भारत में धर्म एक ऐसा पहलू है जिस पर अक्षेप करना बहुत ठीक नही समझा जाता है, धर्म के नाम पर गलत बयान बाजी करना निहायात ही संक्रीर्ण विचारधारा की ओर इंगित करता है। मेरे पिछले दो लेख अल्लाह की शक्ति का अतिक्रमण करता भारतीय संविधान, कठमुल्लों फतवा जारी करो और इस्लाम का संदेश आतंक मचाओ हूर मिलेगी मे मैने पाया कि मैने तथ्य परक बातें ही रखी थी, जो सही थी किन्तु मुस्लिम सम्प्रदाय के लोगो का कहना था नही ऐसा नही है, हम बिल्कुल पाक-साफ है, दोष तो तुम्हारे अंदर ही है।
एक सज्जन एक बड़ी सी आधी-अधूरी श्लोको की पोटली ले आये और बताने लगे कि हिन्दू धर्म मे भी आतंक की परिभाषा निम्न प्रकार से दी गई है किन्तु वह मित्र उन श्लोको का ठीक ढ़ग से अध्ययन करना भूल गये कि उसने आतंक के नाश की परिभाषा है न कि आतंक की जैसा कि इस्लाम मे कि आतंक मचाओ हूर मिलेगी। हिन्दू धर्म तो सर्व धर्म सम्भाव की बात करता है हमारे यहाँ पर्नजन्म की व्यवस्था है जिससे व्यक्तियों मे यह भय रहता है कि अमुख पाप करने से हमें अगले जन्म में निम्न योनि जन्म मिलेगी तथा अच्छे कृत्य से वैकुंठ की प्राप्ति होगी। इस प्रकार की मान्याताओ के कारण लोग गलत काम को करने से डरते है किन्तु मुस्लिम धर्म में तो इस प्रकार व्याख्या की गई अमुख काम दो नही तो अल्लाह नाराज हो जायेगा। स्त्रियों के विषय में ऐसी ऐसी बातें लिखी गई है जो उन्हे निम्न स्तर की प्राणी के रूप में ले जाता है। जबकि हिन्दू धर्म में नारी को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राsफला क्रिया:।। मनुस्मृति 3-56
अर्थात - जहाँ नारी का आदर होता है, वहाँ देवता रहते है जहाँ उनका आदर नही होता है, वहाँ सारे काम निष्फल होते है।
शोचयन्ति जामयो यत्र विनश्यत्याशु तम्कुलम्।
न शोययन्ति तु यत्रैता वर्द्धते तद्धि सर्वदा।। मनुस्मृति 3-57
अर्थात - जिस कुल में नारियों को कष्ट होता है, वह कुल शीघ्र ही नष्ट हो जाता है। जहाँ नारियाँ सुखी रहती है, वह कुल सदैव फलता फूलता है।
जामयो यानि गेहानि शन्त्य प्रति पूजिता:।
तानि कृत्याहतानीव विनश्यन्ति समन्तत:।। मनुस्मृति 3-58
अर्थात- उचित सुख और मान न पाकर जिस कुल को नारियाँ शाम देती है, वह कुल नष्ट हो जाता है।
मनुस्मृति की उपरोक्त श्लोक न सिर्फ हिन्दू धर्म में स्त्रियों की स्थिति को दर्शाते है बल्कि पुरूषो को भी इस प्रकार के कृत्य करने का निर्देश देते है कि नारियों के अपमान से देवता भी दूर हो जाते है। हिन्दू समाज में नारियों की पूजा सदैव रही है, मुगलो के अगमन के समय में मुगलो के अत्याचार के परिणाम स्वरूप हिन्दू धर्म में स्त्रियों के सम्बन्ध में कुरीतियो को समाना करना पड़ा, इसका कारण भी था, रानी पद्मावती स्त्रियॉं जो अपनी लाज की रक्षा करने के लिये जौहर कर सही और कुछ इस्लामिक कट्टरवाद की शिकार हुई इसका प्रभाव आज भी मुसिलम समाज में स्त्रियों की दशा देखने पर मिल जायेगा।
मेरी पंसद
वाह..नारी तेरी अजब हैं कहानी...
दूसरों को खुशी देकर तू खुश हो जाती...
कभी न खोई ममता तूने, कभी न देखा तूने स्वार्थ...
ममता की एक महान मूरत हैं तू...
इस दुनिया की एक सूरत है तू...
दुनिया तुझको शीश नमाती...
हर धर्म की पहचान हैं तू...
और हर घर की जान हैं तू...
"माँ" के इस उँचे पद पर आसीन है तू...
नारी बड़ी महान हैं तू...
नारी बड़ी महान हैं तू।
9 comments:
बेहद उम्दा रचना । आपने जो तर्क दिये है वह सबकी बोलती बन्द कर देगा।
स्त्रियों के लिए मनु के नियमः सृष्टिकर्ता ने स्त्री की सृष्टि करते समय उसमें जो विशेषता भर दी उसे जानते हुऐ पुरूष को उस पर नियंत्रण रखने का पूरा प्रयत्न कना चाहिए (IX/16)
स्त्रीयां सुंदरतता पर ध्यान नहीं देती, आयु पर ध्यान नहीं देतीं, पुरूश होना पर्याप्त है, वे स्वयं को सुदर या कुरूप को अर्पित कर देती हैं (IX/14)
स्त्री पति के साथ जुडी होती है और उसके पुत्रों को जन्म देती है-- इसलिए पति को अपनी पत्नी पर सावधानी से नजर रखनी चाहए ताकि संतान शुद्ध हो (IX/9)
उनकी (स्तियों) सृष्टि करते समय मनु ने उनकें अपनी शैया, अपनी पीठ पर अपने आभूषणों, अपवित्र इच्छाएं, क्रोध, बेईमानी, दुर्भावना, कदाचार भर दिए (IX/17)
तुमने हूर का जो पहचान बताई थी वह इतिहास कि किताबों में मुमताज के बारे में है, झूठे इन्सान इस्लाम में नारियों का किया स्थान हे वह मेरे Page Rank-3 ब्लाग से पढ 80 महिलाओ की बातें पुस्तक ''हमें खुदा कैसे मिला'' और ''इस्लाम में पर्दा और नारी की हैसियत'' और तुम बताओ किया है तुम्हारे धर्म में कभी मैंने बताया तो
और अगर मैंने शुरू किया मनु पुराण तो सारे ब्लाग छोड के भागते पाओगे इस लिए अब भी मान जाओ,,, नमुना देखो मनु का,,,यह खामखा नहीं हिन्दुस्तान के सबसे बडे पब्लिशर की छपी पुस्तक से है, नमूने से मान जाओ पूरी पुस्तक नेट में चढा दूंगा तो
ऐ नाम की महाशक्ति तुझ में कैरानवी के वाइरस तक को झेलने की शक्ति नहीं, सबने देखा, मनु ने स्त्रियों बारे में बहुत कुछ कहा है उपरोक्त तो नमूना है, चाणक्य ने शेष कमी पूरी करदी, अक्ल के दुशमन नारी का जिक्र करना था तो मनु का नहीं करना था, कर दिया तो भुगतो,
अरे बेटा 3 दूनी 5 आज तेरे नाम के चटके भी हम अवध गये बिना ही करवा रहे हैं, तुने तो डूबवादी लुटिया, नारी हैं (है) महान इसमें शंका नहीं, आज तो नर भी तेरा साथ छोड गये, चला था नारियों को बहलाने, अब तू पोस्ट ला नर हैं महान, मनु ने उनके बारे में खूब कहा, जानना चाहेगा? और एक बात इस महान ब्लागर ने हमारे कान में बताई कि इ पुस्तक नेट में है बहुत पहले डाली जा चुकी, जिनका सौभाग्य वह वहां बिना बताये ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, अगर बता दिया तो पब्लिशर हंगामा खडा करदेगा इस लिए वह नहीं बता रहा,
अवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया
वन्दे ईश्वरम
इ का हो गया, अरे कोई तो हमें बचाओ, जब हम झूठी बातें रखकर जीतते हैं तो सब वाह-वाह करते हैं, आज हमारे पर छाया पड गई तो कोई हमें हौसला देने तक नहीं आ रहा, धन्य हो
हाए मैं मर जाऊँ, दे ताली, कर्मजले कुछ हमारे पे भी बतादे किया लिखे तेरा मनु, कभी हमें भी लिख दे महान .... कहे तो दिखाऊँ...दे ताले में ताली... कोई इधर क्यूं ना आया, सौचा मैं देखूं कौन है महान, अब बता नाशपीटे जो ना आये वह हीजडे हैं कि मैं.. दे ताली
aisi pitai itihas men kabhi na huyi,
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