हर तरफ आवाज उठती,
दबा रही सरकारें है।
नही दबेगीं वे आवाजें,
ये शेर की दहाड़े है।
देश का वैभव अब चमकेगा,
आयेगी खुशहाली।
चट्टने चाहे जितनी आये,
नही रूकेगी धाराऐं।।
प्रतिशोध का समय है,
जनमत का उपयोग करों।
जो सरकार निक्कमी हो,
उसको मूल से नाश करों।।
रोटी कपड़ा और छत,
यह आधार भूत जरूरते है।
जिन शासको को यह न दिखें,
उनका जाना जरूरी है।।
भरो हुँकार, रख रूप खूँखार,
सारी शक्ति तुममे है।
क्योकि तुममें ही,
जनतंत्र की वास्तविक शक्ति है।।
3 comments:
आक्रोश जरूरी है।
SACHAAI HEE HAI
AAKROSH ME BHEE
ANUSHAASAN HOTAA
HAI...!!
युवाओं के जोश को सलाम...
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