भारत हमेसा से आतकवाद के विरुद्द लड़ने मे अमेरीका का मुह देखता है और कहता है कि अमेरीका भारत का सर्मथन नही करता है क्या भारत सरकार इस लायक है कि उसका कोई सर्मथन करे क्या इसमे इतना ताकत है कि ये आतकवाद को समाप्त कर सके शायद नही ।
भारत और अमेरीका मे आतकवाद के विरुद्द लड़ने का कितना दम है मद्दा है इसके लिए एक उदाहरण प्रस्तुत है। अनीति के पृथकतावादी नेता सैय्यद अलीशाह गिलानी जब तक स्वस्थ था भारतीय तन्त्र के विरुध और जम्मू कश्मीर मे सशस्त्र आतकवाद को बढावा देने मे कभी भी पीछे नही हटे और जब मुम्बई मे उसका इलाज चल रहा था तो उसको यही चिन्ता सता रही थी कि क्या कश्मीर मे उसका विक्लप मैजुद है? उसकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियो के बावजूद भारत सरकार ने अमरीका मे उपचार हेतु भारत सरकार ने उसे पासपोर्ट जारी किया, प्रधानमन्त्री डा. मनमोहन सिह ने हर सभव चिकित्सकीय सहयता देने का आश्वासन दिया, दूसरी और यह अमरीका ही है जिसने गिलानी को वीजा देने से मना कर दिया। उसी गिलानी की भारत विरोधी गतिविधियो को नजरअन्दाज करने का ही दुष्परिणाम है कि पाव पर खड़ होते ही श्रीनगर मे भारत विरोधी रैली का आयोजन किया जिसमे कई आतन्कवादी गुट के बैनर तथा नकाबपोश आतन्कवादी शामिल हुए बाद मे उसी गिलानी ने कश्मीर मे गैर कश्मीर मजदूरो को घाटी से बाहर जाने का फ़तवा जारी किया।
यह हम सब के लिया चिन्ता क विषय है कि एक ओर आतन्कवादी के प्रति नरम रवैया है, कातिल से हाथ मिलाने का दस्तूर है, अलगावादियो एव आतन्कवादी के बिना पासपोर्ट के भी पाकिस्तान की सीमा लाघने पर कुछ नही कहा जाता, सन्सद के हमलावर को मौत की सजा तक रोक दी जाती है, भारतीय सम्प्रभुता की रक्षा के लिए प्राण - न्योछावर करने वालो ससद के रणबाकुरो के परिजनो द्वारा शहादत के सम्मान मे दिये गये शोर्य पदक लौटाए जाने पर भी राष्ट्र आतन्कवाद के प्रति मौन है। दूसरी ओर अमरीका अन्तराष्टीय आतन्कवादी गुट अलकायदा से लोहा लेने के लिये हजारो मील का सफर तय कर अफगानिस्तान पर चठाई कर देता है। वह ओसामाविन लादेन के गढ मे जाकर आतन्कवादीयो को मारता है, ईराक मे सद्दाम हुसौन की तानाशाही मे सेध लगा देता है और आतन्कवाद से लड़ने मे तुष्टीकरण की राजनीति का शिकार हुये भारत के लिए भी यह आदर्श प्रस्तुत करता है कि मानवता के दुश्मनो को कैसे सबक सिखाया जाता है और भारत की नपुसक सरकार है जो आतन्कवाद को खात्मे के लिए ठोस कदम नही उठा रही है।
1 comment:
भारत सरकार को चाहिए की अपने पौरूष के बल पर आंतकवाद से लड़े, आज समय है कि अपने दूसरे के सामने हाथ पैलाने के बजाये डंके की चोट पर पाकिस्तान पर आक्रमण करके आतंवाद के घर को नाश करें।
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