21. जालौन जिला
  22. चन्दौली जिला
  23. ज्योतिबा फुले नगर जिला
  24. झांसी जिला
  25. जौनपुर जिला
  26. देवरिया जिला
  27. पीलीभीत जिला
  28. प्रतापगढ़ जिला
  29. फतेहपुर जिला
  30. फ़र्रूख़ाबाद जिला
  31. फिरोजाबाद जिला
  32. फैजाबाद जिला
  33. बलरामपुर जिला
  34. बरेली जिला
  35. बलिया जिला
  36. बस्ती जिला
  37. बदायूँ जिला
  38. बहराइच जिला
  39. बुलन्दशहर जिला
  40. बागपत जिला
  41. बिजनौर जिला
  42. बाराबांकी जिला
  43. बांदा जिला
  44. मैनपुरी जिला
  45. महामयानगर जिला पुराना नाम हाथरस जिला
  46. मऊ जिला
  47. मथुरा जिला
  48. महोबा जिला
  49. महाराजगंज जिला
  50. मिर्जापुर जिला
  51. मुझफ्फरनगर जिला
  52. मेरठ जिला
  53. मुरादाबाद जिला
  54. रामपुर जिला
  55. रायबरेली जिला
  56. लखनऊ जिला
  57. ललितपुर जिला
  58. लखिमपुर खेरी जिला
  59. वाराणसी जिला
  60. सुल्तानपुर जिला
  61. शाहजहांपुर जिला
  62. श्रावस्ती जिला
  63. सिद्धार्थनगर जिला
  64. संत कबीर नगर जिला
  65. सीतापुर जिला
  66. संत रविदास नगर जिला
  67. सोनभद्र जिला
  68. सहारनपुर जिला
  69. हमीरपुर जिला
  70. हरदोइ जिला

27 January 2010

लघुइका


तुम प्‍यार हमे करते हो,
पर कॉल क्‍यो नही करते हो।
जब बैलेंस की चिन्‍ता करते हो,
तो क्‍या खाक प्‍यार हमे करते हो।।

23 January 2010

मै और तस्‍वीर

dard ko
मै रोज उसकी तस्वीर को लेकर,
देर तक निहारता हूँ।
शायद अब मेरे दर्द को समझेगी,
और मेरा हाल पूछेगी।।

अखिर तस्वीर तो भी निष्‍ठुर थी,
अखिर तस्‍वीर भी तो उसकी थी।
मूक तस्‍वीर के आगे मेरी आस टूट गई,
याद मे जी रहा हूँ बस सांस तो टूट गई।।

mai aur tasvir

21 January 2010

न तुम उदास हो , ना तुम निराश हो



न तुम उदास हो ,
ना तुम निराश हो.
जीने की राह में
दोस्तों के साथ हो..

जीत में भी हार में भी,
प्यार में भी रार में भी.
मन को न निराश करो,
खुश दिल मिजाज़ बनो..

न तुम स्वयं के लिए जियो,
जियो तो कम से कम आपनो के लिए.
न कभी खुद निराश हो,
न कभी अपनों को निराश करो..

जिन्दगी तो God Gift है,
न जियो आप अपने लिए सही
जियो तो सही हमारे लिए,
हम भी तो आपके ही है..

17 January 2010

कर्म मेरा नेक्स्ट स्टॉप दिल्ली .. धर्म मेरा नेक्स्ट दिल्ली . आई लव माई नेक्स्ट स्टॉप दिल्ली..!

नोट- भले ही यह कहानी सच के करीब लगे, लेकिन यहां ये कहना लाजिमी है कि इसका किसी लड़की या घटना से सीधे-सीधे कोई लेना देना नहीं है। कहानी में आई घटना का किसी लड़की-विशेष की जिंदगी से मिलना महज एक संयोग हो सकता है!!!

बाकि सब सपने होते है... ।अपने तो अपने होते है ...!

ऐसा लगता है , जहां तुम हो वंहा मै हूं! इस शहर की मिट्टी की खुशबू ह़ी कुछ और है ! यंहा के लोगो का प्यार, यंहा की गलियां और तो और यंहा की इमारते भी बोलती है ! प्यार का क्या मतलब होता ! सिर्फ और सिर्फ ...? मै कोई बरेली के बाजार में .. बरेली के बाजार में..का जिक्र नहीं कर रहा हूं!

कोई उसे बोले इस बार मै सारी नाराजगी दूर कर दूंगा ! प्रेम यह तुम क्या कह रहे हो ! हाँ किरण - ऐसी छोटी -छोटी और कटी -कटी बात मत किया करो ! वह कोई गैर नहीं है ! जिसे तुम नफरत करती हो वही तुम्हारा कल अपना होगा ! और तुम तो जानती हो .... बाकि सब सपने होते है... .अपने तो अपने होते है ...!


प्रेम --सारी उम्र हम मर- मर के जी लिये एक पल तो हमें जीने दो !! क्यों बहाने बनाते हो !

.
किरण जरा तस्बीर से तू निकल कर बाहर आ ! तुम्हे पता है उस दिन के बाद एक -एक दिन अनाथो की जिन्दगी जी रहा हू! यह उमीदे मत तोड़ो ! बोलो क्यों तुम सिर्फ तस्बीरो में बन कर रही गई हो ..! दिल से एक बार बोल दो ! तुम्हे पता है हम नए रिश्ते बनाने के लिये पुराने रिश्ते को तोड़ नहीं देते !आज पूरी दुनिया हमारे रिश्ते को जान गई है और पहचान गई है ! रिश्ता एक अटूट बिश्वास का ?

तुम्हे पता है दुनिया में जितने अच्छे लोग है आज वह एक प्यार की कड़ी में बंधे हैं! आज तुम्हारे रिश्ते प्रेम की जिन्दगी आवाद हो सकती है ! आज तुम्हारे ऒठो की खामोसी पर पूरी दुनिया की नजर है ! मानो कंही आग लगने से पहले उठता है ऐसा घुंआ. ! बोले तो - आदमी अकेला हो या या फिर मेला है .! फिर ... स्पीच मत दो //


हा प्रेम मै एक पागल लड़की हूं! क्या पता .. सब कुछ पा लिया हू ..पर कुछ नहीं पाई हू जैसा लगता है ! इतना होने के बौजूद डेल्ही में दिल नहीं लगता !


मुझे एक इन्सान का प्यार की जरूरत है ! कैसा किरण ..?

प्रेम -खुद से पूछ लो कैसा प्यार की मुझे जरूरत है ! क्या मै इसी सपने के साथ दिल्ली
आई थी! याद है तुम से एक बार हम से पूछी थी .. क्या तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगे !

किरण ..अब तो ऐसा लगता है ,,, मानो या ना मानो तुम्हे प्यार हो गया है ! तस्बीर से पूछो.. तुम बाहर निकल कर आ जाओ ! क्या ये
भी एक दीवानगी है .. क्या तुम इसे सच में बदल सकते हो !

कुछ बक्त तो दो ! और ऐसे भी मै एक पागल इन्सान हू ..क्या पता एक दिन इसे सच में बदल दू ..! ऐसे भी मुज में सरीफ , सिगरेट और लड़की जैसा कोई ऐब नहीं है ..! तो क्या बता दू ----अब फैसले लेने का बक्त नजदीक आ गया है !!

शुक्रिया

यह पोस्ट कहानी रणजीत New Delhi की है आप इनका प्रोत्सहान करे

09 January 2010

कागज के पुराने टुकड़ो से - औरो को सताने वाले खुद चैन नहीं पाते हैं...

आज पुराने चंद कागज मिले उसमे मेरी खुद की लिखी रचना मिली . यह रचना मेरे द्वारा उस समय लिखी गई थी जब पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद चरम सीमा पर था. आपकी सेवा में आज प्रस्तुत कर रहा हूँ.


औरो को सताने वाले खुद चैन नहीं पाते हैं

औरो को जलाने वाले भी खुद जला करते हैं.

गरीबो के घरौदे जलाकर तुम्हे क्या मिलता है

गरीब की आह हर मोड़ पे तुझे बरबाद कर देगी

गुरुर है तो खुद अपना आशियाँ जलाकर देखो.

ऐ मानवता के दरिन्दे महेंद्र तुझे सलाह देता है.

शांति मिलेगी गरीब की कुटिया सजाकर देखो.

तुम औरो को बेवजह जलाकर खुद न जलो

मानवता के पुजारी बन चैन की वंशी बजाओ.


कागज के पुराने टुकड़ो से -
रचनाकार - महेंद्र मिश्र