भोर की पहली किरण जवान होने के साथ ही गुजरात की जनता को चिंता सताने लगी थी कि कमल खिलेगा या पंजा। लेकिन धीरे-धीरे कमल की पंखुड़िया जागृत होने लगी और दोपहर तक कमल रूपी सूर्य का उदय हो गया। कमल खिला परन्तु इसके पंखुड़ियों में कमी के साथ मुरझाया रहा।
गुजरात विधान सभा चुनाव के 182 सीटों का परिणाम 23 दिसम्बर को सुबह आठ बजे मतगणना के साथ प्रारम्भ हुआ। आम जनता और विभिन्न पार्टियों के शीर्ष नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने अपनी पार्टी की जीत के लिए प्रार्थना करते नजर आये। सारी अटकलों, विवादास्पद बयानों, वाकयुध्दों के बीच समाप्त हुए इस चुनाव को विराम लगाते हुए भाजपा ने अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी कांग्रेस को बुरी तरह परास्त कर दिया। 182 सीटों में भारतीय जनता पार्टी ने 117, कांग्रेस ने 62 तथा अन्य ने तीन सीटें प्राप्त की। इनके अलावा अन्य कोई बड़ी राष्ट्रीय पार्टी ने खाता भी नही खोल पायी। भाजपा ने पिछली बार 127 एवं कांग्रेस ने 51 सीटें प्राप्त की थी। जब कि बहुमत के लिए 92 सीटों की जरूरत थी।
गुजरात राजनीति की नब्ज टटोलने वाले नरेंन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री का ताज पहना। चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने विकास का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया था। इसी का परिणाम रहा कि नरेन्द्र मोदी ने अपने निकटम प्रतिध्दंदी कांग्रेसी पटेल को सत्तासी हजार के बड़े अन्तर से हराया। इस निर्णायक जीत में गुजरात की जनता ने मुख्यमंत्री के विकासवादी दृष्टिकोण को काफी पसंद किया और दो तिहाई से अधिक बहुमत दिलाकर एक बार फिर 'विकास के सौदागर' को गुजरात की गद्दी सौंपी है। मोदी ने स्पष्ट बहुमत पाने के बाद प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि नये-नये शब्द प्रयोगों के बावजूद हमने गुजरात विरोधियों को परास्त किया। और 'जीतेगा गुजरात' का नारा सफल हुआ।
गुजरात की जागरूक जनता ने नकारात्मकता को नकारा। हिन्दुत्व और विवादास्पद भाषणों, सोहराबुद्दीन हत्याकांड जैसे विभिन्न मामलों से अपने को अलग रखते हुए एक नैतिक, विकासशील, प्रबुध्द चिंतन विचारधारा वाले व्यक्ति को सत्ता की बागडोर सौंपी है। इसमें कहीं कोई संदेह नही है कि गुजरात में यदि पांच वर्षो में सिर्फ एक बार बड़ी हिंसा होती है या अन्य सरकार के रहते हुए प्रत्येक वर्ष में छोटे-छोटे कई हिंसात्मक घटनाएं होती है तो कौन उचित होता है?
चुनावी सभाओं के दौरान मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को 'मौत का सौदागर' संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था लेकिन मोदी अब 'विकास का सौदागर' कहलायेंगे। कल ही चुनाव आचार संहिता के उलंघन में चुनाव आयोग ने उन्हे कड़ी चेतावनी देते हुए क्षमा कर दिया।
बार-बार के तख्तापलट से विकास के गति में अवरोध उतपन्न होता। लेकिन तीसरी बार बन रहे मुख्यमंत्री से गुजरात जैसे प्रदेश को विकास की गति मिलेगी। अपने साथ सभी पार्टियों को लेकर कार्य करेगें वादा भी किया। मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ताईस दिसम्बर को शपथ ग्रहण लेंगे। मोदी की इस जीत पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मोदी को बधाई देने से न रह सकें। यह मोदी के मोदित्व को ही दर्शाता है, कि गुजरात में हिन्दुत्व की गंगा के साथ विकास की नर्मदा भी बही है।
3 comments:
गुजरात में पार्टी की जीत को हिन्दुत्व की जीत है। गुजरात की जीत भाजपा की जीत है, विकास की जीत है और सबसे बढ़कर राष्ट्रीयता की जीत है । इस चुनाव परिणाम के बाद देश में राष्ट्रीयता की स्पष्ट धारा तेजी से बहनी शुरू हो जाएगी।
गुजराज की जीत विकास की जी है, मोदी की जीत हिन्दुत्व की जी है, भाजपा की जीत भावी राजनीति की दिशा तय करने की जीत है कि जातिगत समीकरण की काट है तो सिर्फ हिन्दुत्व है।
यह सांप्रदायिकता (जो कांग्रेस ने फैलाइ) पर राष्ट्रवाद की जीत है
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