30 September 2009

सावधान - आती एक बदबू भ्ररी टिप्‍पणी

सावधान ब्‍लागरो ! सावाधान !! आपके ब्‍लाग पर एक मौलाना की सडियल बदबू भरी लिंक से ओतप्रोत टिप्‍पणी कभी भी आपके ब्‍लाग पर आ सकती है। यह बदबू भरी टिप्‍पणी एक वायरस का काम करती है जो ब्‍लागरों के मध्‍य वैमनस्‍य फैला रही है। इस मुल्‍ला ब्‍लागर की मंशा चिट्ठाकारो के मंच पर हंगामा मचाना और तमाशा देखना है। अत: आप सभी ब्‍लाग कि इस आती एक बदबू भरी टिप्‍पणी को देखते ही इसका दमन करे और अपने ब्लाग को इसके बदबू से आपके पाठक भटक सकते है।

ब्‍लागहित में महाशक्ति समूह द्वारा जारी

नए ब्लागस का स्वागत कीजिए

राज दरबार

जनतंत्र ब्लाग

महावीर

कहीअनकही बातें

Media house

रवि वार्ता ( Ravi Varta )

आम आदमी

नए ब्लागस का स्वागत कीजिए इनमे एक ब्लाग "रविकिशन जी"का है . भोजपुरी अभिनेता के इस ब्लॉग 'रवि वार्ता' को भी दुलारिये अन्य ब्लाग्स के साथ ताकि सभी को आपका स्नेह मिल सके .
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 ब्लॉगवाणी से साभार 
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27 September 2009

ब्लागवाणी बन्द IEDig.com सुरु

ब्लागवाणी बन्द होना दुखद है। ब्लागवाणी ऎगरीगेटर अच्छा काम कर रहा था एवम हिन्दी ब्लागरों के छोटी सी दुनिया को पाढ़क दिलवाता था। कुछ ब्लागरों ने ब्लागवाणी के काम काज पर अंगुली उठाई थी जो की गलत है इस मामले में मेरा कहना है अगर आप अच्छे लेखक हैं तो आपको किसी भी तरह का ऎगरीगेटर का और उसके द्वारा दिये गये वोट के पंसद नापसंद का कोई जरुरत नही है। अच्छे लेखकों को पाठक मिलता रहेगा।

हम ब्लागवाणी के संचालकों से आशा करते हैं कि व्लागवाणी को दुबारा सुरु करे और हिन्दी ब्लागरों का उत्साह बर्धन करें।

ब्लागवाणी बन्द होने के बाद मैंने ब्लागवाणी के बदले (वैसे ब्लागवाणी का अपना स्थान था) कोई दुसरा ऎगरीगेटर खोजने का काम किया और मुझे मिला। मुझे हिन्दी ब्लागरों के लिये एक नया social content website मिला जिसका url है http://iedig.com जो कि कुछ हद तक ब्लागवाणी जैसा काम करता है लेकिन इसमें कुछ ज्यादा सुविधा मुहय्या करवाया गया है जैसे आप इस साईट में अपना दोस्तो का नेटर्वक बना सकते है और अपने पोस्ट को उनसे बाँट सकते हैं। अपने पंसदिदा ब्लागरों के पोस्ट आप वोट दे सकतें हैं। इस साईट में आप हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी में भी ब्लाग पोस्ट कर सकतें हैं और हम हिन्दी ब्लागरों जो एक अलग दुनिया बसाये थे उन्हें नये पाठक मिलेगा। इस http://iedig.com में जब आप अपना ब्लाग पोस्ट करतें हैं तो ये Upcomming में आता है और 5 वोट मिलने के बाद ये publish होता है और ये पहले पेज में दिखना सुरु होता है| ज्यादा से ज्यादा वोट पाने के लिये आपको एक वोटिंग बटन अपने ब्लाग में लगाना होगा। कुछ हिन्दी ब्लागर इसे अपने व्यवहार में ला रहें हैं मुझ से ज्यादा वे इस बारें में बता सकते हैं।

हम हिन्दी ब्लागरों को http://iedig.com के रुप में एक नया साथी मिल गया है आशा है http://iedig.com हमारा साथ हमेशा देगा।

http://iedig.com

मिसफिट है ब्लागवाणी का फ़ैसला

ब्लागवाणी का फ़ैसला सही तो नहीं है...किंतु आपकी राय ज़रूरी है उत्तर हां या में हों तो सुखद होगा .

09 September 2009

सड़ रही है 1600 करोड़ की चीनी और दालें.....

दाल की कीमतें जहाँ आसमान छू रही हैं, वहीं देश के विभिन्न बंदरगाहों पर लाखों टन चीनी और दालें बेकार पड़ी हैं। इनकी खुदरा बाजार में कीमत 1600 करोड़ रुपए है। कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार ने इस बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रमुख बंदरगाहों पर 6.19 लाख टन दाल और कच्ची चीनी के विशाल भंडार रुके पड़े हैं, क्योंकि इनका आयात करने वाली सरकारी कंपनियों ने या तो माल नहीं उठाया है या फिर निरीक्षकों की कमी के कारण उनकी गुणवत्ता का प्रमाण-पत्र नहीं जारी किया जा सका है।
इस घटना से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि यह साफ नहीं है कि ये दालें और चीनी खाने योग्य बची हैं या नहीं।
कृषि एवं खाद्यमंत्री पवार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ‘‘मुझे नहीं पता’’। सरकार पर जब पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से दाल के भंडार पर हमले हो रहे हैं, ऐसे समय में सड़ रहे जिंसों के भंडार से चिंतित मंत्रिमंडल सचिव तुरंत कार्रवाई के लिए संबंधित मंत्रालय पर जोर डाल रहे हैं।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि म्याँमार जैसे देशों से आयातित कम से कम 1.36 लाख टन दाल और 4.83 लाख टन कच्ची चीनी पिछले दो महीने से कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, कांडला और कोच्चि बंदरगाहों पर सड़ रही है।
अधिकारी ने कहा कि आयातित दालों में अरहर, मूँग, उड़द, मसूर और मटर की शामिल हैं।
By Bhavyansh Prakhar Rastogi

05 September 2009

प्रेरक प्रसंग - हनुमान जी की विनयशीलता

भगवान श्रीराम वनवास काल के दौरान संकट में हनुमान जी द्वारा की गई अनूठी सहायता से अभिभूत थे। एक दिन उन्होंने कहा, 'हे हनुमान, संकट के समय तुमने मेरी जो सहायता की, मैं उसे याद कर गदगद हो उठा हूं। सीता जी का पता लगाने का दुष्कर कार्य तुम्हारे बिना असंभव था। लंका जलाकर तुमने रावण का अहंकार चूर-चूर किया, वह कार्य अनूठा था। घायल लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए यदि तुम संजीवनी बूटी न लाते, तो न जाने क्या होता?' तमाम बातों का वर्णन करके श्रीराम ने कहा, 'तेरे समान उपकारी सुर, नर, मुनि कोई भी शरीरधारी नहीं है। मैंने मन में खूब विचार कर देख लिया, मैं तुमसे उॠण नहीं हो सकता।'

सीता जी ने कहा, 'तीनों लोकों में कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो हनुमान जी को उनके उपकारों के बदले में दी जा सके।'

श्रीराम ने पुन: जैसे ही कहा, 'हनुमान, तुम स्वयं बताओ कि मैं तुम्हारे अनंत उपकारों के बदले क्या दूं, जिससे मैं ॠण मुक्त हो सकूं।'

श्री हनुमान जी ने हर्षित होकर, प्रेम में व्याकुल होकर कहा, 'भगवन, मेरी रक्षा कीजिए- मेरी रक्षा कीजिए, अभिमान रूपी शत्रु कहीं मेरे तमाम सत्कर्मों को नष्ट नहीं कर डाले। प्रशंसा ऐसा दुर्गुण है, जो अभिमान पैदा कर तमाम संचित पुण्यों को नष्ट कर डालता है।' कहते-कहते वह श्रीराम जी के चरणों में लोट गए। हनुमान जी की विनयशीलता देखकर सभी हतप्रभ हो उठे।

यह शिक्षाप्रद प्रेरक प्रंसग अमर उजाला दैनिक में पढ था जो मुझे अच्‍छा लगा, आपके साथ बॉट रहा हूँ।और हनुमान जी के दर्शन sulekha.com के सौजन्‍य से हो रहा है।