एक सिपाही छुट्टी लेकर अपने घर जा रहा था। रास्ते में ही पानी बरसने से
उसने घर जाने से पहले जितने भी सामान खरीदें थे वो खराब हो गये। सिपाही ने
ईश्वर को काफी भला बुरा कहा कि अभी ही बरसना था ? तेरा सत्यानाश हो। कुछ
आगे जाने पर कुछ डाकू आड़ में बैठे थे। उन डाकूओं ने एक जोर दार निशाना
लगाया किन्तु पानी बरसने के कारण कारतूस गीली हो जाने के कारण वह न चली और
सिपाही ने भाग कर आपनी जान बचाई। जब वह घर पहुँचा और अपनी सारी सामान खराब
होने की बात बताई कि और भगवान को दोष देने लगा, किन्तु फिर डाकू की गोली न
चलने की बात बताई तो उसकी पत्नी ने भगवान का शुक्रिया अदा किया। पति को यह
समझाते हुऐ कहा कि अगर पानी न बरसता तो डाकूँओं से तम तो लुटते ही साथ ही
साथ जान भी जाती।
इस प्रंसग से यह शिक्षा मिलती है कि हमें भगवान जो भी दे उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।
इस प्रंसग से यह शिक्षा मिलती है कि हमें भगवान जो भी दे उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment