अश्वत्थारमा बलिर्व्या सो हनुमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तैते विरजीजीविन:।।
सत्ते्तान् संस्मररेन्नित्यं मार्कण्डेवयमथाष्टमम्।जीवेद् वर्षशतं सोSपि सर्वव्यातधिविवर्जित:।।
स्तुति पाठ से लाभ- उक्त स्तुति के पाठ करने से यात्रा सुखद होती है, रोग-व्याधि का निवारण हो आयु में वृद्धि होती है। इस मंत्र के उत्तम परिणाम के लिये नित्य प्रात: व रात्रि में आठ-आठ बार वाचन करना चाहिए।
1 comment:
आपके द्वारा किया जा रहा अच्छा प्रयास, और मंत्रों की अपेक्षा है।
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