कुछ लोग यहां बङे लेखक हैं,कुछ बङे तकनीकि विशेषज्ञ हैं.....सैल्फ मैड.शायद ब्लोगिंग को इन्होने बपौती समझ लिया है,उन्हें समझ लेना चाहिये.कि भाई लोग आप लोगों से ही परेशान होकर कुछ नया करने की चाह मैं लोगों ने ब्लोगिंग जैसे माध्यम को चुना है.और कचरा क्या है ये बंधुओ आप लोगों को अधिकार किसने दिया,संभवतया भारत के संविधान मैं तो नहीं.तो ये सब बहस किस लिये.आप को जो पढना है ,पढें न पढना है न पढें पर कम से कम इतनी बात तो समझ लें कि यह माध्यम बेलाग,बेबाक अभिव्यक्ति का माध्यम है और कम से कम इसमे तो कोई झूमरी तलैया या कचरा करने की कोशिश न करें.
रोज पढते हैं ..हम आप को,
सुनते हैं आप लोगों की बकवास...
टी वी के चैनलों पर
,आप की अभिव्यक्तियों को
जिन्हें बङी ही अटपटी
अंजान सी
पर प्रभावी सी दिखने वाली भाषा मैं लिपटी झूठ,
अब समझ आने लगी है,
अपने खुद के बनाये बुध्दिजीवी के झूठे प्रभामंडल को देख देख
उकता चुके लोगों को अपने कृत्रिम विश्लेषणों से
मुक्त होने दें अब,
हो सकता हैं आप पत्रकार हैं,या के लेखक या तकनीक विशेषज्ञ,तो क्यों नहीं आप लोग ही अपनी कोई इज्जतदार ,स्वायंभू,sobber,जगह तलाशें,क्यों कि यहां सब पके हुए लोग हैं ..........एन डी टी वीयों,आज तकों,और सही मायने मै इन अभिव्यक्ति के ठेकेदारों से.सो बंधुओ आप लोग कोई दूसरी जगह तलाश लें और इन छोटे मोटे लोगों को बोलने दें,क्यों कि ये अब रुकने वाले नहीं है.और क्यों अपना भी कचरा कर रहें हैं.
5 comments:
झकास। सदा सत्य। देववाणी। बिना लागलपेट के आपने सही बात कह दी।
कौन कहता है इन कथित बड़ों से कि सर थोड़ा मेरा भी पढ़ लीजिए।
बहुत बढिया भाई.. बहुत बढिया..
अच्छा लगा पढ कर..
जब मैंने अपना ब्लौग बनाया था तब अधिकांशतः तथाकथित महान चिट्ठाकार कहीं भी नहीं दिखते थे(मेरा ब्लौग क्रियेसन डेट देख सकते हैं).. वे उस समय शायद ब्लौग बनाने का सोच रहे होंगे.. और मैंने भी उस समय ये सोचा नहीं था की इतने सारे लोग मेरे चिट्ठे को कभी पढेंगे भी.. सो भाई लोग मैं उस समय भी लिखता था, मुझे अब भी लिखने दो..
क्या मिला होगा उनको सुख १६ जीतो से
जो सुख हमने इस एक जीत से पाया है
रचना जी को इस भाव पूर्ण रचना और जीत की बधाई !
लिखा क्यों न जाए ? उनके विष वर्षा के ख़िलाफ़ अमृत वर्षा न हो ! क्योंकि सूत्र बताता है :-माइनस प्लस माइनस होता है और माइनस माइनस प्लस हो जाता है . और हम सब समाज को प्लस देने के लिए कृतसंकल्पित
हैं . दिल की बात करने के लिए किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नही होती ,किसी तकनीक की जरूरत नही होती .
हम सब लिखते रहेंगे दिल खोलकर क्योंकि हमे उनकी आँखें खोलनी है .
माफ़ी चाहता हूँ पहला कमेंट रचना जी के ब्लॉग के लिए था , कृपया इसे हटा दे .
जो बात कूडे में है वो कहीं और कहॉं :)
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