11 July 2008

वो बिछडा हमसफ़र ..बहुत हसीन था

दिल तडफता है न जाओ अभी छोड़कर
यह. मरता है तुम्ही पर अभी नादान है
बेजान रहा करता है...... जब तुम न हो
बस तुम्हे देखकर यह दिल धड़कता. है.

उदासियाँ रह जायेगी तुम चली जाओगी
बस परछाईयां रह जायेगी तेरी यादो की
दफ़न हो जावेगी दिल की तमाम चाह्ते
घर के आंगन में वीरानियाँ रह जायेगी.

गुलाब के माफिक मुरझा गए अरमान
बह गई है हसरते शराब के पैमानों से
जिंदगी का सफर कट ही जाएगा यारो
वो बिछडा हमसफ़र ..बहुत हसीन था

हमें कुछ इल्म नही जब से जुदा हुए
हमें कुछ ख़बर नही वह खुश या नही.
जब कभी सामने आ गए वो मेरे सनम
बारिश में मैंने चाँद का नजारा कर लिया.

4 comments:

नीरज गोस्वामी said...

बारिश में मैंने चाँद का नजारा कर लिया.
वाह...क्या बात है...बहुत खूब.
'नीरज

MEDIA GURU said...

kya bat hai. bahut kh00b

dpkraj said...

हमें कुछ इल्म नही जब से जुदा हुए
हमें कुछ ख़बर नही वह खुश या नही.
जब कभी सामने आ गए वो मेरे सनम
बारिश में मैंने चाँद का नजारा कर लिया.
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bahu badhiya panktiyan

Pramendra Pratap Singh said...

उम्‍दा रचना बधाई

बहुत अच्‍छा लगा आपकी कविता को पढ़ कर,

आज मुझे इस ब्‍लाग पर खुद ही दुविधा हो रही है कि कविता का कवि कौन है, शायद यह टेम्‍पलिट की दिक्‍कत है, मै समय मिलने पर इसे ठीक कर दूँगा।

असुविधा के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ।