(1)
कभी मयखाने आकर देखों दिल के गम खाली बोतलों में भरे जाते है।
रगों में ताजा पानी और लहू नलो में भरे जाते है।।
(2)
कोई पीकर बेहोश था, कोई बेहोशी में पी रहा था।
सारी महफिल में अकेला मैं मरकर जी रहा था।।
(3)
वे अपने हुस्न से अदाओं को परदा उठाये तो जरा।
प्यार की बारिश से दिल की आग बुझाये तो जरा।।
4 comments:
वे अपने हुस्न से अदाओं को परदा उठाये तो जरा।
प्यार की बारिश से दिल की आग बुझाये तो जरा।।
--सही है.लिखते रहें.
achcha likha hai..
बहुत अच्छे..
अति सुंदर बधाई
=>वे अपने हुस्न से अदाओं को परदा उठाये तो जरा।
प्यार की बारिश से दिल की आग बुझाये तो जरा।।
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