आज खबर मिली की भारत के माननीय मुख्य न्यायधीश को महामहीम राष्ट्रपति जी की तरह विमान नही मिलेगा। क्यों याचिका खारिज कर दी गई, अच्छा ही हुआ नही तो कल को राष्ट्रपति भवन जैसे भवन की भी मॉंग होने लगती तो दूसरा राष्ट्रपति भवन कहॉं से लाया जाता ? :)
एक बात तो स्पष्ट है कि इस तरह की फिजूल की याचिकाओं पर रोक लगनी चाहिये नही तो कोई न्यायधीश तो कोई किसी के नाम पर याचिका लेकर चला आता है। जब भारतीय संसद खुद इतनी मेहबान रहती है तो भारतीयों को किसी प्रकार की चिन्ता नही करनी चाहिये। सरकार को जितनी चिंता आम आदमी की नही होती है उतनी अधिक अधिकारियों की होती है, और समय समय पर वह नियमों को फेरबदल कर सुविधा लेते देते रहते है।
निश्चित रूप से यह एक अच्छा फैसला है।
फिर मिलना होगा .....
1 comment:
अभी अभी कहीं और भी आप से ही सुना था यह सनाचार. :)
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