रास्ते की ईंटो से ठोकर खाने वाले बहुत मिलेगे,
मगर इसे रास्ते से हटाने वाले दो चार ही मिलेगे,
कई ऐसे है जो ठोकर खाकर गिरते है,
पर वो भी पिछले ठोकर खाने वाले को,
गाली देकर आगे निकल देता है,
पिछलें कई घन्टो से यह क्रम चला आ रहा है,
आज इनको कई दिन बीत चुके है,
वह ईंट अपनी किस्मत पर इठला रहा है,
लगातार सब ठोकर दे कर वो हँसे जा रहा है।
11 comments:
ठोकर खाने के बाद भी सम्भलने की जुगत नही
बहुत सही लिखा है आपने
रास्ते पर पडे ईंट के माध्यम से सच्चाई बयां की है आपने .. लाख ठोकर लगे .. व्यवस्था को सुधारने की थोडी भी हिम्मत नहीं है हममें .. दूसरों पर ही दोषारोपण करते आ रहे हें हम।
thokar khane walo ki sankhya kyo adhika hai mere samajh me nahi aata..............ya to jaanbujhkar khate hai ya niyati hoti hai unaka thokar khana...........badhiya
बिलकुल सही अभिव्यक्ति आभार्
वाह कोई तो समझदर आये गा जो उस निकम्मी ईंट को उठा कर ओर लोगो को ठोकर खाने से बचायेगा. बहुत सुंदर.
धन्यवाद
बहुत सही!!
रास्ते की ईंटो से ठोकर खाने वाले बहुत मिलेगे,
मगर इसे रास्ते से हटाने वाले दो चार ही मिलेगे,
वाह ....क्या खूब कहा ....!!
sangeeta puri ji vyvastha ko sudharne me apni aham boomika hai. ham sudhar jaye to kya kam hai.
bahut sundar rachana mahashakti ji.
sangeeta puri ji vyvastha ko sudharne me apni aham boomika hai. ham sudhar jaye to kya kam hai.
bahut sundar rachana mahashakti ji.
Vah guru vah
वाह .. वाह... | बहुत अच्छा सन्देश दिया है |
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