गजाननं भूतगणधिसेवितं, कपित्थ-जम्बूफल-चारूभक्षणम्।
उमासुतं, शोकविनाश-कारकं, नमामि विघ्नेयवर-पाद-पंकजम्।।
अर्थ- पांच महाभूतों से सेवित, कैथ और जाम फल जिन्हें प्रिय है, पार्वती पुत्र, शोक नाशक, विघ्ननाशक-गजानन के चरण कमलों को प्रणाम करता हूँ।
श्री गणेश झाकी
4 comments:
गणेश जी को हमारा भी प्रणाम !
घुघुटी बासूती
गणेश स्तुति: के लिए धन्यवाद...जय हो गणेश जी की
जय गणेश!!! प्रणाम!!!
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