अब तो पानी का मोल समझो
ग्रीष्म का आगमन हो चुका है . सूरज दिनोदिन अपने तीखे तेवर दिखा रहा है और चारो और पानी के लिए त्राहि त्राहि मचना शरू हो गया है . मध्यप्रदेश का महाकोशल का क्षेत्र कभी वन,जल,खनिज सम्पदा से भरपूर था पर्यावरण से अत्यधिक छेड छाड़ और इन सम्पदाओ का अत्यधिक दोहन किए जाने के कारण समय के साथ साथ परिस्थितियां बदल चुकी है और इसका खामियाजा सभी को भुगतने पड़ रहे है . इन दिनों मध्यप्रदेश के कई जिलो मे पानी के त्राहि त्राहि मची हुई है .
दमोह,सिहोर जैसे जिले मे पुलिस वालो की उपस्थिति मे पानी का वितरण कराया जा रहा है नरसिहपुर के कई गाँवो के लोग पानी खरीदकर पी रहे है . तेंदुखेडा के दरजनो गाँवो के जलश्रोत सूख गए है और गाँवो मे पानी की कमी के चलते अभी से ग्रामीण क्षेत्रो के लोगो को समझ मे आने लगा है और इसकी स्पष्ट झलक उनके चेहरों पर नजर आने लगी है . तीन से पांच रुपये मे एक बाल्टी पानी भेजा जा रहा है . वही ठीक दमोह रोड पर स्थित तेंदुखेडा मे एक बाल्टी पानी दस से पन्द्रह रुपये मे और एक कनस्तर पानी पन्द्रह रुपये से बीस रुपये मे बेचा जा रहा है लोग मजबूर है कि उन्हें पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है .
भूजल का स्तर लगातार गिरकर १५० से २०० फीट तक पहुँच गया है और दिनोदिन गिरता जा रहा है वोरवेलो के माध्यम से भूजल का अत्यधिक शोषण किया गया है और किया जा रहा है . जल एक मूलभूत आवश्यकता है जिसके बिना जीवन सम्भव नही है . अब वह समय आ गया है कि सभी को मिलजुलकर जल संरक्षित करने की दिशा मे सामूहिक प्रयास करने होंगे अन्यथा भावी पीढी हमारी पीढ़ी को क्षमा नही करेगी और भविष्य मे पानी के लिए संघर्ष की स्थितियां निर्मित हो सकती है
1 comment:
पानी पानी रे तेरा रंग कैसा ?
आदमी की हरकत न बदली तो,
देखने को मिलेगें हजारों रंग,
कहीं खून बहेगा, सूख जायेगा पसीना
आदमी दूभर हो जायेगा जीना
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