माँ
माँ की ऑचल से प्यार बरसता है,
ममता बिन जीवन अधूरा लगता है।
जब उनके हाथो की रोटी मिलती है,
तो सारे संसार का ''वैभव'' छोटा लगता है।।
सॉफ्टी
तेरे सॉफ्टी को देख कर,
मुझे भी खाने का मन कर रहा है।
उफ ये क्या तू वहाँ हाफ टी-शर्ट मे,
और मै यहाँ स्वेटर मे घूम रहा हूँ।।
अपने
इस दुनिया मे सब बेगाने हो जाते है,
पर अपने तो अपने रहते है।
कभी खुशी हो कभी हो गम,
अपने तो साथ निभाते रहते है।।
''मामा जी'' का बचपन
आज मै अपने बचपन को साथ लिये था,
वही खुशी थी वही भाव था।
सब कुछ वैसा ही था जैसे पहले था,
बस मेरे जगह मेरा भांजा बैठा था।।
माँ की ऑचल से प्यार बरसता है,
ममता बिन जीवन अधूरा लगता है।
जब उनके हाथो की रोटी मिलती है,
तो सारे संसार का ''वैभव'' छोटा लगता है।।
सॉफ्टी
तेरे सॉफ्टी को देख कर,
मुझे भी खाने का मन कर रहा है।
उफ ये क्या तू वहाँ हाफ टी-शर्ट मे,
और मै यहाँ स्वेटर मे घूम रहा हूँ।।
अपने
इस दुनिया मे सब बेगाने हो जाते है,
पर अपने तो अपने रहते है।
कभी खुशी हो कभी हो गम,
अपने तो साथ निभाते रहते है।।
''मामा जी'' का बचपन
आज मै अपने बचपन को साथ लिये था,
वही खुशी थी वही भाव था।
सब कुछ वैसा ही था जैसे पहले था,
बस मेरे जगह मेरा भांजा बैठा था।।
1 comment:
"माँ" "सोफ्टी " "अपने" "मामाजी" का बचपन ...............
भावनाओं के बहाव में ये बहता मन.......................
खोया खोया सा बचकाना बचपन.........................
दिल में भी कभी न रहती थी उलझन........................
कैसे कहे ये खुदा से "दीपक" .........................
जब भी देना हो कुछ तो लौटा दो वोह मासूम बचपन..........................
वही आइसक्रीम का स्वाद और फिर माँ की डांट की उलझन ............................
पता नहीं कैसे है मन की माया और माँ की तड़पन .................................
सब बेगाने हो या न हो पर माँ का सदा साथ रहता है ............................
ख़ुशी हो या गम माँ का प्यार सब जान जाता है ............................
फिर से एक बार कहता हूँ की............................
"माँ" "सोफ्टी" "अपने" "मामाजी" का बचपन.............
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