31 October 2007

श्री गणेश स्‍तुति:

गजाननं भूतगणधिसेवितं, कपित्‍थ-जम्‍बूफल-चारूभक्षणम्।

उमासुतं, शोकविनाश-कारकं, नमामि विघ्‍नेयवर-पाद-पंकजम्।।

अर्थ- पांच महाभूतों से सेवित, कैथ और जाम फल जिन्‍हें प्रिय है, पार्वती पुत्र, शोक नाशक, विघ्ननाशक-गजानन के चरण कमलों को प्रणाम करता हूँ।

श्री गणेश झाकी

28 October 2007

यह समूहिक ब्‍लाग आपका स्‍वागत करता है

आप सभी का हार्दिक स्‍वागत है, जल्‍द ही आपको इस ब्‍लाग पर काफी कुछ मिलेगा, अपना स्‍नहे बनाऐं रखिऐंगा।

हम 1 नवम्‍बर से लेखन कार्य प्रारम्‍भ कर रहे है।