देखो ये आवारे,
मोहब्बत के नाम पर ख़ून,
बहाने चले है।
ये मनचले आगोश में,
अपना जनाज़ा उठाने चले है।
अपने दुश्मनों को,
दिल की हर बात बताने चले है।
भूल कर अपना रास्ता,
गैरो को मंजिल दिखाने चले है।
जो राज है सबकी ऑंखों के सामने,
उसको ये छिपाने चले है।
दुश्मनों से दोस्ती निभाने चले है।
मौत को समझकर दिलबर,
उसको आज रिझाने चले है।
जिसकी गिरफ्त में है सभी,
उसी को आज फसाने चले है।
आज ये जवां अपनी तकदीर को,
खाक बनाने चले है।
6 comments:
बहुत खूब........
बहुत खूब........
बहुत खूब........
बहुत सुंदर प्रयास बढ़िया है
ज़ालिम तुम तो कहर ढारहे हो।
युवाओं को देखने का एक नया नजरिया...बहुत अच्छे
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