रात की रानी की तरह महकती हूँ,
दिन के राज के लिये तरसती हूँ।
शाम होने पर वो चला जाता है,
सुबह होने पर मै चली जाती हूँ।
मिलने के लिये तरसते है दोनो,
वक्त के फेर में तड़पते है दोनो।
मिलन की की आस में दोनों,
दिन-रात में महकते है दोनों।
दिन के राज के लिये तरसती हूँ।
शाम होने पर वो चला जाता है,
सुबह होने पर मै चली जाती हूँ।
मिलने के लिये तरसते है दोनो,
वक्त के फेर में तड़पते है दोनो।
मिलन की की आस में दोनों,
दिन-रात में महकते है दोनों।
2 comments:
बहुत खूबसूरत
बहुत ही अच्छी कविता है ये
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