भारत ही है जो इतने प्रकार के हमलो के बावजूद अपनी आत्मा को मरने नही देता। यह अपने मूल मे यथावत जीवित है। जीवित ही नही बलकि यह उन तमाम सभ्यताओं को आईना दिखाता है जो अपने को श्रेष्ट घोषित करने में थकते नही है। अन्य सभ्यताऐं जहॉं उपासना और उपसना पद्धति के हिसाब से मनुष्य को चिन्हित करती है, वहीं भारत मनुष्यता और मनुष्य को महत्व देता है। यही कारण है कि इतिहासकारों ने कहा है कि “ग्रीक मिटे यूनान मिटे कुछ बात है कि हस्ती मिटती नही हमारी।”
आज भी भारत पर हमले हो रहे है। ये हमले दृष्य और अदृश्य दोनो प्रकार के है। दृष्य हमला वो है जो दिखाई देता है जैसे अंतकवाद। अदृश्य हमला वह है जो दिखाई नही देता है, किन्तु इसके व्यापक परिणाम होते है। इसके भी पर्याप्त उदाहारण है, आपस मे वैमनस्य पैदा करना, विश्वास का अविश्वास में बदलना, आस्था को अनास्था में बदलना। यह हमला ऐसा हमला है, जिसे हम समझ नही पाते है, किन्तु इसे बच पाना अत्यनत कठिन है।
आज यही हमला भारत पर हो रहा है इससे सामान्य जन ही नही अच्छे से अच्छे विद्वानों के मस्तिष्क में यह प्रश्न खड़ा हो जाता है, कि सच क्या है ? हम क्या करें ? हम कहॉं खडे़ हो ? सच्चाई समझ मे नही आती जिसको जिसने प्रभावित किया वे वैसा ही कहने लगता है। यह प्रभाव क्या है और कैसे है ? यह रहस्य नही, इसे गोदान में जमीदार और सम्पादक की वार्ता से समझा जा सकता है। फर्क बस इतना है कि जमीदार स्वयं को बचाना चाहता है और आज कुछ प्रभावी लोग भारत को नीचा दिखाना चाहते है सही कारण है कि डेनमार्क मे बने एक कार्टून के लिए भारत में नंगा नाच हुआ। सभी चुप रहे और किसी ने इसकी भर्तसना नही की। कला की स्वतंत्रता की वकालत करने वाली शबाना आज़मी भी कही दिखाई नही दीं।
वहीं कुछ देवी देवताओं की अश्लील चित्र बनाये गये तो क्या हुआ? यह कहने की आवाश्यकता नही है। यह भी एक प्रकार का हमला है, इसकी तह में जाना अभी आवाश्यक नही है। यह हमला क्यों और किसके द्वारा हो रहा है, इसकी चर्चा फिर कभी करूँगा। इन हमलों के माध्यम से आज इस अजेय भारत को कोई जीतना चाहता है यहाँ की मूल आत्मा को मार कर वैमनस्य के अटल बीज बोने का प्रयास किया जा रहा है। इस हमले से बचाब का क्या रास्ता है?
आज भी भारत पर हमले हो रहे है। ये हमले दृष्य और अदृश्य दोनो प्रकार के है। दृष्य हमला वो है जो दिखाई देता है जैसे अंतकवाद। अदृश्य हमला वह है जो दिखाई नही देता है, किन्तु इसके व्यापक परिणाम होते है। इसके भी पर्याप्त उदाहारण है, आपस मे वैमनस्य पैदा करना, विश्वास का अविश्वास में बदलना, आस्था को अनास्था में बदलना। यह हमला ऐसा हमला है, जिसे हम समझ नही पाते है, किन्तु इसे बच पाना अत्यनत कठिन है।
आज यही हमला भारत पर हो रहा है इससे सामान्य जन ही नही अच्छे से अच्छे विद्वानों के मस्तिष्क में यह प्रश्न खड़ा हो जाता है, कि सच क्या है ? हम क्या करें ? हम कहॉं खडे़ हो ? सच्चाई समझ मे नही आती जिसको जिसने प्रभावित किया वे वैसा ही कहने लगता है। यह प्रभाव क्या है और कैसे है ? यह रहस्य नही, इसे गोदान में जमीदार और सम्पादक की वार्ता से समझा जा सकता है। फर्क बस इतना है कि जमीदार स्वयं को बचाना चाहता है और आज कुछ प्रभावी लोग भारत को नीचा दिखाना चाहते है सही कारण है कि डेनमार्क मे बने एक कार्टून के लिए भारत में नंगा नाच हुआ। सभी चुप रहे और किसी ने इसकी भर्तसना नही की। कला की स्वतंत्रता की वकालत करने वाली शबाना आज़मी भी कही दिखाई नही दीं।
वहीं कुछ देवी देवताओं की अश्लील चित्र बनाये गये तो क्या हुआ? यह कहने की आवाश्यकता नही है। यह भी एक प्रकार का हमला है, इसकी तह में जाना अभी आवाश्यक नही है। यह हमला क्यों और किसके द्वारा हो रहा है, इसकी चर्चा फिर कभी करूँगा। इन हमलों के माध्यम से आज इस अजेय भारत को कोई जीतना चाहता है यहाँ की मूल आत्मा को मार कर वैमनस्य के अटल बीज बोने का प्रयास किया जा रहा है। इस हमले से बचाब का क्या रास्ता है?
4 comments:
वाह देवेन्द्र जी,
आपने बिल्कुल ठीक लिखा है और बिना किसी लाग-लपेट के लिखा है.पूरे लेख में संस्कृति के प्रति प्यार और आदर का भाव झलकता है.इतना बढ़िया लेख प्रस्तुत करने के लिए आपको साधुवाद.
पुनश्च:
"यह हमला क्यों और किसके द्वारा हो रहा है, इसकी चर्चा फिर कभी करूँगा।"
इस चर्चा का इंतजार रहेगा.
महाशक्ति समूह को सुन्दर आलेख की बधाई
देवेन्द्र जी सार्थक प्रश्न उठाने के लिए बधाई।
बढ़िया प्रयास....
एक सच को सबके समक्ष रखा है आपने..
शायद ये कुछ जिनकी संख्या ऊँगली के पोरों पर गिनी जा सकती है, देश को बांटने जैसी ओछी हरकतों से बाज़ नहीं आते हैं, इन्हें नहीं पता की इनकी औकात क्या है... ये कमज़ोर, संकुचित मानसिकता वाले कही खडे ही नहीं होते हैं..
समय बदल रहा है भारत प्रगति कर रहा है.... इनके बीच अगर ये आये तो ये पीस दिए जायेंगे..
भ्इया आपने बहुत अच्छा लिखा है, आज देश नाजुक परिस्थितियों से गुजर रहा है। हम सब को सशक्त रूप से सक्रिय होनें का सकंल्प लेना चाहिऐं।
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