25 December 2009

प्‍यार की मौत


दूरियो के दौर में,
मजबूरियाँ नज़र आती है।
तेरे चाहत की तनहाई मे,
तेरी परछाई नज़र आती है।।

मजबूरी को समझ सको तो,
इश्‍क समझना असां होगा।
मतभेद दिखा कर दूरी हमसे,
हमें हटना आसां होगा।।

हम हट जायेगे मिट जायेगे,
यादो की कश्‍ती टूट जायेगी।
टूटा तागा जुड जाता है,
पर गांठ हृदय को चुभ जाती है।

इश्‍क की गहराई हमे मालूम नही,
नापने इश्‍क की गहराई को हम।
डूबना चाहते थे सागर मे ,
पर सागर को अपने गहराई का अभिमान था।।

सागर के अपने अभिमान से,
प्‍यार की गहराई मे मौत हो गई।
प्‍यार के मौत की पीड़ा आँसू,
सागर मे मिल मीत बन गई।।

सागर को अभिमान बड़ा कि,
प्‍यार तो उसकी गहराई मे है।
मार कर प्‍यार को सागर ने,
नष्‍ट किया उसकी तरूणाई को।।

हमारे प्रिय स्‍वर्गीय दोस्‍त रोहित सिंह की असमयकि मौत पर, जो कुछ दिन पहले एक कुएं मे गिर कर मर गया, भगवान उसकी आत्‍मा को शान्ति प्रदान करे।

24 December 2009

मेरा प्‍यार

तुम्‍हरी यादो के सहारे,
हम यूँ ही जी रहे है।
कभी तुमको देख कर,
हम यूँ जी-जी कर मर रहे है।

ग़र एहसास को समझो,
हम प्‍यार तुम्‍ही से करते है।
तुम समझो या न समझो,
हम प्‍यार तुम्‍ही से करते है।।

तोड़ के सारे बंधन को,
रिश्‍तो को उन नातो को।
प्‍यार तुम्‍हारा पाने को,
हद से गुजर जाने को।।

इश्‍क की गहराई को,
कभी नापा नही जाता।
प्‍यार को ग़र समझो,
तो प्‍यार की गहराई को खुद नापो।।

हीर रांझा तो हम इतिहास है,
इश्क हमारा तुम्‍हारा सिर्फ आज है।
मेरे दिल के सपनो में आती हो सिर्फ तुम,
आ कर पता नही कब चली जाती हो तुम।।

16 December 2009

हिन्दू आक्रामक हो या नहीं ?

हिन्दुओं के लिए दिन-ब-दिन जब परिस्थितियाँ विपरीत होती जा रही हों तो क्या इस अवस्था मैं भी हमारा सहनशील (वास्तविक तौर पे कायर) बने रहना उचित है? मैं समझता हूँ की आज की अवस्था में यदि हिन्दू आक्रामक हो कर दुस्प्रचारियों से लड़े तभी कुछ सुधार आएगा | आज हिन्दुओं का आक्रमणशील होना क्यों जरुरी है, जरा निम्न बिन्दुओं पे गौर करें :

  • पिद्दी सा देश पाकिस्तान हमारी नाक मैं दम किये रहता है, क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक पाकिस्तान |
  • भारत - ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच, किसके जितने की संभावना ज्यादा है ? शायद ऑस्ट्रेलिया, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक खेल |
  • छोटी सेना लेकर मुहम्मद गौरी ने शक्तिशाली पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया | ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - आक्रामक मुहम्मद गौरी |
  • हिन्दुस्तान लीवर का साबुन या अन्य उत्पाद बाजार मैं अब तक टिका है पर टाटा का साबुन और अन्य प्रसाधन उत्पाद गायब क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण हिन्दुस्तान लीवर का - आक्रामकप्रचार और मार्केटिंग |
  • भारत - चीन युद्ध, चीन से हमारी सर्मनाक हार, क्यूँ ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - चीन का आक्रामक होना |
  • विश्व के उच्चतम तकनीक से लैस पाकिस्तान और अमेरिकी सेना तालिबान को वर्षों की लम्बी लड़ाई के बाद भी ख़तम नहीं कर पाया है, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - तालेबान का आक्रामक होना है|
  • मैक्रोसोफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम से कहीं अच्छा एपल का ऑपरेटिंग सिस्टम है, फिर भी बाजार मैं मैक्रोसोफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टमकी ही धूम है, क्यूँ? ढेर दारे कारणों मैं एक मुख्य कारण - मैक्रोसोफ्ट का आक्रामक प्रचार और मार्केटिंग होना है |
......

ऐसे हजारों उदाहरण हैं | ऐसा भी नहीं है की आक्रामक हो जाने भर से ही जीत निश्चित हो जाती है, पर ये भी उतना ही सत्य है की आक्रामकता के अभाव मैं अंततः विजय दूर भागती तो है ही , साथ ही आक्रामक लोग प्रतिदिन सर का दर्द बने रहते हैं |

क्रिस्चन मिसनरी दिनों-दिन बेहद सुनियोजित रणनीती से हिन्दुओं को हूक्स & क्रूक्स के सहारे धर्म परिवर्तन करवा रही है | जाकिर नायक जैसे इस्लामी प्रचारक भी आये दिन हिन्दू धर्मग्रंथों का खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ा रहे हैं | ब्लॉग जगत को ही लीजिये सलीम खान, मुहम्मद उमर खैरान्वी, अंजुमन, कासिफ आरिफ जैसे लुच्छे रोज हमारी धर्म ग्रंथों का मजाक उड़ा रहा है | कोई हिन्दू यदि ब्लॉग के जरिये ही सही उनके साजिशों का पर्दाफास करता है तो कई सम्माननीय हिन्दू ब्लॉगर शांति-शांति या उनको ignore कीजिये या आलेख को कीचड़/मैले मैं पत्थर कहकर साजिशों का पर्दाफास करने वालों को हतोत्साहित करते हैं | सम्माननीय ब्लॉगर की सुने तो मतलब यही निकलता है की यदि कोई गन्दगी फैला रहा है तो उसे फैलाने दो आप गन्दगी फैलाने वालों को कुछ मत कहो | महात्मा गाँधी ने भी कहा था की "पाकिस्तान उनकी लाश पे ही बनेगा" .. पाकिस्तान उनके जीते-जी बन गया गाँधी जी देखते रह गए | संतों की भाषा संत और सज्जन ही समझते हैं, दानवों से दानवों की भाषा मैं ही बात की जानी चाहिए | अलबेला खत्री जी ने कुछ दिनों पहले बहुत सही अपील की थी वही अपील दुहराता हूँ "पत्थर उठाओ और गन्दगी फैलानेवालों के ऊपर चलाओ" |

साभार -सृजन
ब्‍लाग में श्री राकेश सिंह जी द्वारा

06 December 2009

अमृत वचन - डॉक्टर जगदीश चन्द्र बोस ने कहा

"उठो, मन की मलिनता हटाओ।" सुविधायें नही हैं, प्रयोगशालाये नही हैं, कह कर बैठने से काम नही चलेगा। तुम्‍हारा मन ही सबसे बड़ी प्रयोगशाला है। आलस्‍य त्‍यागो, जहाँ हो वहीं से कार्य आरम्‍भ करो। 'याद रखो'; जो लोग वित्तेषणा व लोकेषणा के लिये कार्य नही करते असफलतायें उन्‍हे रोक नही पातीं। ---यह कहनाहै डॉक्टर जगदीश चन्द्र बोस/बसु का

04 December 2009

यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

दुनिया की बात सहना और कुछ न मुंह से कहना
रूई कान में तुम देके आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम मुंह सब के बंद कर के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

अपने हो या पराये कोई न बचने पाये
डाइजेशन देखो तुम्हारा हर्गिज न गड़बड़ाये
मौका बड़ा कठिन है, खाना संभल संभल के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

भाई हो या भतीजा तुम सबका ध्यान रखना
फुल सात पीढियों का तुम इन्तजाम रखना
स्विस बैंक की तिजोरी तुम खूब रखना भर के

कांग्रेस की डगर पे चमचों दिखाओ चल के
यह देश है तुम्हारा खा जाओ इसको तल के

02 December 2009

मै महासचिव बोल रहा हूँ

आज करीब 3 साल बाद महाशक्ति के सदस्‍य के रूप में प्रमेन्‍द्र जी से मिला, काफी अच्‍छा लगा। महाशक्ति की यादें ताजा हो गई, मै महाशक्ति संगठन का महाससचिव हुआ करता था। पर हमारे अध्‍यक्ष प्रमेन्‍द्र जी ने बताया कि आज मै महासचिव पद पर हूँ।

वकाई आज बहुत अच्‍छा लग रहा है।

28 November 2009

गिरीश जी महाशक्ति समूह की ओर से बधाई स्‍वीकार कीजिए

आज महाशक्ति समूह के वरिष्‍ठ सदस्‍य, हमारे मार्गदर्शक श्री गिरीश बिल्लोरे मुकल जी‍ का जन्‍म दिवस है। महाशक्ति समूह परिवार के अग्रज के नाते उनका विशेष वे हमेशा हमारे सही-गलत कामो का निरीक्षण करते है और हमें सही मार्ग दिखते है। ऐसे बड़े भाई से हम लेने के अलावा और क्‍या दे सकते है। इस ईश्वर प्रार्थना है कि श्री गिरीश भाई का आशीर्वाद हमें अन्‍नत काल तक मिलता रहे।

आज उनके जन्‍मदिवस पर महाशक्ति समूह के समस्‍त सदस्य उनके दीर्घायु होने की कामना करते है। पिछले साल हमने जन्‍मदिवस पर बधाई पोस्‍ट दी थी किन्‍तु मुम्‍बई में हुये आतंकवादी हमले के कारण वे अपना जन्‍मदिवस न ही मनाया। इस बार हम कोई कमी नही छोडेगे।

25 November 2009

शपथ लो अब कोई हेमंत करकरे

नेस्तनाबूद कर दो
उस शरीर को जो धर्म के नाम पर आतंक मचाये
रेत के किलों से डहा दो
उन महलों को जहां से
उगतीं हैं धर्मांध पौध...........!
कोई पाप न होगा अगर तुम एक बार बचा लोगे
एक करकरे को
तुम जो नि:शब्द खड़े
धर्म के मामलों पर कुतर्क
सुन लेते हो
तुम जो खिड़कियाँ बंद कर व्यवस्था को गरियाते हो
तुम जो सुबह दफ्तर जाते हो
तुम जो सड़क पर गिरे घायल को
अनदेखा कर निकलते हो...
छोड़ दो ये चमड़ी बचाने की आदत
उठो हुंकारों शंखनाद करो नि:शब्द में शब्द भरो
फहरा दो विश्व में शान्ति का परचम
बहकाने न दो बच्चों के कदम
सिखाओ मानव धर्म
बेशक कठोर हो जाओ जब देश की प्रतिष्ठा को कोई आंच आए
विश्व का अंत करने वाली सोच का सर कुचल दो
शान्ति द्रोहियों को ठीक वैसे ही मारो जैसे
एक बन्दर सांप का सर पकड़ कर तब तक रगड़ रगड़ के मारता है जब तक उसका अंत न हो जाए
कोई अपराध नहीं है साथ दो हौसला दो वीरों को
शपथ लो
अब कोई हेमंत करकरे अकारण न शहीद होगा
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हेमंत करकरे (जन्म १९५४-२६ नवंबर २००८) मुंबई के आतंक विरोधी दस्ते के प्रमुख थे। वे २६ नवंबर २००८ को मुंबई में हुए श्रेणीबद्ध धमाकों और गोलीबारी का बहादुरी से सामना करते हुए शहीद हुए। हेमंत करकरे १९८२ बैच के आईपीएस अधिकारी थे। नागपुर के विश्वेश्वर रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले करकरे ने डॉ. केपी रघुवंशी से मुंबई एटीएस के प्रमुख का पदभार ग्रहण किया था।
करकरे ने चंद्रपुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी काम किया था। नॉरकोटिक्स विभाग में तैनाती के दौरान उन्होंने पहली बार विदेशी ड्रग्स माफिया को गिरगांव चौपाटी के पास मार गिराने का कारनामा कर दिखाया था।[१] वे रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के लिए ऑस्ट्रिया में सात साल तक अपनी सेवाएँ देने के बाद इसी साल महाराष्ट्र कैडर में वापस लौटे थे। इसके तत्काल बाद ही जनवरी में उन्हें एटीएस प्रमुख बनाया गया था। वे इन दिनों २९ सितंबर ०८ को मालेगांव में हुए बम विस्फोट की गुत्थी सुलझाने में जुटे हुए थे। मुंबई पुलिस ने हेमंत करकरे के रूप में एक जांबाज और दिलेर अधिकारी खो दिया है। स्वभाव से बेहद शांत और संयमी करकरे पुलिस महकमे में अपनी ईमानदारी और निष्ठा के लिए जाने जाते थे।

विकी पीडिया से साभार मूल स्रोत : दैनिक भास्कर

एक पेड़ काटने पर सौ गायों का दंड

कुछ समय पूर्व एक सज्‍जन किसी कार्य से चण्डीगढ़ की एक घटना बता रहे थे। उन्‍होने बताया कि रस्ते में सड़क के दोनों ओर हरियाणा सरकार द्वारा प्रगति के नाम पर हजारो वृक्षों को काट काट कर सड़कों को चौड़ा करने का अभियान चल रहा था जो वृक्ष सड़क के दोनों ओर छाया देने तथा प्रदूषण रोकने के लिए लगाये गए थे वहीँ पर पर्यावरण संरक्षण मूल्यों को ताक में रख कर सड़कों को प्रदूषण युक्त किया जा रहा है।

उन्‍होने बताया कि कुछ समय पूर्व इसी सन्दर्भ में एक लघु लिख जो केशव संवाद साप्ताहिक पत्रिका में छपा था, जिसमें देश सूडान में एक पेड़ काटने पर सौ गाय दंड स्वरप देनी पड़ती हैं तथा वहां गाय एवं पेड़ों को सरकार द्वारा पूरा सरंक्षण दिया जाता है। आप इस लघु लेख को यहाँ पढ़ सकते है।

इस मैटर को स्‍पष्‍ट पढ़ने के लिये, मैटर पर क्लिक करे।

18 November 2009

“ नारी ” तू हैं बड़ी महान

भारत में धर्म एक ऐसा पहलू है जिस पर अक्षेप करना बहुत ठीक नही समझा जाता है, धर्म के नाम पर गलत बयान बाजी करना निहायात ही स‍ंक्रीर्ण विचारधारा की ओर इंगित करता है। मेरे पिछले दो लेख अल्‍लाह की शक्ति का अतिक्रमण करता भारतीय संविधान, कठमुल्‍लों फतवा जारी करो और इस्‍लाम का संदेश आतंक मचाओ हूर मिलेगी मे मैने पाया कि मैने तथ्‍य परक बातें ही रखी थी, जो सही थी किन्‍तु मुस्लिम सम्‍प्रदाय के लोगो का कहना था नही ऐसा नही है, हम बिल्‍कुल पाक-साफ है, दोष तो तुम्‍हारे अंदर ही है।

hindu Women in India 
एक सज्‍जन एक बड़ी सी आधी-अधूरी श्‍लोको की पोटली ले आये और बताने लगे कि हिन्‍दू धर्म मे भी आतंक की परिभाषा निम्‍न प्रकार से दी गई है किन्‍तु वह मित्र उन श्‍लोको का ठीक ढ़ग से अध्‍ययन करना भूल गये कि उसने आतंक के नाश की परिभाषा है न कि आतंक की जैसा कि इस्‍लाम मे कि आतंक मचाओ हूर मिलेगी। हिन्‍दू धर्म तो सर्व धर्म सम्‍भाव की बात करता है हमारे यहाँ पर्नजन्‍म की व्‍यवस्‍था है जिससे व्‍यक्तियों मे यह भय रहता है कि अमुख पाप करने से हमें अगले जन्‍म में निम्‍न योनि जन्‍म मिलेगी तथा अच्‍छे कृत्‍य से वैकुंठ की प्राप्ति होगी। इस प्रकार की मान्‍याताओ के कारण लोग गलत काम को करने से डरते है किन्‍तु मुस्लिम धर्म में तो इस प्रकार व्‍याख्‍या की गई अमुख काम दो नही तो अल्‍लाह नाराज हो जायेगा। स्त्रियों के विषय में ऐसी ऐसी बातें लिखी गई है जो उन्‍हे निम्‍न स्‍तर की प्राणी के रूप में ले जाता है। जबकि हिन्‍दू धर्म में नारी को सर्वोच्‍च स्‍थान दिया गया है।

यत्र नार्यस्‍तु पूज्‍यन्‍ते रमन्‍ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्‍तु न पूज्‍यन्‍ते सर्वास्‍तत्राsफला क्रिया:।। मनु‍स्‍मृति 3-56
अर्थात - जहाँ नारी का आदर होता है, वहाँ देवता रहते है जहाँ उनका आदर नही होता है, वहाँ सारे काम निष्‍फल होते है।

शोचयन्ति जामयो यत्र विनश्‍यत्‍याशु तम्‍कुलम्।
न शोययन्ति तु यत्रैता वर्द्धते तद्धि सर्वदा।। मनु‍स्‍मृति 3-57

अर्थात - जिस कुल में नारियों को कष्‍ट होता है, वह कुल शीघ्र ही नष्‍ट हो जाता है। जहाँ नारियाँ सुखी रहती है, वह कुल सदैव फलता फूलता है।

जामयो यानि गेहानि शन्‍त्‍य प्रति पूजिता:।
तानि कृत्‍याहतानीव विनश्‍यन्ति समन्‍तत:।। मनु‍स्‍मृति 3-58

अर्थात- उचित सुख और मान न पाकर जिस कुल को नारियाँ शाम देती है, वह कुल नष्‍ट हो जाता है।

मनुस्‍म‍ृति की उपरोक्‍त श्‍लोक न सिर्फ हिन्‍दू धर्म में स्त्रियों की स्थिति को दर्शाते है बल्कि पुरूषो को भी इस प्रकार के कृत्‍य करने का निर्देश देते है कि नारियों के अपमान से देवता भी दूर हो जाते है। हिन्‍दू समाज में नारियों की पूजा सदैव रही है, मुगलो के अगमन के समय में मुगलो के अत्‍याचार के परिणाम स्‍वरूप हिन्‍दू धर्म में स्त्रियों के सम्‍बन्‍ध में कुरीतियो को समाना करना पड़ा, इसका कारण भी था, रानी पद्मावती स्त्रियॉं जो अपनी लाज की रक्षा करने के लिये जौहर कर सही और कुछ इस्‍लामिक कट्टरवाद की शिकार हुई इसका प्रभाव आज भी मुसिलम समाज में स्त्रियों की दशा देखने पर मिल जायेगा। 

मेरी पंसद

वाह..नारी तेरी अजब हैं कहानी...
दूसरों को खुशी देकर तू खुश हो जाती...
कभी न खोई ममता तूने, कभी न देखा तूने स्वार्थ...
ममता की एक महान मूरत हैं तू...
इस दुनिया की एक सूरत है तू...
दुनिया तुझको शीश नमाती...
हर धर्म की पहचान हैं तू...
और हर घर की जान हैं तू...
"माँ" के इस उँचे पद पर आसीन है तू...
नारी बड़ी महान हैं तू...
नारी बड़ी महान हैं तू।

11 November 2009

सनातन धर्म ही शेष रहेगा

ऋषियों का धर्म, सनातन धर्म - अनन्त काल से है और रहेगा। इस सनातन धर्म के भीतर निराकार,साकार सभी प्रकार की पुजाएँ है। ज्ञानपथ,भक्तिपथ सभी है अन्य जो समप्रदाय है, वे आधुनिक है l कुछ दिन रहेंगे, फिर मिट जायेंगे। ----------श्री रामकृष्ण परमहंस

06 November 2009

महाशक्ति के 10 साल

कल महाशक्ति अपने स्‍थापना के 11वें वर्ष में प्रवेश कर गई, किन्‍तु मै इस तैयार पोस्‍ट को कल पोस्‍ट नही कर पाया, आज कर रहा हूँ। महाशक्ति 1999 में मेरे, मित्र अभिषेक शर्मा और आशीष सिंह के द्वारा महाशक्ति बनाई गयी, क्‍यो बनाई गई इसकी लम्‍बी कहानी है बहुत तह मे नही जाना चाहूँगा। हम 10 वर्ष पूरे कर 11 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे है, अच्‍छा लग रहा है हम साथ-साथ है।

पहली बार 2003 में हमने अपनी कार्यकारणी गठित की थी। तब हम अध्‍यक्ष बने थे, अभिषेक वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष, राजकुमार उपाध्‍यक्ष और जयप्रकाश को महासचिव बनाया गया था।

महाशक्ति को लेकर र्निउद्देश 2006 को चिट्ठकारी की दुनिया में प्रवेश किया, 2007 में महाशक्ति समूह भी बनाया। इन 10 सालो में महाशक्ति के साथ मध्‍यमिक स्‍तर के छात्र से कब पोस्‍ट ग्रेजुएट हो गया पता ही नही चला। हम महाशक्ति के सदस्‍य जब भी मिलते है तो 1999 के दिन याद आ जाते है, और वो बचपना भी।

आज के दिन महाशक्ति से जुड़े अपने सभी सभी मित्रो को याद करना चाहूँगा।
सर्व प्रथम कक्षा 9-10 के मित्र अभिषेक शर्मा, आशीष सिं‍ह, नवनीत तिवारी, दौलत राम, विक्रेन्‍द्र, राजकुमार, जय प्रकाश, संजू जोशी, विनीत सिंह‍, विवेक मिश्र, बृजेश साहू।
कक्षा 11-12 में- ताराचंन्‍द्र गुप्‍त, सुबोध कुशवाहा,
स्‍नातक में- जीतेश सिंह, वीरेन्‍द्र नाथ, शिव कुमार गुप्‍ता, लव कुमार गुप्‍ता
परास्‍नातक में - पवन यादव
लॉ - देवेश श्रीवास्‍तव, फूलचन्‍द्र पाण्‍डेय, अखिलेख श्रीवास्‍तव, इन्‍द्रेश।
कुछ ऐसे लोग जो अपने आप जुडे- कामता प्रसाद पाल, विशाल मिश्र, अनुपम सिंह

ब्‍लाग की दुनिया में तो आप सभी का प्‍यार तो मुझे मिल ही रहा है, अब नाम लेने लगूँगा तो बहुत लम्‍बा हो जायेगा और कुछ न कुछ नाम छूट ही जायेगे।

आज अपनी बात खत्‍म करता हूँ, सभी मित्रो तथा सदस्‍यो को बहुत बहुत, महाशक्ति के स्‍थापना दिवस की बहुत बधाई।

26 October 2009

अब तो इंतजार बंद करो

आपका इंतजार करते,
घंटे बीत गये,
ये घंटे ऐसे लगते जैसे सदिया बीत गई।

आपका इंतजार करते,
ऑखे थक गई,
ये आखे ऐसी लगती जैसे रात भर सोई नही ।

आपका इंतजार करते,
दिल भी हार गया
दिल भी कहता है अब तो इंतजार बंद करो।

17 October 2009

_______________शापित यक्ष ______________




       दीवाली के पहले गरीबी से परेशान  हमारे गांव में लंगड़,दीनू,मुन्ना,कल्लू,बिसराम और नौखे ने विचार किया इस बार लक्ष्मी माता को किसी न किसी तरह राजी कर लेंगें . सो बस सारे के सारे लोग माँ को मनाने हठ जोगियों की तरह  रामपुर की भटरिया पे हो लिए जहां अक्सर वे जुआ-पत्ती खेलते रहते थे पास के कस्बे की चौकी पुलिस वाले आकर उनको पकड़ के दिवाली का नेग करते ये अलग बात है की इनके अलावा भी कई लोग संगठित रूप से जुआ-पत्ती की फड लगाते हैं..... अब आगे इस बात को जारी रखने से कोई लाभ नहीं आपको तो गांव में लंगड़,दीनू,मुन्ना,कल्लू,बिसराम और नौखे की  कहानी सुनाना ज़्यादा ज़रूरी है.
_________________________________________
                      तो गांव में लंगड़,दीनू,मुन्ना,कल्लू,बिसराम - नौखे की बात की वज़नदारी को मान कर  "रामपुर की भटरिया" के  बीचौं बीच जहां प्रकृति ने ऐसी कटोरी नुमा आकृति बनाई है बाहरी अनजान  समझ नहीं पाता कि "वहां छुपा जा सकता है. जी हां उसी स्थान पर ये लोग पूजा-पाठ की गरज से अपेक्षित एकांतवासे में चले गए ..हवन सामग्री उठाई तो लंगड़ के हाथौं  से गलती से घी ज़मींन में गिर गया . बमुश्किल जुटाए संसाधन का बेकार गिरना सभी के क्रोध का कारण बन गयाकल्लू ने तो लंगड़ को एक हाथ रसीद भी कर दिया ज़मीं के नीचे घी रिसता हुआ उस जगह पहुंचा जहां एक शापित-यक्ष बंधा हुआ था .उसे शाप मिला था की  सबसे गरीब व्यक्ति के हाथ  से गिरे  घी की बूंदें तुम पर गिरेंगीं तब तुम मुक्त होगे सो मित्रों यक्ष मुक्त हुआ मुक्ति दाता लंगड़ का आभार मानने उन तक पहुंचा . यक्ष को देखते ही सारे घबरा गए कल्लू की तो घिग्घी बंध गई. किन्तु जब यक्ष की दिव्य वाणी गूंजी "मित्रो,डरो मत, तो सब की जान में जान आई.
यक्ष:तुम सभी मुझे शाप मुक्त किया बोलो क्या चाहते हो...?
मुन्ना: हमें लक्ष्मी की कृपा चाहिए उसी की साधना में थे हम .
यक्ष: ठीक है तुम सभी चलो मेरे साथ 
  सभी मित्र यक्ष के अनुगामी हुए पीछे पीछे चल दिए पीपल के नीचे बैठ कर यक्ष ने कहा :-"मित्रो,मैं पृथ्वी भ्रमण पर निकला था तब मैनें अपनी शक्ति से तुम्हारे गांव के ज़मींदार सेठ गरीबदास की माता से गंधर्व विवाह किया था उसी से मेरा पुत्र जन्मा है जो आगे चल के सेठ गरीबदास के नाम से जाना जाता है."
                    यक्ष की कथा को बडे ही ध्यान से सुन रहे चारों मित्रों के मुंह से निकला :-"तो आप ही हमारे बडे ज़मींदार हैं ?"
 "हां, मैं ही हूं, घर-गिरस्ति में फ़ंस कर मुझे वापस जाने का होश ही न रहा सो मुझे मेरे स्वामी ने पन्द्र्ह अगस्त उन्नीस सौ सैतालीस  रात जब भारत आज़ाद हुआ था शाप देकर "रामपुर की भटरिया में कैद कर दिया था और कहा था जब गांव का सबसे गरीब आदमी घी तेल बहाएगा और उसके छींटै तुम पर गिरेंगे तब तुम को मुक्ति-मिलेगी
 आज़ तुम सबने मुझे मुक्त किया चलो.... बताओ क्या चाहते हो ?
 सभी मित्रों ने काना-फ़ूसी कर "रोटी-कपडा-मकान" मांग लिए मुक्ति दाताओं के लिये यह करना यक्ष के लिए सहज था. सो  उसने माया का प्रयोग कर  गाँव के ज़मींदार के घर की लाकर  तिजोरी बुला   कर ही उन गरीबों में बाँट दी  . जाओ सुनार को ये बेच कर रूपए बना लो बराबरी से हिस्सा बांटा कर लेना और हां तुम चारों के लिए मैं हर एक के जीवन में एक बार मदद के लिए आ सकता हूं.
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                        उधर गांव में कुहराम मचा था. सेठ गरीब दास गरीब हो गया. पुलिस वाले एक एक से पूछताछ कर रहे थे. इनकी बारी आये सभी मित्र बोले "हम तो मजूरी से लौटे हैं." किन्तु कोई नहीं माने झुल्ला-तपासी में मिले धन को  देख कर सबको जेल भेजने की तैयारी की जाने . कि लंगड़ ने झट यक्ष को याद कर लिया . यक्ष एक कार में गुबार उडाता पहुंचा और पुलिस से रौबीली आवाज़ में बोला "इनको ये रूपए मैंने इनाम के बतौर दिए हैं."ये चोर नहीं हैं.
रहा सवाल सेठ गरीब दास का सो ये तो वास्तव में गरीब हैं
हवालदार ने कहा :-सिद्ध करोगे
यक्ष: अभी लो  गाँव के सचिव से  गरीबी रेखा की सूची मंगाई गई जिसमें सब से उपर सूची अनुसार सबसे ऊपर सेठ गरीब दास का नाम था
  सूची में जो नाम नहीं थे वो लंगड़,दीनू,मुन्ना,कल्लू,बिसराम और नौखे के...?

                                                    गिरीश बिल्लोरे"मुकुल"
                                                   जबलपुर मध्य-प्रदेश
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15 October 2009

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का साम्प्रदायिक चेहरा

विदेशी पैसा से पलने वाले मिडीया और तथाकथित मुर्ख बुद्धिजीवी के द्वारा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के द्वारा किये गये कार्य को अनदेखा करके राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के मुस्मिल सम्प्रदाय के विरोधी के रुप में दिखाया जा रहा था। विदेशी पैसा से पलने वाले मिडीया और मुर्ख बुद्धिजीवी की झुठ की कलई इस चित्र को देख कर खुल गया कि किस तरह से विश्व के सबसे बडे़ स्वयमसेवी संस्था समाज निर्माण के कार्य में लगा है ना कि किसी भी तरह के समाज को तोड़ने के कार्य में। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के स्वंमसेवकों द्वारा किया गया समाजिक कार्य किसी द्वेषभावना के द्वारा नही किया जाता है इसका जीता जागता सबूत इस चित्र में मुस्लमानों के बीच में खाने-पीने के सामग्री को वितरीत करते हुये देख कर लगाया जा सकता हैं। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को कोसने वालों का आज घिनैना चेहरा दिख गया है और वैसे आदमी जो राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को सम्प्रदायिक या मुस्लिम विरोधी करार देते पर तुले थे इस चित्र को देख हार्ट ऎटैक के मारे गीर कर तड़प रहें होगे या फिर कसम खा लिये होंगे की बीना जाने समझे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का बुराई अपने जीवन में कभी नही करेंगे और अपने कुटील मानसिकता के द्वारा देश को बर्बाद करने का काम छोड़ कर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के साथ मिल कर देश को परम वैभव में पहुचाने का कार्य करेंगे।















चींटी और टिड्डा

'चींटी और टिड्डा ' कहानी तो सबने सुनी होगी? भारत में भी हुआ था एक बार यही, जब चींटी ने पूरी गर्मी में मेहनत करके अपने लिए घर बनाया और टिड्डा?वो तो ठहरा मस्त मौला , तो इस कहानी में कैसे सुधर जाता? जाड़ों के दिनों में चींटी मज़े से अपने 3 bed apartment में २४*7 फ़ूड , एनर्जी और वाटर सप्लाई के मज़े लेने लगी...


...यहाँ तक तो सब ठीक लेकिन ये भारीतय टिड्डा था....
चुप क्यूँ रहता?


टिड्डे ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की, और अपनी व्यथा सबको सुनाई , और जानना चाहा देश की जनता से कि मैं कैसे ऐसे रह सकता हूँ जबकि देश में एक 'चींटी वर्ग' भी है?

NDTV, बीबीसी, INDIA TV, The Times Of India आदि सभी मुख्या न्यूज़ चैनल और अख़बारों ने इस घटना को भूखों मरते टिड्डे कि फोटू और उसके बगल मैं चींटी की वाटर पार्क में खिचवाई फोटू के साथ दिखाया.

आखिर एक बेबस टिड्डा ऐसे कैसे मर सकता है ? फिर क्या था?

अरुंधती रॉय ने चींटी के घर के सामने धरना दिया....

मेधा पाटेकर टिड्डे के साथ आमरण अनशन में बैठ गयी...

मायावती ने इसे अल्पसंखकों के खिलाफ षडयंत्र कहा....

कोफ्फी अन्नान ने भारतीय सरकार को 'टिड्डे की मूलभूत सुविधाओं' का ख्याल न रखने हेतु आड़े हाथों लिया.




टिड्डे के ब्लॉग 'चींटी के पार' में कमेन्ट और follower १००० के पार पहुँच गए थे.

'स्वर्ग और चिरस्थायी शांति के लिए अग्रेषित करें , और न करने पर परमेश्वर के प्रकोप के लिए तैयार रहे ' type चैन मेल की बाढ़ ही आ गयी जिसमें माइक्रोसॉफ्ट वाले कथित तौर पर टिड्डे को हर forwarded मेल में 1 पैसा देने वाले थे .

विपक्षी दल के नेताओं ने सदन का बहिष्कार किया और लोक सभा ,राज्य सभा की कार्यवाही नहीं चलने दी.

लेफ्ट फ्रंट ने बंगाल बंद का आह्वाहन किया.

केरला ने न्यायिक जांच करवाने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया.

CPM ने तुंरत ही एक कानून पारित किया जिससे की चींटी को अत्यधिक क्ष्रम करने से रोका जा sake तथा चींटी और टिड्डे के बीच गरीबी का साम्यवाद आ जाए .

ममता बनर्जी ने टिड्डे के लिए भारतीय रेल की सभी गाड़ियों में मुफ्त एसी कोच की व्यवस्था करवा दी.
 named as the 'Grasshopper Rath'.

अंततोगत्वा , न्यायिक कमिटी ने ' Prevention of Terrorism Against Grasshoppers act[POTAGA] को मंजूरी दे दी जो जाडों से लागू माना जावे.

अर्जुन सिंह ने आनन फानन में टिड्डे के लिए सभी सरकारी विद्यालयों एवं इंस्टीत्युट में शिक्षा के क्षेत्र में 'Special Reservation ' दिए जाने की घोषणा कर दी .

चींटी को 'पोटागा' के अर्न्तगत दोषी पाया गया.चूंकि चींटी के पास देने के लिए कुछ नहीं बचा अतः उसका घर कुर्क कर दिया गया और एक शानदार समारोह में टिड्डे को दे दिया गया.ये शानदार समारोह सभी टीवी चंनल में लाइव दिखाया जा रह था.

अरुंधती रॉय ने इसे ' न्याय की जीत' की संज्ञा दी

लालू ने इसे 'सामाजिक न्याय ' कहा .

सीपीएम ने कहा की ये ' क्रांतिकारी दलित के पुनरुत्थान ' की कथा है.

कोफ्फी अननन ने टिड्डे को UN जनरल असेम्बली में आमंत्रित किया.

कई सालों बाद ...
.....
...........

...चींटी विदेश में बस गयी और उसने यू एस में एक multi-billion dollar company खोल ली ,

आरक्षण के बावजूद कही भारत में अब भी हजारों टिड्डे भूख से मर रहे हैं.

...कई चींटियों को खोने और कई टिड्डों को पालने के कारण भारत अब भी विकासशील देश है.

(Inspired From A Spam Mail)

11 October 2009

महिला आर्मी की मजेदार फोटो

रुस महिला आर्मी


इजरायल महिला आर्मी

हिन्दुस्तान महिला आर्मी


अमेरीकन महिला आर्मी

ब्राजील महिला आर्मी

कोरिया महिला आर्मी

चीन महिला आर्मी

और अन्त में

 
 




पाकिस्तान महिला आर्मी

08 October 2009

आज की कांग्रेस इतनी गिर चुकी है

अभी पिछले दिनों आँध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री y s रेड्डी की मौत विमान दुर्घटना में हो गई.सभी चेनल्स में कहा गया की उनकी मौत के दुख में 462 लोगो ने आत्महत्या कर ली""आश्चर्य होता है न आज के समय में किसी नेता के लिए इतना प्यार देखकर!!! लेकिन बाद में मालूम पड़ा की ये प्यार नेता के लिए नहीं बल्कि पैसे के लिए था मतलब की कांग्रेस सरकार ने देश को जितने भी लोगो को खुदख़ुशी करने वालों में गिनाया था वो सभी खुदखुशी के कारण नहीं बल्कि अपनी स्वाभाविक मौत मरे थे"जी हां एक सनसनीखेज़ खुलासे में ये बात सामने आई है की मरने वाले लोगो के घर वालो को सरकार ने 5000-5000 Rs. दिए थे और बदले में उनलोगों को ये बोलना था की "मरने वाला आदमी अपनी स्वाभाविक मौत नहीं मरा बल्कि उसने मुख्यमंत्री के गम में आत्महत्या की है."शर्म आती है ये बाते सुन-सुन कर की आज की कांग्रेस इतनी गिर चुकी है की लोगो की मौत पर भी राजनीति करने लगीकाश ये पैसा उन लोगो को मरने से पहले दिया जाता तो शायद वो जी जाते और सच्चे मन से श्रधांजलि देते…अगर आप मानते है कि ये बात देश में सभी को मालुम होनी चाहिए तो इसे अपने सभी दोस्तों तक पहुचाहिये"

07 October 2009

"खजाना की "कल की पोस्ट से आगे

"खजाना की "कल की पोस्ट  से आगे  
सबको सादर अभिवादन  
                   मुसलसल जारी रहे ब्लागिंग  जात्रा किन्तु ये  क्या कर रहें आप कर रहें हैं आप सात दिनी हड़ताल क्यों वो भी इन पोस्टों को लेकर
ये क्या हो रहा है?
हम तुम्हें गाली दें, तुम हमारे मुँह पे थूको
इस्लाम में महात्मा गाँधी जैसा कोई व्यक्तित्व क्यों नहीं होता

                    रस्तोगी साहब जब आप इनकी पोस्ट  लगातार देखेगे तो शायद उपरोक्त ब्लाग्स-पोस्ट का अर्थ समझ पाएंगे जी .  फिर जैसी आपकी मर्जी ....? ये क्या हो रहा है? सभी सोच कह रहे हैं किन्तु कोई तो बिल्ली के गले में घंटी बांधने वालों को सपोर्ट करो भाई ...

03 October 2009

मुस्लिम समाज की फितरत ही है हराम के माल पर मुँह मारने की

अभी अभी एक सज्‍जन के ब्‍लाग पर "क्या गैर मुस्लिम औरतों को मुस्लिम मर्द भाते हैं ?" सर्वेक्षण पढ़ कर आया था किन्‍तु उसके तुरंत बाद मुझे भी हमदर्द कालेज ने एक और सवेक्षण मुझे भी बता कर किया था कि मुस्लिमो मर्दो की फितरत है हराम के माल पर मुँह मारने की, मुस्लिम चुकि मुस्लिमों अधिक कन्‍या भ्रूण हत्‍या के कारण उन्‍हे अपने धर्म में चार नही मिल पाती तो बाकि धर्मो में मुँह मारते फिरते है, जैसे समाज में ये धर्म सिर्फ सेक्‍स करने लिये ही आया। पता नही सेक्‍स के लिये यह धर्म कितना नीचे गिरेगा ? ये धर्म शक्‍शियत को छोड़कर सेक्सियत की और उन्‍मुख हो रहा है यही कारण है कि सबसे ज्‍यादा मुस्लिम ही सेक्‍सुवल बीमारियो से ग्रसित है।

मुस्लिम सम्‍प्रदाय को चाहिये कि वह समाज की मुख्‍यधारा से जुडे और समाजिक परिवेश को माने। कोई बुरा नही कि मुस्लिम हिन्‍दू या किसी अन्‍यधर्मावलम्‍बी लड़की से शादी करे किन्‍तु आपत्ति तब भी नही होनी चाहिये जब कोई हिन्‍दू पुरूष किसी मुस्लिम लड़की से शादी करे।

30 September 2009

सावधान - आती एक बदबू भ्ररी टिप्‍पणी

सावधान ब्‍लागरो ! सावाधान !! आपके ब्‍लाग पर एक मौलाना की सडियल बदबू भरी लिंक से ओतप्रोत टिप्‍पणी कभी भी आपके ब्‍लाग पर आ सकती है। यह बदबू भरी टिप्‍पणी एक वायरस का काम करती है जो ब्‍लागरों के मध्‍य वैमनस्‍य फैला रही है। इस मुल्‍ला ब्‍लागर की मंशा चिट्ठाकारो के मंच पर हंगामा मचाना और तमाशा देखना है। अत: आप सभी ब्‍लाग कि इस आती एक बदबू भरी टिप्‍पणी को देखते ही इसका दमन करे और अपने ब्लाग को इसके बदबू से आपके पाठक भटक सकते है।

ब्‍लागहित में महाशक्ति समूह द्वारा जारी

नए ब्लागस का स्वागत कीजिए

राज दरबार

जनतंत्र ब्लाग

महावीर

कहीअनकही बातें

Media house

रवि वार्ता ( Ravi Varta )

आम आदमी

नए ब्लागस का स्वागत कीजिए इनमे एक ब्लाग "रविकिशन जी"का है . भोजपुरी अभिनेता के इस ब्लॉग 'रवि वार्ता' को भी दुलारिये अन्य ब्लाग्स के साथ ताकि सभी को आपका स्नेह मिल सके .
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 ब्लॉगवाणी से साभार 
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27 September 2009

ब्लागवाणी बन्द IEDig.com सुरु

ब्लागवाणी बन्द होना दुखद है। ब्लागवाणी ऎगरीगेटर अच्छा काम कर रहा था एवम हिन्दी ब्लागरों के छोटी सी दुनिया को पाढ़क दिलवाता था। कुछ ब्लागरों ने ब्लागवाणी के काम काज पर अंगुली उठाई थी जो की गलत है इस मामले में मेरा कहना है अगर आप अच्छे लेखक हैं तो आपको किसी भी तरह का ऎगरीगेटर का और उसके द्वारा दिये गये वोट के पंसद नापसंद का कोई जरुरत नही है। अच्छे लेखकों को पाठक मिलता रहेगा।

हम ब्लागवाणी के संचालकों से आशा करते हैं कि व्लागवाणी को दुबारा सुरु करे और हिन्दी ब्लागरों का उत्साह बर्धन करें।

ब्लागवाणी बन्द होने के बाद मैंने ब्लागवाणी के बदले (वैसे ब्लागवाणी का अपना स्थान था) कोई दुसरा ऎगरीगेटर खोजने का काम किया और मुझे मिला। मुझे हिन्दी ब्लागरों के लिये एक नया social content website मिला जिसका url है http://iedig.com जो कि कुछ हद तक ब्लागवाणी जैसा काम करता है लेकिन इसमें कुछ ज्यादा सुविधा मुहय्या करवाया गया है जैसे आप इस साईट में अपना दोस्तो का नेटर्वक बना सकते है और अपने पोस्ट को उनसे बाँट सकते हैं। अपने पंसदिदा ब्लागरों के पोस्ट आप वोट दे सकतें हैं। इस साईट में आप हिन्दी के साथ साथ अंग्रेजी में भी ब्लाग पोस्ट कर सकतें हैं और हम हिन्दी ब्लागरों जो एक अलग दुनिया बसाये थे उन्हें नये पाठक मिलेगा। इस http://iedig.com में जब आप अपना ब्लाग पोस्ट करतें हैं तो ये Upcomming में आता है और 5 वोट मिलने के बाद ये publish होता है और ये पहले पेज में दिखना सुरु होता है| ज्यादा से ज्यादा वोट पाने के लिये आपको एक वोटिंग बटन अपने ब्लाग में लगाना होगा। कुछ हिन्दी ब्लागर इसे अपने व्यवहार में ला रहें हैं मुझ से ज्यादा वे इस बारें में बता सकते हैं।

हम हिन्दी ब्लागरों को http://iedig.com के रुप में एक नया साथी मिल गया है आशा है http://iedig.com हमारा साथ हमेशा देगा।

http://iedig.com

मिसफिट है ब्लागवाणी का फ़ैसला

ब्लागवाणी का फ़ैसला सही तो नहीं है...किंतु आपकी राय ज़रूरी है उत्तर हां या में हों तो सुखद होगा .

09 September 2009

सड़ रही है 1600 करोड़ की चीनी और दालें.....

दाल की कीमतें जहाँ आसमान छू रही हैं, वहीं देश के विभिन्न बंदरगाहों पर लाखों टन चीनी और दालें बेकार पड़ी हैं। इनकी खुदरा बाजार में कीमत 1600 करोड़ रुपए है। कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार ने इस बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रमुख बंदरगाहों पर 6.19 लाख टन दाल और कच्ची चीनी के विशाल भंडार रुके पड़े हैं, क्योंकि इनका आयात करने वाली सरकारी कंपनियों ने या तो माल नहीं उठाया है या फिर निरीक्षकों की कमी के कारण उनकी गुणवत्ता का प्रमाण-पत्र नहीं जारी किया जा सका है।
इस घटना से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि यह साफ नहीं है कि ये दालें और चीनी खाने योग्य बची हैं या नहीं।
कृषि एवं खाद्यमंत्री पवार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ‘‘मुझे नहीं पता’’। सरकार पर जब पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से दाल के भंडार पर हमले हो रहे हैं, ऐसे समय में सड़ रहे जिंसों के भंडार से चिंतित मंत्रिमंडल सचिव तुरंत कार्रवाई के लिए संबंधित मंत्रालय पर जोर डाल रहे हैं।

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि म्याँमार जैसे देशों से आयातित कम से कम 1.36 लाख टन दाल और 4.83 लाख टन कच्ची चीनी पिछले दो महीने से कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, कांडला और कोच्चि बंदरगाहों पर सड़ रही है।
अधिकारी ने कहा कि आयातित दालों में अरहर, मूँग, उड़द, मसूर और मटर की शामिल हैं।
By Bhavyansh Prakhar Rastogi

05 September 2009

प्रेरक प्रसंग - हनुमान जी की विनयशीलता

भगवान श्रीराम वनवास काल के दौरान संकट में हनुमान जी द्वारा की गई अनूठी सहायता से अभिभूत थे। एक दिन उन्होंने कहा, 'हे हनुमान, संकट के समय तुमने मेरी जो सहायता की, मैं उसे याद कर गदगद हो उठा हूं। सीता जी का पता लगाने का दुष्कर कार्य तुम्हारे बिना असंभव था। लंका जलाकर तुमने रावण का अहंकार चूर-चूर किया, वह कार्य अनूठा था। घायल लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए यदि तुम संजीवनी बूटी न लाते, तो न जाने क्या होता?' तमाम बातों का वर्णन करके श्रीराम ने कहा, 'तेरे समान उपकारी सुर, नर, मुनि कोई भी शरीरधारी नहीं है। मैंने मन में खूब विचार कर देख लिया, मैं तुमसे उॠण नहीं हो सकता।'

सीता जी ने कहा, 'तीनों लोकों में कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो हनुमान जी को उनके उपकारों के बदले में दी जा सके।'

श्रीराम ने पुन: जैसे ही कहा, 'हनुमान, तुम स्वयं बताओ कि मैं तुम्हारे अनंत उपकारों के बदले क्या दूं, जिससे मैं ॠण मुक्त हो सकूं।'

श्री हनुमान जी ने हर्षित होकर, प्रेम में व्याकुल होकर कहा, 'भगवन, मेरी रक्षा कीजिए- मेरी रक्षा कीजिए, अभिमान रूपी शत्रु कहीं मेरे तमाम सत्कर्मों को नष्ट नहीं कर डाले। प्रशंसा ऐसा दुर्गुण है, जो अभिमान पैदा कर तमाम संचित पुण्यों को नष्ट कर डालता है।' कहते-कहते वह श्रीराम जी के चरणों में लोट गए। हनुमान जी की विनयशीलता देखकर सभी हतप्रभ हो उठे।

यह शिक्षाप्रद प्रेरक प्रंसग अमर उजाला दैनिक में पढ था जो मुझे अच्‍छा लगा, आपके साथ बॉट रहा हूँ।और हनुमान जी के दर्शन sulekha.com के सौजन्‍य से हो रहा है।

22 August 2009

हिन्दी साहित्य मंच पर दूसरी कविता प्रतियोगिता सूचना ( लिखें हिन्दी और जीतें इनाम )

हिन्दी साहित्य मंच द्वारा आयोजित होने वाली कविता प्रतियोगिता में शामिल होकर जीतें इनाम । हिन्दी साहित्य मंच की दूसरी कविता प्रातियोगिता सितंबर माह में होने वाली है । इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए आप सभी अपनी कविताएं अगस्त माह की आखिरी तारीख तक भेज सकते हैं । कविता के लिए कोई विषय निर्धारण नहीं है । कविता भेजने के लिए ईमेल- hindisahityamanch@gmail.com है ।आप अपनी रचना हमें " यूनिकोड या क्रूर्तिदेव " फांट में ही भेंजें । आप सभी से यह अनुरोध है कि मात्र एक ही रचना हमें कविता प्रतियोगिता हेतु भेजें ।प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आने वाली रचना को पुरस्कृत किया जायेगा । दो रचना को सांत्वना पुरस्कार दिया जायेगा । सर्वश्रेष्ठ कविता का चयन हमारे निर्णायक मण्डल द्वारा किया जायेगा । जो सभी को मान्य होगा । आइये इस प्रयास को सफल बनायें ।हिन्दी साहित्य मंच कविता प्रतियोगिता के माध्यम से हिन्दी के विकास हेतु एक छोटी सी पहल कर रहा है । आप इस इस आयोजन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर अपना योगदान दें । भारत जैसे देश में हिन्दी भाषा के गिरते हुए स्तर को बनाये रखने हेतु इस तरह के प्रयास आवश्यक हो गये हैं । एक तरफ तो यह कहते सुनते हुए गर्व जरूर होता है कि हिन्दी विश्व में सबसे ज्यादा बोली वाली भाषाओं में एक है , साथ ही दूसरा पहलू बहुत ही सोचनीय है कि आज हिन्दी बोलने , लिखने और पढ़ने वालों की संख्या दिनों दिन कम हो रही है । ऐसे में अन्तरजाल ( इंटरनेट) की उपयोगिता को ध्यान में रखकर इस माध्यम से हिन्दी साहित्य को एक नया मुकाम अवश्य ही मिलता दिख रहा है ।

संचालक ( हिन्दी साहित्य मंच )hindisahityamanch.blogspot.com

14 August 2009

वंदे मातरम






जबलपुर रत्न एक नई परंपरा

जबलपुर रत्न एक नई परंपरा


यूँ भेजा था न्योता
अपने जबलपुर को


विश्वास की परंपरा को कायम रखने का संकल्प लिए नई दुनिया">नई दुनिया ने जब रत्नों की तलाश शुरू की थी तो लगा था कि शायद व्यावसायिक प्रतिष्ठान द्वारा की गई कोई शुरुआत जैसी बात होगी ? किंतु जब जूरी ने रत्नों को जनमत के लिए सामने रखा तो लगा नहीं कुछ नया है जिसे सराहा जावेगा आगे चल कर , हुआ भी वही आज मैं जितने लोगों से मिला सबने कहा :"वाह ऐसी व्यक्ति-पूजा विहीन मूल्यांकन की परम्परा ही है विश्वास की परंपरा ओर सम्मानित हुए विशेष सम्मान शिक्षा क्षेत्र : एसपी कोष्टा उद्योग क्षेत्र : सिद्धार्थ पटेल चिकित्सा क्षेत्र : डॉ. सतीश पांडे न्याय क्षेत्र : अधिवक्ता आरएन सिंह पर्यावरण क्षेत्र : योगेश गनोरे
छा गए मंत्री जी भा गए बल्लू
करीब पांच घंटे तक चले आयोजन के दौरान लोगों का मनोरंजन करने के लिए प्रख्यात बाँसुरी वादक बलजिंदर सिंह बल्लू, पॉलीडोर आर्केस्टा के कलाकारों सहित प्रियंका श्रीवास्तव, प्रसन्न श्रीवास्तव, श्रेया तिवारी ने शानदार रचनाएं पेश कर लोगों को मुग्ध कर दिया।बलजिंदर सिंह ने जब बांसुरी से "तू ही रे" और "पंख होते तो उ़ड़ जाती रे" की तान छे़ड़ी तो मेरे मन को किसी भी तरह की बाहरी हलचल बर्दाश्त नहीं हो रही उद्योगमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने साबित कर दिया कि वे वास्तव में एक स्थापित कलाकार हैं । मंत्रीजी ने देशभक्ति गीत "कर चले हम फिदा जानो तन साथियों" "छोटी-छोटी गैया, छोटे-छोटे ग्वाल" पेश किया। प्रियंका के गीत "बलमा खुली हवा में" से लोग सावन के भीने अहसास में खो गए। जबकि प्रसन्न श्रीवास्तव ने "मेरे महबूब कयामत होगी" सुनाकर लोगों को किशोर कुमार की याद ताजा करा दी।
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संस्कारधानी के सपूत न्यायविदों की वर्तमान पी़ढ़ी के लिए ऋषितुल्य न्यायमूर्ति जीपी सिंह को पहला "जबलपुर रत्न" सम्मान आज़ सबसे ज़्यादा चर्चा का विषय रहा नई दुनिया ने इन विभूति का सम्मान कर विश्वास की परम्परा को कायम रखा
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तरंग प्रेक्षागृह में गुरुवार शाम एक गरिमामय समारोह में जबलपुर रत्न सहित साहित्य-कला, शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, समाजसेवा, पर्यावरण, उद्योग, खेल क्षेत्रों की नौ हस्तियों को रत्न सम्मान दिया गया जिनमें । समारोह की अध्यक्षता मप्र उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस आरएस गर्ग ने की, मुख्य अतिथि निर्माता-निर्देशक सुभाष घई थे। इस मौके पर बतौर अतिथि संगीतकार आदेश श्रीवास्तव और निर्देशक विवेक शर्मा के अलावा नईदुनिया समूह के प्रधान संपादक पद्मश्री आलोक मेहता भी विशेष रूप से उपस्थित थे। रूपरेखा की विस्तृत जानकारी स्थानीय संपादक आनंद पांडे ने दी। कार्यक्रम को संगीतकार आदेश श्रीवास्तव और निर्देशक विवेक शर्मा ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप दुबे व सुरेंद्र दुबे "(सव्यसाची अलंकरण से अलंकृत) "ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन महाप्रबंधक मनीष मिश्रा ने किया।
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संस्कार धानी जबलपुर के नौ रत्न
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जबलपुर के रत्न : साहित्य-डा०चित्रा चतुर्वेदी/कला-अरुण पांडे/समाज-सेवा: पुष्पा बेरी/खेल-रत्न :मधु यादव/शिक्षा रत्न : ईश्वरी प्रसाद तिवारी/उद्योग-रत्न:वी एन दुबे /चिकित्सा-रत्न:डा0 एम सी० डाबर/न्याय-रत्न :एस सी दत्त/पर्यावरण रत्न: नरसिंह रंगा
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सुभाष घई ने कहा : "बच्चों के मामले सही सोच की ज़रूरत है उनकी प्रतिभा को पहचानिये /आजाद भारत में अंग्रेजियत की सेवा पर टिप्पणी करते हुए सुभाष घई ने कहा गुलामी के दौर में हमने उनकी सेवा की आज पश्चिमी संस्कृति की नक़ल कर उनकी सेवा कर रहें हैं "/अपार संभावनाएं है रजत पट पर प्रतिभाओं की मया नगरी को हमेशा ज़रूरत थी , है और रहेगी ।
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आलेख : गिरीश बिल्लोरे मुकुल / सहयोग श्रीमती सुलभा बिल्लोरे /राजेश दुबे "डूबे जी" एवं शैली खत्री

06 August 2009

चॉंद का प्‍यार भी क्‍या प्‍यार है ?


आपका ही तो है जो हमें उकसा रहा है,
सोते जागते मुझे भरमा रहा है।
आप कोई खवाब नही तो भुला दिये जाओ,
वो एहसास हो जो सब कुछ भुला जाओं ।।

चॉंद का प्‍यार भी क्‍या प्‍यार है ?
वो प्‍यार भी चोरी चोरी करता है।
रात की सुगहरात के बाद,
सुबह अपने अग्रज सूरज से डरता है।।

प्‍यार का एहसास कोई चोरी नही है,
प्‍यार को स्‍वीकार करने में चॉद को हिचक कैसी ?
रात स्‍वप्‍नो को को परवान चढ़ा कर,
पूरे दिन प्रेयसी को प्रेम विरह में तड़पाते हो।।

है निवेदन आपनी तुलना,
उस निगोड़े चॉद से न करो।
जिसमें प्रेम को,
स्‍वीकार करने की हिम्‍मन न हो।।

माना कि तुम वो परवाने हो,
जो जलेगा किन्‍तु उफ़ तक न करेगा।
मग़र तेरे जलने की गर्मी से,
झुलसेगा मेरा तन।।

आवा़ज की कौंध गुजती कानो में,
लगता कुछ खोया-खोया सा है।
क्‍योकि मिटती नही कभी महोब्‍बत,
मिटते है तो सिर्फ मोहब्‍बत वाले।

02 July 2009

रास्‍ते की ईंट

रास्‍ते की ईंटो से ठोकर खाने वाले बहुत मिलेगे,
मगर इसे रास्‍ते से हटाने वाले दो चार ही मिलेगे,
कई ऐसे है जो ठोकर खाकर गिरते है,
पर वो भी पिछले ठोकर खाने वाले को,
गाली देकर आगे निकल देता है,
पिछलें कई घन्‍टो से यह क्रम चला आ रहा है,
आज इनको कई दिन बीत चुके है,
वह ईंट अपनी किस्‍मत पर इठला रहा है,
लगातार सब ठोकर दे कर वो हँसे जा रहा है।

30 June 2009

हास्‍य कविता - गदही से काम चलाऊँगा

आज तुम्‍हारे पास मै आया,
लेकर प्रेम निवेदन,
स्‍वीकार करो राजकुमारी,
राजकुमार का विनम्र निवेदन।
अगले बरस मै आऊँगा,
घोड़ी पर ले जाऊँगा।
नही मिली अगर घोड़ी,
गदही से काम चलाऊँगा।।

26 June 2009

तीनो को,दौनो को ,बधाइयां

प्रिंट मीडिया पर ब्लॉगचर्चा:
हरि भूमि पर रोजिन्ना छपने वाले स्तम्भ में तीन ब्लागों की चर्चा होती है । अपने राम रोजिन्ना ही तीनों ब्लागर्स को बधाई देतें हैं आज भी कट पेस्ट कर दिया । भैया पाबला जी देख्खो न जी का हो गया आज अमर उजाला की में दो ब्लॉगर की चर्चा छपी अपन ने तीन को बधाई दी .........
अविनाश वाचस्पति June 26, 2009 7:23 PM

तीनों को बधाई
तीसरे अजय कुमार झा।

अविनाश भैया खूब सम्हाला

17 June 2009

इस्लाम कबूल न करने पर इसाई युवक का रेप फिर हत्या

इस्लाम कबूल न करने पर इसाई युवक का रेप फिर हत्या
पाकिस्तान में रह रहे एक युवा ईसाई युवक ने जब इस्लाम कबूल करने से इंकार कर दिया तो कुछ लोगों ने न केवल उसके साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया बल्कि उसकी हत्या भी कर दी है। और इस सनसनीखेज मामलें में पाकिस्तान की स्थानीय पुलिस नें ढीला रवैया दिखाते हुए कोई कदम नहीं उठा रहीं है।

मृतक इसाई युवक के परिवार के सदस्यों ने दावा किया है पाकिस्तान में इस्लाम न कबूल करने के कारण रेप के बाद कुछ लोगों ने उसकी हत्या कर दी है।

फॉक्स न्यूज की एक खबर के अनुसार घटना का शिकार युवक के भाई के अनुसार पुलिस ने 28 साल के मासी गौरी का शव पंजाब प्रांत में 15 मई को एक नहर के पास से बरामद किया है। वह पाकिस्तान में सारगोधा विश्वविद्यालय का छात्र था।

रेप के साथ बुरी तरह टार्चर कर हत्या की
गौरी के 24 साल के भाई सलमान नबील गौरी ने बताया है कि उसके भाई को सैक्सुअली प्रताड़ित किया गया और उसके जनन अंगो को चाकूओं से घायल भी किया गया।

मृत युवक द्वारा इस्लाम कबूल ना किए जाने के कारण कम से कम पांच बार बलात्कार की वारदात को अंजाम देने के साथ ही उसकी हत्या कर दी गई।

मृत युवक के परिवार के सदस्यों का मानना है कि मासी गौरी एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता था और लड़की के भाई ने अपनी बहन के साथ गौरी को आपत्तीजनक हालत में देख लिया था जिसके बाद उसने इस वारदात को अंजाम दिया। इस वारदात को अंजाम देने वाले व्यक्ति का नाम शाजी चिमा बताया जा रहा है।

11 मई को दी थी धमकी
गौरी के एक दोस्त के अनुसार ११ मई को शाजी चिमा २ अन्य लोगों के साथ लिट़टो गौरी के घर आया था और उसने धमकी देते हुए कहा था कि वह इस्लाम कबूल कर लें और उसकी बहन के साथ निकाह कर लें।

निकाह से सहमत लेकिन इस्लाम का विरोध किया था मृतक नें

मृतक गौरी निकाह के लिए सहमत था लेकिन उसने इस्लाम कबूल करने से इंकार कर दिया था जिसके बाद उसका अपहरण बंदूक की नोक पर कर लिया गया था। अपहरण के बाद उसे एक फार्म हाउस पर ले जाकर उसके साथ न केवल रेप की वारदात को अंजाम दिया गया बल्कि उसका कत् ल भी कर दिया गया।

पुलिस ने आत्महत्या करार दिया
स्थानीय पुलिस ने मृतक की बॉडी पाने के बाद इसे आत्महत्या का केस बना दिया है। लेकिन गौरी के भाई का कहना है कि स्थानीय पुलिस इस मामलें में खूनी को पकड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहीं है और उसके परिवार से मिलने से भी इंकार कर दिया है।

वांशिगटन स्थित पाक दूतावास कों वारदात की जानकारीं नहीं
इधर वांशिगटन स्थित पाक दूतावास के अधिकारियों ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा है कि उनकों ऐसी किसी वारदात की जानकारीं नहीं है लेकिन वे इस मामले पर ध्यान देंगे। अगर वहां ऐसी कोई घटना होने की बात सामने आएगी तो इसकी जांच कराई जाएगी।

साभार - दैनिक भास्‍कर

28 May 2009

जन्‍म दिवस पर स्‍वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर

महाराष्‍ट्र के नासिक जिलें में मगूर नामक गाँव में दामोदर सावरकर एवं राधा वाई के यहॉं 28 मई 1883 को विनायक का जन्‍म हुआ।बचपन में माता पिता महाभारत, रामायण, शिवाजी और राणाप्रताप केविषय में बताते रहते थे। उन्‍होने मित्रमेला नाम की संस्‍था बचपन में ही बनाई थी और इसके द्वारा क्रान्तिकारी गतिविधियों का प्रचार करते थे। कक्षा 10 उत्‍तीर्ण करने के पश्‍चात कविताएँ लिखने लगे। तिलक जी से परिचय होने के पश्चात सन् 1905 में विदेशी वस्‍त्रो की होली जलाई। बी0ए0 में अध्‍ययन के पश्चात सशस्‍त्र क्रान्ति के लिये अभिनव भारत नाम की संस्‍था बनाई।

6 जून 1906 को कानून की पढ़ाई के लिये लंदन गये , वहाँ इण्डिया सोसाइटी बनाई। मेजिनी का जीवन चरित्र और सिखों का स्‍फूर्तिदायक इतिहास नामक ग्रंथ लिखा। 1908 में मराठी भाषा में 1857 का स्‍वातंत्र्य समर लिखा और यह जब्‍त कर ली गई। इन्‍ही की प्रेरणासे मदन लाल धींगरा ने कर्जन वायली की हत्‍या कर दी गई। सन् 1906 में ही राजेश दामोदर सावरकर को लेल भेजा गया और सावरकर बन्‍धुओं की सारी सम्‍पत्ति जब्‍त कर ली गई। कुछ दिनो बाद इग्‍लैंड से पेरिस गये और वहाँ से पुन: लंदन पहुँचने पर अपनी भाभी मृत्‍युपत्र नामक मराठी काव्‍य लिखा।

सावरकर जी को जलयान द्वारा भारत लाये जाते समय फ्रांस के निकट जहाज के आते ही शौचालय से छेकर समुद्र में कूद पड़े परन्‍तु पुन: पकडे पकड़े गये । बम्‍बई की विशेष अदालत ने आजन्‍म कारावास की सजा दी और काले पानी के लिये आंडमान भेज दिया गया। इसी जेल में उनके बड़़े भाई भी बंद थे। जेल में रह कर कमला गोमान्‍तक और रिहोच्‍छ्वास काव्य लिखा।

10 वर्ष बाद 1921 में अण्‍डमान जेल से लाकर रत्‍नागिरि जेल में उन्‍हे बंद कर दिया गया। यहाँ हिन्‍दुत्‍व, हिन्‍दूपदपादशाही, उ:श्राप, उत्‍तरक्रियासठयस्‍त्र, संयस्‍त खड्ग आदि ग्रंथ लिखे। हिन्‍दू महासभा की स्‍थापना कर शुद्धि का बिगुल फूका और हिन्‍दी भाषा का प्रचार किया। 10 मई 1934 को यहाँ से वे मुक्त हुये।

महात्‍मा गांधी की हत्‍या होने पर उन्‍हे पुन: बंदी बनाया गया। फरवरी 1949 को ससम्‍मान मुक्त हुये। 20 फरवरी 1966 को वह देशभक्त बीर संसार से विदा हो गया।

27 May 2009

पर्यावरण की सुरक्षा करना आपका और हम सबका नैतिक दायित्व है

ॐ श्री गणेशाय नमः

प्रिय मित्रो/बहिनों और भाइओ

आगे समाचार यह है कि यहाँ सब शेष कुशल है और इश्वर से प्राथना करत है कि आप सभी कुशल मंगल होंगे. मोडा-मोढी अच्छे से गरमी की छुट्टी मनात होंगे या घरवाली के साथ तुम्हारी ससुराल गयेन हुइए और मौजा मौजा करत हुइए. भैय्या इ साल तो गरमी गजब को रंग दिखात है. आसमान तो दहाड़ने लगे है और शहर के उपर बादलो की जमात भी दिखाई दें लगी है और लगत है कै अबकी अगले हफ्ते तक पानी आ जाहे.

हाँ बरसात आ रही है सो मोरे दिमाग में जा बात आई कि लगे हाथो बरसात में अपन भी पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प ले. जगह इसकी अलग जगावे कै अबकी बरस से हम पौधे खूब लगावे और इसकी देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ले नाइ तो शुद्ध हवा जब अपनी अलगी पीढी को न मिलहे तो वे सबई अपनी पीढी को गली बकहे जा अच्छी तरह से अबे से समझ लो का समझे ? हाँ बड्डे जा मेरो सन्देश अपनी पंचायत में भी कहके सुना दई . उखो मजनून नीचे लिख रहो हूँ...

मित्रो स्वागत समारोहो मे पुष्पो का जमकर उपयोग किया जाता है. हँसते फूलो को हम साथी पौधो से अलग कर हम पर्यावरण को नुक़सान तो पहुंचाते है और प्राकृतिक सौंदर्य को क्षति पहुंचाते है फिर स्वागत समारोह के बाद इन फूलो को बेदर्दी से कूड़ेदान मे हम सबई फेक देत है. जैसा कि आपको मालूम है ग्लोबल वार्मिंग के कारण मानव जीवन ख़तरे मे है अब पर्यावरण को सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी आपकी और हम सबकी है.

मित्रो मेरा एक सुझाव है कि जब भी कोई स्वागत समारोह हो या कोई अतिथि का सम्मान करना हो तो आप पुष्प मालाओ, पुष्प गुच्च की जगह अतिथि को एक पौधा भेट करे और हाथ जोड़कर निवेदन करे कि आप इस पौधे की सुरक्षा और सरक्षण करे यह आपकी नैतिक ज़िम्मेदारी है और पर्यावरण की सुरक्षा हेतु यह कार्य नितांत मानव के कल्याण के लिए आवश्यक है. भविष्य मे जब अतिथि को भेट किया गया पौधा बढ़ता आप देखेगे तो आपका मन प्रफुल्लित हो उठेगा. कृपया संकल्प ले कि हम मुस्कुराते फूलो को न तोडेंगे और कभी प्रकृति के सौंदर्य से खिलवाड़ नही करेगे और इस तरह से आप स्वागत समारोहो मे फूल मालाओ की जगह अतिथि को एक पौधा प्रदान करेगे और अतिथि को पर्यावरण की सुरक्षा करने का संदेश भी देंगे. हाँ अपने जन्मदिन के अवसर पर भी पौधा जरुर लगाए और जन्मदिन को यादगार बनाए.



मोरी फोटो जन्मदिन पे पौधारोपण करत भये.

अखीर में भैय्या जा चिठ्ठी हर बरसात आवे के पहले मै अपनो खो लिख देत हूँ . जा मेरी चिठ्ठी तुमखो पुन्य के कारज से लिख रहा हूँ. चलो अब चिठ्ठी बंद करत हूँ काय से आज से हमें भी अपनी बगिया सजाना संभारना है. खर पतवार भी साफ करने है.

पर्यावरण की सुरक्षा करना आपका और हम सबका नैतिक दायित्व है.
जय राम जी की