भगत सिंह इस बार न लेना काया भारतवासी की।
देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की।।
यदि जनता की बात करोगे तुम गद्दार कहलाओगे।
बम्ब-संब की छोडो, भाषण दिया की पकडे जाओगे।।
निकला है कानून नया, चुटकी बजते ही बंध जाओगे।
न्याय-अदालत की मत पूछो सीधे "मुक्ति" पाओगे।।
मत समझो की पूजो जाओगे, क्यूंकि लड़े थे दुश्मन से।
सत ऐसी आँख लड़ी है अब दिल्ली की लंदन से।।
कॉमनवेल्थ कुटुंब देश को खींच रहा है मंतर से।
प्रेम विभोर हुए नेतागण रस बरसा है अम्बर से।।
शहीद भगत सिंह (सितम्बर २८, १९०७-मार्च २३, १९३१)अब जबकि संघ लोक सेवा आयोग ने भी अपने सामान्य अध्ययन मुख्य परीक्षा मे भगत सिंह पर १५ अंकों का सवाल पुछा है तो प्रतियोगी परीक्षार्थी होने के नाते मेरा भी कुछ विचार करने का दायित्व बनता ही है. अतः मैं इस माह भगत सिंह पर ही प्रकाश डालूँगा की महज २३ साल कुछ महीने में उस आजादी के परमवीर योद्धा ने इस भारतवर्ष को क्या कुछ दिया है.जिसने कहा की क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है. ऐसे विचारवान, चिंतन, मनन करने वाले भगत सिंह को शत शत नमन।
किन्तु आज का वातावरण है कि देश की सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को घोषित कर रही है, तो कौन मॉं चाहेगी कि उसका लाल भगत सिंह बनें? कौन पिता चाहेगा कि उनका पुत्र देश की रक्षा में शहीद हो, तब उसे आंतकवादी ही कहा जायेगा।
देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की।।
यदि जनता की बात करोगे तुम गद्दार कहलाओगे।
बम्ब-संब की छोडो, भाषण दिया की पकडे जाओगे।।
निकला है कानून नया, चुटकी बजते ही बंध जाओगे।
न्याय-अदालत की मत पूछो सीधे "मुक्ति" पाओगे।।
मत समझो की पूजो जाओगे, क्यूंकि लड़े थे दुश्मन से।
सत ऐसी आँख लड़ी है अब दिल्ली की लंदन से।।
कॉमनवेल्थ कुटुंब देश को खींच रहा है मंतर से।
प्रेम विभोर हुए नेतागण रस बरसा है अम्बर से।।
शहीद भगत सिंह (सितम्बर २८, १९०७-मार्च २३, १९३१)अब जबकि संघ लोक सेवा आयोग ने भी अपने सामान्य अध्ययन मुख्य परीक्षा मे भगत सिंह पर १५ अंकों का सवाल पुछा है तो प्रतियोगी परीक्षार्थी होने के नाते मेरा भी कुछ विचार करने का दायित्व बनता ही है. अतः मैं इस माह भगत सिंह पर ही प्रकाश डालूँगा की महज २३ साल कुछ महीने में उस आजादी के परमवीर योद्धा ने इस भारतवर्ष को क्या कुछ दिया है.जिसने कहा की क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है. ऐसे विचारवान, चिंतन, मनन करने वाले भगत सिंह को शत शत नमन।
किन्तु आज का वातावरण है कि देश की सरकार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को घोषित कर रही है, तो कौन मॉं चाहेगी कि उसका लाल भगत सिंह बनें? कौन पिता चाहेगा कि उनका पुत्र देश की रक्षा में शहीद हो, तब उसे आंतकवादी ही कहा जायेगा।
क्रांति की अग्निशिखायें कभी नहीं बुझती,वे आज भी जिंदा हैं। हम जीते थे, और हम फिर जीतेंगे।।
9 comments:
वाह गौरव भाई,
आप बधाई के पात्र है,आपने इस कविता के माध्यम से देश के चिन्तन को झकझोर कर रख दिया है।
सही प्रश्न उठाया है, अगर हमारी नीतियॉं शहीदों और देश भक्तों के लिये यही रही तो क्या कोई माँ अपने पुत्र को भगत सिंह बनने देगी ?
Dear Mr Gaurav,
Great work done by you. Can you tell us something more about Mr Bhagatsingh.
With Best Regards
Hari Om Tripathi
एक झकझोरने वाली रचना ! बधाई ! लेकिन यह कैसा सच कि हमारे वीर सपूतों को हमारी सरकारों ने आंतक्वादी बना डाला ।
बहुत बढ़िया रचना, गौरव जी.
आज हमारे देश में भगत सिंह को आतंकवादी बताया जा रहा है....उन्हें आतंकवादी बताने वाले लोग कैसे हैं?...
आपने ये कविता लिख कर देश वाशियों की आत्मा को झिझोड़ने का प्रयास किया...अद्भुत और सुंदर रचना...धन्यवाद
बहुत अच्छी रचना
अतुल
आज भगत सिह नही पुजे जाते है पुजे तो साहबुद्दीन, तस्लीमुद्दीन, जाते है, भगत सिह को फासी लगता है और और अफजल जैसे को सरकार देशभक्त कहती है भगत सिह को गान्धी आतन्कवादी कहते थे। अच्छा हुआ भगत सिह इस हिन्दुस्तान से चले गये नही हमारी नपुन्सकता पे उन्हे रोना ही आता
बहुत अच्छी रचना
आशा है इस से कुछा जागरुकता फैलेगा
जैसा नाम वैसी ही लेखनी,
आपकी कविता की प्रशशा के लिए में पास शब्द नही है।
एक उम्दा रचना !
@ महाशक्ति:- धन्यवाद, आपके सराहा.
@ हरिओम :- अवश्य.. शीघ्र ही आपको और भी पहलुओं से अवगत कराया जायेगा..
@ डॉ. प्रभात जी:- यही एक कड़वा सच है. सरकार अपने कुछ हितों के लिए किसी को कुछ भी कहने से गुरेज़ नहीं करती है..
@ शिव कुमार मिश्र जी:-आपने सही प्रश्न किया.. की जो आतंकवादी बता रहे हैं वे खुद कैसे हैं..
@ अतुल:- धन्यवाद अतुल जी.
@ हिन्दू चेतना:- काश! आपकी बात सही हो...
@ रामकुमार जी :- इतनी प्रशंशा मैं तो गदगद हो गया...
@ Anonymous:- आपने काफी तीखी प्रतिक्रिया की... शायद इसीलिए अपनी पहचान छिपा ली... धन्यवाद आपको भी...
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