21 October 2008

जेब ढीली हो ग ई क्या ?

आने वाली है दिवाली

उसके पहले ही होगी जेबें खाली

धनतेरस पर धन जाये

एक खरीदे कंगन अगूठी

मुफ्त पायें।

बीबी की जिंद

बच्चों के कपड़े करते हैं कंगाल

हाय ये मौसम और ये त्योहार

खुश हूँ मैं भी ये दिखता है सब को

अन्दर ही अन्दर दुखता दिल है

और चुप मैं हूँ

करता हूँ मैं अब यही कामना

जाये ये त्यौहार

छूटे जेब का भार

4 comments:

makrand said...

bahut sahi
regards

Pramendra Pratap Singh said...

भाई के शादी में जेब और भी ढ़ीली होगी, सोना सस्ता हुआ है कुछ खरीद लीजिए :)

Udan Tashtari said...

सही है जी. महाशक्ति की बात मानो, सोना खरीद लो. :)

Satish Saxena said...

बहुत अच्छा !