18 December 2007

महाशक्ति से ज्ञान

महान होना ही शक्ति है ‘महान’ जिसमें ‘म’ छोटा है और ‘ह’ बड़ा तथा ‘न’ भी छोटा है। तात्प र्य यह है कि जो छोटे (बच्चों ) को बड़ो (नौजवानों) और फिर प्रौढ़ों (बुर्जुगों) को साथ लेकर कार्य करता है। वही शक्तिशाली होता है एवं महान कहलाता है। कोई भी व्य क्ति महान तभी बन सकता है जब लोग उसे महान कहेगें, लोग आपको महान तभी कहेगें तब आप महान काम करेगें। महान करने के लिये आपके विचार भी महान होने चाहिऐ। केवल विचार महान होने से कार्य पूर्ण हाने वाला नही है। आप उस परिकल्प ना को मूर्त रूप दीजिए क्येा कि जब आपको सोचना है तो क्यों। न अच्छाल सोचे और आपको ही कार्य करना है तो क्योय न बड़ा करे। किसी भी कार्य को खूबसूरती से करने के लिये स्वकयं को ही करना चाहिऐं। कोई चीज पूर्ण नही होती है उसे सम्पूबर्ण बनाना होता है। हमें महाशक्ति बनना है तो खुद के विचार एवं कार्य को महानता से करना ही चाहिए। चाहे वह काम वह समाजिक, निजी या कैसा भी हो।

क्रमश: ..

4 comments:

Pramendra Pratap Singh said...

ताराचन्‍द्र जी आपने बहुत अच्‍छा विश्‍लेषण किया है। सच ज्ञान वर्धक है। आप बधाई के पात्र है ।

Anonymous said...

हमे महाशक्ति बनना है, और आप का यह लेख हमे उसकी और बढने के लिये प्रेरित कर रहा है और करता रहेगा...धन्यवाद....शुभकामनाऍ

Shiv said...

आपका लेख हमसब को महान बनने के लिए पंथ दिखाने का कार्य करेगा, ऐसी आशा है. महान शब्द का इतना बढ़िया विश्लेषण शायद ही कहीं मिले. इतने अच्छे लेख के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं. कुबूल करें.

आशा है अजीत वडनेरकर जी इस शब्द की यात्रा पर एक लेख अवश्य लिखेंगे.

MEDIA GURU said...

aap sabhi ko utsahvardhn k liye dayavad dete hue kahana chahunga ki MAHASHAKTI GRUP ko majboot karne ka kary ham sabhi k kandho per hai.