अर्थशास्त्र की उत्पत्ति भारत में चाणक्य के समय से मानी जाती है, वह पूर्ण रूप से अर्थशास्त्र ने हो कर राज्य व्यवस्था के सम्बन्धित था। इसलिये चाणक्य के काफी समय पहले से अर्थशास्त्र में सक्रिय होने के बाद भी उन्हे अर्थशास्त्र का जनक नही कहा गया। वास्तव में अर्थशास्त्र का वास्तविक स्वारूप, कौटिल्य के काफी बाद एडम स्मिथ के समय में हुआ इसलिये एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक (Father of Economics) भी कहा जाता है। आधुनिक अर्थशास्त्र में अब तक की जितनी भी परिभाषा उपलब्ध है उसके आधार पर अर्थशास्त्र को चार भागों में बॉंटा जा सकता है-
प्रथम:- क्लासिकल अर्थशास्त्रियों एडम स्मिथ, जे.बी. से, सीनियर, जे.एस.मिल आदि द्वारा दी गई धन सम्बन्धित परिभाषाऐ।
द्वितीय:- नियो-क्लासिकल अर्थशास्त्री जैसे मार्शल पीगू, कैनेन द्वारा दी गई भौतिक कल्याण से सम्बन्धित परिभाषाऐं।
तृतीय:- आधुनिक अर्थशास्त्रिओं राबिन्स, फिलिप, वान, मिसेज, डा. स्ट्रिगल व प्रो. सेम्युलसन आदि द्वारा दी गयी सीमितता या दुर्लभता सम्बन्धित परिभाषाऐं।
चौथी और अन्तिम:- जे.के.मेहता द्वारा प्रतिपादित आवाश्यकता विहीनता सम्बन्धी परिभाषा।
3 comments:
सही है इस तरह की जानकारी से हम काफ़ी पहलुओं से रुबरू होंगे।
ये हुई न बात....
प्रमेन्द्र भाई,
यदि सभी चिट्ठाकार आप जैसे जागरूक हो जाएँ, तो बात ही कुछ और होगी.अपने-अपने विषयों पर काम करते हुए जानकारी देना भी ब्लागिंग की एक अनोखी कहानी है...अर्थशास्त्र के विद्यार्थी की तरफ़ से एक अद्भुत भेंट मानता हूँ मैं आपकी इस पोस्ट को.
आशा है भविष्य में भी आपसे इस तरह के ज्ञान की प्राप्ति होगी....साधुवाद आपको.
मिश्राजी ने बहुत कुछ तो क्या सब कुछ कह दिया. अब हम क्या कंहे.आपको बधाई.
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