बाटला हाऊस एनकाऊंटर मैं मारे गये दो आतंकवादियों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद से हमारा 6M मीडिया खूब चिल्ल पौं मचाये हुए हे कि और जिसका आधार उन्होने बनाया है कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट मैं ये लिखा हुआ हे कि उन शबों पर ब्लंट औब्जैक्ट से चोट के निशान भी पाये गये हैं…..और इस वजह से सब जोर शोर से इसे एक झूठा एन कांऊंटर बताने मैं लगे हुए हं
यहां कुछ चीजें जो हमारे भी जैहन मैं आई ये ये रिपोर्ट मैं देखकर जो कि हमारे एक मित्र ने यहां छापी है…..कुछ चीजें है जो थोङा सोचने पर आप को मजबूर करेंगी ……..
क्या किसी भी एनकाऊंटर का मीनू फिक्स होता है क्या कि इतनी गोलियां चलानी है….किस किस हथियार से चलानी है…..बंदूक के बट की मारनी है या नहीं….कुल मिलाकर जिस रिपोर्ट को पढकर ऐसी राय जिस किसी ने भी बनाई है….. उसमें कहीं भी ये साबित नहीं होता है कि वो एक फैक एनकाऊंटर था…..ये एक सामान्य सी बात है कि जब कोई हथियार बंद व्यक्ति से पुलिस की मुठभेङ हो रही है तो कोई भी पुलिस वाला अपना कम से कम नुकसान होते हुए सामने वाले को अधिक से अधिक नुकसान हो ऐसा प्रयास करता है….हां उसमें सामान्य तौर पर ये प्रयास जरूर किया जायेगा कि सामने वाले को भी जिंदा पकङा जाये….….सीधी सी बात है कि सुरक्षा बल उनसे अधिक से अधिक जानकारी हासिल करना चाहेंगे…और वे ये भी जानते हैं कि हमारे सैक्यूलर मित्र उनकी तरफ गिदध दृष् गङाये हुए हैं कि ऐसी किसी मुठभेङ मैं कोई गलती हो और हम उनको कठघरे मैं खङे करें……उन आतंकवादियों का पता नहीं पर जो पुलिस अधिकारी वहां कर्तव्य पालन करते हुए शहीद हुआ वो अनेक बार इस तरह की घटनाओं को सफलता पूर्वक झेल चुका था….
हमें ये नहीं भूलना चाहिये कि बाटला हाऊस की इस मुठभेढ मैं एक जांबाज पुलिस अधिकारी शहीद हुआ….उन दो मासूम छात्रों ने पुलिस को देखकर एक प्रशिक्षित व्यक्ति कि तरह अंधाधुंध फायरिंग की वो फायरिंग किसी कलम से नहीं निकल रही थी बल्कि उनके पास आधुनिक हधियार थे……अब तो जामिया मिलिया वाले बतांयेंगे कि वो ऐसी क्या पढाई करवा रहे थे कि उनको इन हथियारों की दरकार पङी….और उनको ये नफासत भरा प्रशिक्षण कहां से मिला…और जहां दनादन गोलियां चल रही हों वहां ये कौन निश्चित करेगा कि हमें कितनी और कब गोलियां चलानी हैं……जयपुर मैं हुए बम विस्फोट का जो हाल ही मैं जो आरोपी पकङा गया है उसने भी स्वीकार किया है कि वो भी बाटला हाऊस मैं ही रुका था……जो ये साबित करता है कि बाटला हाऊस मैं आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह औऱ हर तरह की सहायता मिलती थी…..
कुल मिलाकर इस रिपोर्ट मैं ऐसा कुछ भी नहीं कि इसके लिए इन लोगों को इतना खुश होने की जरूरत हो…..हां इतना जरूर है कि इस तरह चिल्लाने से कुछ लोग जरूर औऱ गुमराह होंगे…… मार्क्स मुल्ला और माईनो से दबा हुये हमारे शर्म निरपेक्ष मीडिया ने एक शहीदकी शहादत पर कीचङ जो उछाला है वो इनकी नालायकी का गंदा नमुना है……
पर फिर भी ये यक्ष प्रश्न अभी बी वहां खङा हुआ है…….कि वे दो भोले भाले निरीह छात्र बंदुकों के साथ बाटला हाऊस मैं क्या अक्कङ –बक्कङ खेल रहे थे…….हो सकता है अगली बार ये शगुफा भी छोङा जाये कि इंस्पेक्टर शर्मा हार्ट अटैक से मरे जो उनको गोलियों की आवाज सुनने से हो गया था……या के उनके खुद के साथियों ने उनको गोली मार दी…… क्यों कि हमारा शर्म निरपेक्ष मीडिया कुछ भी उङा सकता है….
4 comments:
Great article.....
Today, media is not concern about the reality behind any events but looking for any clue which can give them popularity and they can sell the news... we are also responsible for that at some extent.
however, media should not hurry in giving any conclusion without strong evidence .
आतंकवादियों को कुछ मत कहे जी वो इस सरकार के जमाई राजा है, अगर किसी भी आतंकवादी को रोका तो लेने के देने पढ जायेगे, हो सकता है कल ३३% सीटे भी इन्हे आरक्षण मै यह सरकार देदे, गुजरात मै जो हुआ उस का जबाब दो कश्मीर मै जो हो रहा है उसे मत देखो, गोधंअरा मै जो हुआ उसे भूल जाओ ओर जो पंजाब मै हुआ उस की माफ़ी मांग तो ली है....राम राम जी
mihir ji yah bat sahi hai ki kai bar tathyon ke abhav me khabar galat sabhit ho jati hai. lekin mai is bat se poori tarah se sahmat hoon ki batla ko itna mahatvva nahi dena chahiye. uski jagah any mamlo ke bare me media ko jagah dena chahiye. ek bat aur ki local media hai aise mamlo ko jyada tool deti hai.
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