1
हर शराबी का बस दो ही ठिकाना है,
होश मे रहा तो मयखाना,
नशे मे रहा तो,वो दीवाना है.
होश मे रहा तो मयखाना,
नशे मे रहा तो,वो दीवाना है.
2
पंडित कहे,शराब पाप है,
शराबी कहे, हम पापी है,
मयकदे मे दोनो संग संग,
कौन सचा कौन झूठा???
शराबी कहे, हम पापी है,
मयकदे मे दोनो संग संग,
कौन सचा कौन झूठा???
3
जब तक तुम थे, मै आशिक,
तुम चले गये, मै शराबी,
कौन निभा गया मुझसे वफा???
4
तुम चले गये, मै शराबी,
कौन निभा गया मुझसे वफा???
4
मन्दिर मे पुजारी,
मस्जिद मे मौलविय,
समाज मे सिपाही,
जहां तीनों मिले,
वो जगह, मयकदा कहलाये.
मस्जिद मे मौलविय,
समाज मे सिपाही,
जहां तीनों मिले,
वो जगह, मयकदा कहलाये.
5
कौन पारो, कहॉं की चन्द्र्मुखी,
वो तो शराब थी,
जो देवदास, देवदास हुआ फिरता है.
वो तो शराब थी,
जो देवदास, देवदास हुआ फिरता है.
6
किसके पास वक्त,
जो थामे मेरा हाथ,
शराब पी के जो लडखडाया,
कई हाथ मयकदे मे एक साथ उठ गये.
जो थामे मेरा हाथ,
शराब पी के जो लडखडाया,
कई हाथ मयकदे मे एक साथ उठ गये.
7
ना कोई ठोर ना कोई ठिकाना,
बस हाथ मे मय,
चार दोस्त मिले,
बन गया अपना आशियाना
बस हाथ मे मय,
चार दोस्त मिले,
बन गया अपना आशियाना
8
हर कोई ग़म के साथ आता है,
मुस्कुराता हुआ जाता है,
कितना गम है मयकदे मे,
फिर भी हर पहर जगमगाता है.
9
मुस्कुराता हुआ जाता है,
कितना गम है मयकदे मे,
फिर भी हर पहर जगमगाता है.
9
कोई शराबी कभी,
खामोश नही होता,
वो सच कहता है,
और दुनिया उसे शराबी.
खामोश नही होता,
वो सच कहता है,
और दुनिया उसे शराबी.
10
आज मौलविय ने भग्वान को याद किया,
पंडित ने खुदा से अजान किया,
मयकदा भी क्या क्या रंग दिखाता है,
की शराबियों की कोई जात नही होती,
पंडित ने खुदा से अजान किया,
मयकदा भी क्या क्या रंग दिखाता है,
की शराबियों की कोई जात नही होती,
7 comments:
क्या बात है!! आपने तो कालजयी मधुशाला को श्रद्धांजलि दी है..
यह मेरे द्वारा किसी भी ब्लॉग पर पढी गई सबसे बढ़िया कृति है....
सच में मज़ा आ गया...
खू़ब बनेगी जब मिल बैठेगें तीन यार
आप
मै
और
आपकी कविताऐं
बहुत अच्छा भाई
आ हा हा हा
क्या बातें हैं
हर तरह की मस्ती
साथ ही जीवन-दर्शन भी
वाह ही वाह!!!
बच्चन जी (अमिताभ जी की बात नहीं कर रहा) के बाद शायद ही किसी ने इतना अच्छा लिखा हो.आपने ये क्षणिकाएँ लिखकर हिन्दी कविता में एक नया आयाम प्रस्तुत किया है.आप इसके लिए साधुवाद के पात्र हैं.मेरी तरफ़ से कुबूल करें,साधुवाद.
आशा है इसी तरह से और बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा आपसे.....अद्भुत रचना.
बहुत बढियॉं, आपकी रचना के सम्बन्ध में मै शिव कुमार जी से सहमत हूँ, वाकई आपकी छुद्रिकाऐं वास्तव में अद्वितीय है।
बधाई स्वीकार कीजिऐ
कविताऔं की दुनिया मे इस छोटे से बच्चे का उत्साहवर्धन करने के लिये सभी को बहुत बहुत धन्यवाद....
बहुत बढियां!! मज़ा आया....
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