ना जाने क्यों लोग,जिन्दगी भर साथ निभाने की बात करते हैं,
हमने तो तेरे संग चंद लम्हों मे जिन्दगी को जी लिया है.
मै तो तेरी यादों को भुला खुद ब खुद संभल ही गया,
तुमने नजरें मिलते ही, नजरों को क्यों झुका लिया है.
आशियॉ बनाने मे सदियों लगे थे,उजडने मे लम्हा,
तुम ने फिर से क्षणों मे आशियॉ कैसे सजा लिया है.
मेरी ख्वाबों की मल्लिका तुम और सिर्फ तुम हो,
ये जान नींद को भी दुश्मन हमने बना लिया है.
3 comments:
आशुतोष भाई बहुत ही बढि़यॉं गज़ल है बधाई, बढि़यॉं प्रयास है।
वाह! बहुत अच्छी गजल. पढ़कर अच्छा लगा. लिखतें रहे.
tere aankho ki neend gayab ho jaye mallika sapno me roj aaye. badhai ho bahut achchhi gazal hai likhet rahiye.
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