21 January 2010

न तुम उदास हो , ना तुम निराश हो



न तुम उदास हो ,
ना तुम निराश हो.
जीने की राह में
दोस्तों के साथ हो..

जीत में भी हार में भी,
प्यार में भी रार में भी.
मन को न निराश करो,
खुश दिल मिजाज़ बनो..

न तुम स्वयं के लिए जियो,
जियो तो कम से कम आपनो के लिए.
न कभी खुद निराश हो,
न कभी अपनों को निराश करो..

जिन्दगी तो God Gift है,
न जियो आप अपने लिए सही
जियो तो सही हमारे लिए,
हम भी तो आपके ही है..

5 comments:

MEDIA GURU said...

kyo bhai kuchh ho gaya hai kya.
जिन्दगी तो God Gift है,
न जियो आप अपने लिए सही
जियो तो सही हमारे लिए,
हम भी तो आपके ही है..
isse to yahi lag raha hai.
foto sahi lagaye.to achha hai..........

राज भाटिय़ा said...

रचना सुंदर लगी, लेकिन चित्र भारतिया संस्कर्ति के हिसाब से अच्छा नही लगा, लेकिन ब्लांगआप का है मजे ले

Udan Tashtari said...

प्रमेन्द्र!

Mithilesh dubey said...

बेहद खूबसूरत व उम्दा भाव दिखा आपकी इस रचना में, बहुत-बहुत बधाई आपको इस लाजवाब रचना के लिए।

राज भाटिय़ा said...

धन्यवाद भाई आप सब के लेख मेरे साथ साथ मेरे बच्चे भी देख लेते है इस लिये बोला था.
धन्यवाद