काहे परेशान होते हैं आप यहां देखें झूमरी तलैया है..या कबाङ खाना है ,ये है ही ऐसा माध्यम की जिसमें लिखने वाला कोई भी मेरे जैसा व्यक्ति जिसे कि अपने कोई बहुत बङा लेखक होने का मुगालता नहीं है,जो अपनी बात बिना किसी लाग लपेट के कहना चाहता है.और सच पूछो तो बहुत कुछ पत्रकार और पत्रकारिता नुमा चीज से परेशान उन लोगों की जुबान है जिन्हें कहना तो बहुत कुछ है पर इस मीडिया माफिया की टी आर पी रैटिंग बढाने वाली खबरों के बीच उसे कहीं कोई जगह नहीं मिल पाती,तो भैये
मुझे नहीं लगता कि कोई भी चिट्ठाकार अपने आप को बहुत बङा लेखक या विचारक साबित करने के लिए ये सब करता है.और जो करता भी है तो बहुत जल्दी समझ भी जाता है कि यह सब नहीं चलने वाला है.आप अच्छा सार्थक लिखते हैं तो ही तो कोई इसे पढने वाला है ,अन्यथा एक डिब्वा बंद फिल्म की तरह उसे कोई नहीं छेङने वाला है,इसलिए गाहे बगाहे जैसे कुछ लेखकनुमा या पत्रकार नुमा महानुभाव इम बात से परेशान हैं कि मुझ जैसे लोग जो कि चिकित्सक ,व्यापारी,प्रबंधक ,छात्र ,गृहिणियां,जैसे सामान्य लोग क्यों कर इन भाई लोगों की ठेकेदारी मैं भांजी मार रहैं हैं ,तो बंधु आप जैसे सुस्थापित लेखकों के लिए ब्लॉगिंग नहीं हैं ,आप के लिये हैं न इंडियन एक्सप्रैस,टाइम्स ऑफ इंडिया,हिंदुस्तान .......
3 comments:
blog vidha men n koi bad lekhak hai n koi chota, yaha per jitni haisiya ek aam aadmi ki hia utni hi hi ek patrakaar yalekhak ki hai. patrakarita me yah dekha jata hi ki jo patrakaar apni baat nahi kah pate haio is madhym se bhadas nikalte hai.
aapne achcha likha hai.
ब्लोग एक पर्सनल डाईरी है इसमे हम जो चाहेए लिख सकते ब्लोग मे ही ये सुविधा है की अपना लिखा किसी से पसंद नहीं करवाना होता है लिखो और तरंगों मे डालदो तरंगे जहाँ चाहेगी ले जयाएगी । बाक़ी इन तरंगों मे इतनी ताकत होती है कि ये अपने अंदर सब समा सकती है । मन के उदगार व्यक्त भी होगये और किसी से कुछ कहना भी नहीं पडा , यही है ब्लोग का असली मतलब । जो समझ लेते हैं वह इसे ऎन्जॉय करते है
मै आप तीनों की बात का सर्मथन करता हूँ, ब्लाग वह विधा है जो हर इन्सान को पूर्ण लेखक या कवि होने का एहसास दिलता है। अत: इसे किसी पैमाने पर रखना कुछ पैमाने की आलोचना करना होगा
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