मर गये हैं जलकर कुछ अरमॉं, कुछ का मरना बाकी है।
सब डूबे हैं दरिया में, मेरा ही उतरना बाकी है।।
डर लगता है जीने से,
खड़ी है मुश्किले करीने से,
हर देर से लौट चुके हम, तेरे घर से गुजरना बाकी है।
सब डूबे हैं दरिया में, मेरा ही उतरना बाकी है।।
मेरा ये दिल तोड़कर,
चले गये तुम मुझे छोड़कर,
रो रोकर ऊब चुके हम, बस ऑंखे भरना बाकी है।
सब डूबे हैं दरिया में, मेरा ही उतरना बाकी है।।
सुनकर मेरे गीत को,
याद करना अतीत को,
तुमने वादा तोड़ दिया, मेरा ही मुकरना बाकी है।
सब डूबे हैं दरिया में, मेरा ही उतरना बाकी है।।
मेरे हाथ से जो तेरा हाथ छूटा,
दिल के संद मै भी टूटा,
मै बिखरा हूँ तन्हाई में बस दिल का बिखरना बाकी है।
सब डूबे हैं दरिया में, मेरा ही उतरना बाकी है।।
5 comments:
अच्छा लिखा है, और अच्छा लिखना बाकी है,
ये तो बस शुरुआत है,कलम का और निखरना अभी बाकी है.
बहुत अच्छे, लिखते रहिये... शुभकामनाऍ
सुन्दर रचना है।बधाई।
NICE KEEP MIND IN DEEP............NICE
तुम्हारी कविताओ में दर्द होता है। अच्छा लिखते हो
thandhi me nadi ka pani bhi...............koshshis achchhi.
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