कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान का हिन्दू धर्म में बड़ा महात्व होता है। प्रात: काल से ही हिन्दू धर्म के अनुयायी विभिन्न नदियों में स्नान करते है। इसी पुण्य तिथि के दिन सिक्ख पंथ के संस्थापक एवं प्रथम गुरू नानक देव जी का जन्म दिवस है। इनका जन्म अखंड भारत के ननकाना पंजाब प्रान्त में हुआ था जो आज पकिस्तान में है। इनके विषय में कहा जाता है कि जन्म होते ही ये हँस पडे थे। गुरू नानक जी को पंजाबी, संस्कृत, एवं फारसी का ज्ञान था। बचपन से ही इनके अंदर आध्यत्म और भक्ति भावना का संचार हो चुका था। और प्रारम्भ से ही संतों के संगत में आ गये थे। विवाह हुआ तथा दो संतान भी हुई, किन्तु पारिवारिक माह माया में नही फँसे। वे कहते थे “जो ईश्वर को प्रमे से स्मरण करे, वही प्यारा बन्दा”। हिन्दू मसलमान दोनो ही इनके शिष्य बने। देश-विदेश की यात्रा की, मक्का गये। वहॉं काबा की ओर पैर कर के सो रहे थे। लोग इनकी यह बात देख कर नाराज हो गयें, और इनके पैर को उठाकर दूसरी ओर कर दिया किन्तु जिधर पैर करते उधर ही काबा हो जाता। जब वे बगदाद पहुँचे तो वहॉं का खलीफा जनता का शोषण कर अपार धर जमा किये हुये थे। इन्होने कंकड़-पत्थर इकट्ठे कर खलीफा से पूछा क्यो मेरे द्वारा इन पत्थरों से तुझे मार दिये जाने पर क्या यह सब धन तेरे साथ उपर जायेगा ? खलीफा की बुद्धि ठिकाने आ गई और उसने जनता पर अत्याचार बंद कर दिया। प्रिय शिष्य भाई लहणा को अंग से लगाया तो लहण अंगद देव बन गये उन्ही को गरू की गद्दी पर बिठाया। 70 वर्ष की आयु में स्वर्ग धाम को चले गयें। सभी को कार्तिक पूर्णिमा व श्री गुरूनानक देव जंयती पर हार्दिक सुभकानाऍं।
1 comment:
आप को इस पावन दिवस पर बहुत-बहुत बधाई।
बहुत जानकारी से परिपूर्ण लेख लिखा है। ज्ञन वर्धन के लिए आप का धन्यवाद।
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