"भगवान के प्यार करने के तीन तरीके हैं-पहला भगवान जिसे प्यार करते है, उसे ‘संत’ बना देते हैं । संत यानी श्रेष्ठ आदमी । श्रेष्ठ विचार वाले,शरीफ़,सज्जन आदमी को श्रेष्ठ कहते है । वह अन्तःकरण को संत बना देता है । दूसरा-भगवान जिसे प्यार करते हैं उसे ‘सुधारक’ बना देते है । वह अपने आपको घिसता हुआ चला जाता है तथा समाज को ऊँचा उठाता हुआ चला जाता है। तीसरा-भगवान जिसे प्यार करते है उसे ‘शहीद’ बना देते है । शहीद जिसने अपने बारे में विचार ही नही किया । समाज की खुशहाली के लिए जिसने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया, वह शहीद कहलाता है ।जो दीपक की तरह जला, बीज की तरह गला,वह शहीद कहलाता है। चाहे वह गोली से मरा हो या नही, वह मैं नहीं कहता, परन्तु जिसने अपनी अक्ल, धन, श्रम, पूरे समाज के लिए अर्पित कर दिया , वह शहीद होता है । जटायु ने कहा कि आपने हमें धन्य कर दिया । आपने हमें शहीद का श्रेय दे दिया, हम धन्य हैं । जटायु , शबरी की एक नसीहत है । यह भगवान की भक्ति है । यही सही भक्ति हैं ।"
- "गुरुवर की धरोहर-३" से
2 comments:
hum to insaan tak hee soch rahe the aapne to bhagwaan tak ke pyaar kaa matlab samjhaa diya huzoor, lage rahiye. bahut achha laga padhkar.
बहुत ही अच्छा लेख है ये...
शायद किसी दौर में ये सब पाठ्यक्रम का हिस्सा हुआ करते थे...
शायद वो दौर फिर आये, ऐसे प्रयासों से..
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