म्यामार का हिन्दू यदि अपने अधिकारों की बात करता है तो उसे बुरे परिणाम के लिये तैयार रहने का कहा जाता है। वह समानता की बात कह नही सकता, उसे समानता मिल नही सकती, वह वहॉं पूजा करने को स्वतंत्र नही कोई सर्वाजनिक उपासना नही कर सकता है। घर में भी वह घन्टी नही बजा सकता है। उस पर कई तरह के प्रतिबन्ध है। यह प्रतिबन्ध एक मुस्लिम राष्ट्र का प्रतिबन्ध है। यहॉं उदारता भाई चारा सौहार्द जैसे शब्द नही है। यहॉं किसी की धर्मिक भावना को कोई मतलब नही, यहॉं अभिव्यक्ति की स्वत्रंत्रता भी नही, यहॉं कलाकारों की कला भी स्वतंत्रता नही है। इससे मिलता जुलता हाल तमाम मुस्लिम राष्ट्रों को है। वो जहॉं ताकत में है वहॉं दूसरो की कोई आवाज नही है।
हिन्दुओं को संगरक्षण देने का काम केवल भारत ही कर सकता है। किन्तु यहॉं के हाल अत्यन्त खराब है हजारों वर्ष से लुटता पिटता और संघर्ष करता हिन्दू आज सच्चाई समझ नही पा रहा है। वह आज भी शान्ति शद्भाव व भाई चारे की बात करता है। ‘सर्वभवन्तु सुखिन:’ उसका शीर्ष वाक्य है। ऐसे में कुछ ऐसे हिन्दु नाम भी है जो छुद्र लाभ के लिये हिन्दुओं को ही गाली देते है। कितना भी बड़ा आधात हिन्दुओं पर हो उन्हे आघात नही लगता। वह नही जनता कि शान्ति शान्ति कहने से शान्ति नही मिलती है। शान्ति निर्माध के लिये अशान्ति के विषबीज को समाप्त करना होता है। शायद इसी शान्ति के चाहत में हमने पाकिस्तान बनाया, इसी शान्ति के चाहत में अनुच्छेद 370 लगाया इसी शन्ति के चाहत में अनेको तरह की छूट दी, किन्तु यह शान्ति हमसे दूर होती चली गई। हम अपने आपकेा अब सम्हाल नही सकते। हमें नही पता है कि हम सुबह घर से निकलने के बाद वापस भी आयेगे कि नही।
यह कहना अत्यन्त कठिन है कि देश में प्रचार-प्रसार पर किसका असर है? किसके इसारे पर यहॉं कि अपनी मीडिया ही अपने लोगों को डराने का काम कर रही है? हाल ही में तीन कचेहरियो में हुऐ बम विस्फोट के बाद मीडिया ने कहना प्रारम्भ किया कि आंतकवादियों ने वकीलों से बदला ले लिया। यह बदले की कार्यवाही है। वकीलों ने आंतकवादियों का केस न लड़ कर उन्हे नाराज कर दिया। एक ऐसा माहौल बनाया गया कि यहॉं के लोग यहॉं कि इस घटना से भयभीत हो जहॉं आतंकवादियों को जवाब देने के लिये, उनका मुकदमा न लडने के लिये साहस दिखने के लिये वकीलों की प्रशंसा होनी चाहिए थी वहॉं इनके साहस की प्रसंशा के स्थान पर आतंकवादियों की बुझदिली कुछ को वकीलों के मुँह पर तमाचा बताया गया1 यह बात मीडिया के भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
चौतरफा के हमलों से आज भारत लड़ रहा है। इसके जीवन वृत्त में युद्ध एक अहम् हिस्सा हो गया है अपेक्षा थी कि 1947 के अलगरव के बाद अमन और होगा किन्तु हमसे अमन औरर शान्ति दूर ही जा रही है। इस राष्ट्र की राजनीति के अन्दर राष्ट्र और राजनीति के वुनाव में राष्ट्र काफी पीछे जा रहा है। राष्ट्रीय विचारों की बात करने पर मीडिया हाय तौबा मचाता है। उसे राष्ट्रीय विचार धारा लोगों को सताने वाली लगती है।आज की मीडिया को क्रान्तिकारियों और आतंकवादियों में कोई अन्तर नही समझ आता। ये क्रान्तिकारियों की तुलना आतंकवादियों से करने है, नही पता ऐसा करने से इन्हे कैसी शान्ति प्राप्त होती है? किन्तु इससे यह स्पष्ट होता है कि यहॉं कट्टरता बढ़ रही है। इस देश में दिल्ली से कन्याकुमारी तक का मुस्लमान 370 का पक्ष लेता है। इस देश के मुसलमानों के दबाव में तसलीमा की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तार तार होती है। इस देश के मुसलमानों के डर से सलमान रूशदी को देश छोड़ना पड़ा। इस देश के मुसलमानों के भय से ही सरकार अफजल को फांसी देने से कतरा रही है किन्तु अतने के बाद भी मुसलमान इस देश का है। सारी घटना के लिये हिन्दू दोषी है। तभी तो सिर्फ और सिर्फ देश में दो ही दंगे हुऐ एक गुजराज का दूसरा मुम्बई का बाकी पूरा देश शान्त बना रहा। किसी दंगे में कोई हिन्दू मारा गया तो भी भी दंगा है। इसी लिये मऊ, कानपुर हैदराबाद, अलीगढ़ भोपाल, नागपुर और केरल आदि के दंका कही कोई जिक्र नही होता। खुले आम कुछ लोग आतंकवाद को सहारा दे रहे है उन पर कोई ऊँगली नही उठाता। फूलपुर के आंतकवादी की गिरफतारी के बाद घंटो जाम हुआ यह चर्चा का विषय नही होता।
आज हिन्दू अपने सीमित संसाधन से पूरे विश्व को शान्ति का संदेश दे रहा है। अनेकता में एकता का उदाहरण दे रहा है। विविध विचारों के बावजूद युद्धहीन समाज के निर्माण का अनोखा उदाहरण विश्वमें एक मात्र यही है। विकास-विचारों की स्वतंत्रता से होता है जहाँ हर किसी को सम्मान मिले वही प्रतिभा पनफती है इन सभी विशेषता के बावजूद हिनूद को समाप्त करना आज कुछ लोगों को जरूरी लग रहा है क्योकि यही वह विचार धारा है जो उनके मनसूबे पर पानी फेरता है। इसलिये इसे भारत में पल्लवित होना ही चाहिऐ और भारत को विश्व के किसी भी हिन्दू पर हो रहे अत्याचार के खुल का बोलना चाहिए।
6 comments:
agar myamar me hinduo ko kuchh hota hai to uska javab eet se nahi patthar se diya jayega.
प्रिय देवेंद्र
हिन्दुस्तान मे हरेक कौम के व्यक्ति को जिस तरह की आजादी उपलब्ध है वह दुनियां के कुछ ही देशों मे मौजूद है.
अपसोस यह है कि कई लोगों के लिये यह आजादी मनमानी करने एवं देश से विरोध करने का रास्ता बनता जा रहा है.
कानून को हर तरह के देशद्रोह के विरुद्ध कडा होना पडेगा!! लिखते रहो, बदलाव जरूर आयगा -- शास्त्री जे सी फिलिप
जिस तरह से हिन्दुस्तान की आजादी के लिये करोडों लोगों को लडना पडा था, उसी तरह अब हिन्दी के कल्याण के लिये भी एक देशव्यापी राजभाषा आंदोलन किये बिना हिन्दी को उसका स्थान नहीं मिलेगा.
आपने सार्थक प्रश्न उठाया है, आपने जितने लेख प्रकाशित किये जो बहुत कुछ कहते है। अच्छा लगा
10 साल बाद हिन्दुस्तान मे यही होने वाला है मुस्लमान भी हिन्दुस्तान मे यही करने वाले है । सभी तैयार रहो यहा रहने वाले हिन्दु या तो मारे जयेगे या समुन्द्र मे जाकर आत्महत्या करगे। और जो अपने को secular कहते है वोसे आदमी अपनी वहू बेटी का सौदा मुस्लमान से करेगे अपनी जिन्दगी के लिये वहू बेटी को गिरवी रखेगे
या फिर मुस्लमान की रखैल बना देगे। जिस हिन्दु मे आत्मसम्मान है अभी से अपनी बेटी को जहर दे दो जैसा कि हिन्दुस्तान के बटवार के समय मे हुआ था नोवाखाली मे हुआ था अभी बगाल मे हो रहा है
जैसा बाग्लादेश मे हो रहा है।
नपुन्सक राष्ट्र के सैनिको अभी भी समय है धर्मयुद्ध का तैयारी करो या फिर कुत्ते कि मौत मरने के लिये तैयार रहो
क्या हिन्दुओं में एकता है? शरूआत घर से हो, विश्वशांति बाद की बात है. जातिवाद को धत्ता बता कर ही हिन्दु समाज आधुनिक हो पायेगा. करो शरुआत.
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौरे-जहां हमारा
हिन्दु धर्म निर्विवाद रूप से विश्व का सबसे प्राचीन जीवित धर्म है. इसने बहुत से तूफान झेले हैं. इतनी आसानी से मिट नहीं सकता. जहां मुश्किलें होती हैं, वहीं समाधान भी होतें हैं.
अगर हिन्दु धर्म के अंदर जो contradictions हैं वह मिटा दिये जायें, तो निश्चित ही जिस सब की आप चिंता कर रहें है, वह नहीं होगा. दिक्कत बाहर से नहीं, अंदर से है.
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