31 October 2007

श्री गणेश स्‍तुति:

गजाननं भूतगणधिसेवितं, कपित्‍थ-जम्‍बूफल-चारूभक्षणम्।

उमासुतं, शोकविनाश-कारकं, नमामि विघ्‍नेयवर-पाद-पंकजम्।।

अर्थ- पांच महाभूतों से सेवित, कैथ और जाम फल जिन्‍हें प्रिय है, पार्वती पुत्र, शोक नाशक, विघ्ननाशक-गजानन के चरण कमलों को प्रणाम करता हूँ।

श्री गणेश झाकी

4 comments:

ghughutibasuti said...

गणेश जी को हमारा भी प्रणाम !
घुघुटी बासूती

Ashish Maharishi said...

गणेश स्‍तुति: के लिए धन्यवाद...जय हो गणेश जी की

Udan Tashtari said...

जय गणेश!!! प्रणाम!!!

Anonymous said...

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