07 July 2008

खतरे में माता हिंगलाज

पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रान्‍त में हिन्‍दू के 52 शक्ति पीठों में से एक हिंगलात माता के मन्दिर का अस्तित्‍व खतरे में नज़र आ रहा है। पाकिस्‍तान की संघीय सरकार ने मंदिर पास बांध बनाने का प्रस्‍ताव रखा है जिसे बूलचिस्‍तान प्रदेश सरकार ने संघीय सरकार से अपनी परियो‍जना को बदलने का अनुरोध किया है।

इस मंदिर के महत्‍व में कहा जाता है कि यह हिंगलाज हिंदुओं के बावन शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर काफ़ी दुर्गम स्थान पर स्थित है, पौराणिक कथाओं केअनुसार भगवान शिव की पत्नि सती के पिता दक्ष ने जब शिवजी की आलोचना की तो सती सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने आदाह कर लिया। माता सती के शरीर के 52 टुकड़े गिरे जिसमें से सिर गिरा हिंगलाज में। हिंगोल यानी सिंदूर, उसी से नाम पड़ा हिंगलाज। हिंगलाज सेवा मंडली के वेरसीमल के देवानी ने बीबीसी को बताया कि चूंकि माता सती का सिर हिंगलाज में गिरा था इसीलिए हिंगलाज के मंदिर का महत्व बहुत अधिक है।

जब किसी पवित्र खजू़र के पेड़ को बचाये जाने के लिये सड़क को मोड़ा जा सकता था तो 52 शक्ति पीठों में से एक हिंगलात माता के मन्दिर को क्‍यो नही बचाया जा सकता है। प्रान्‍तीय सरकार के सभी सदस्‍य इस मंदिर को बचाये जाने के पक्ष में है किन्‍तु हर जगह लालू-मुलायम जैसे सेक्‍यूलर नेता पाये जाते है। ऐसा ही उस प्रान्‍त भी है हिंदू समुदाय से संबंध रखने वाले एक विधायक ने मंदिर के पास बाँध के निर्माण की हिमायत की। बलूचिस्तान प्रांतीय असेंबली के सदस्य बसंत लाल गुलशन ने ज़ोर दे कर कहा है कि `धर्म को सामाजिक-आर्थिक विकास की राह में अवरोध बनाए बगैर' सरकार को इस परियोजना पर काम जारी रखना चाहिए। 

हे भगवान इस धरा से इन जयचन्‍द्रों का अंत कब होगा ?

1 comment:

Anonymous said...

Hum hinglajmata se joli felake prathna karte hai ki maiya tum mandir ki raxa karna

jay mata sera wali hingalajmataki jay jay kar ho