02 July 2009

रास्‍ते की ईंट

रास्‍ते की ईंटो से ठोकर खाने वाले बहुत मिलेगे,
मगर इसे रास्‍ते से हटाने वाले दो चार ही मिलेगे,
कई ऐसे है जो ठोकर खाकर गिरते है,
पर वो भी पिछले ठोकर खाने वाले को,
गाली देकर आगे निकल देता है,
पिछलें कई घन्‍टो से यह क्रम चला आ रहा है,
आज इनको कई दिन बीत चुके है,
वह ईंट अपनी किस्‍मत पर इठला रहा है,
लगातार सब ठोकर दे कर वो हँसे जा रहा है।

11 comments:

M Verma said...

ठोकर खाने के बाद भी सम्भलने की जुगत नही
बहुत सही लिखा है आपने

संगीता पुरी said...

रास्‍ते पर पडे ईंट के माध्‍यम से सच्‍चाई बयां की है आपने .. लाख ठोकर लगे .. व्‍यवस्‍था को सुधारने की थोडी भी हिम्‍मत नहीं है हममें .. दूसरों पर ही दोषारोपण करते आ रहे हें हम।

ओम आर्य said...

thokar khane walo ki sankhya kyo adhika hai mere samajh me nahi aata..............ya to jaanbujhkar khate hai ya niyati hoti hai unaka thokar khana...........badhiya

निर्मला कपिला said...

बिलकुल सही अभिव्यक्ति आभार्

राज भाटिय़ा said...

वाह कोई तो समझदर आये गा जो उस निकम्मी ईंट को उठा कर ओर लोगो को ठोकर खाने से बचायेगा. बहुत सुंदर.
धन्यवाद

Udan Tashtari said...

बहुत सही!!

हरकीरत ' हीर' said...

रास्‍ते की ईंटो से ठोकर खाने वाले बहुत मिलेगे,
मगर इसे रास्‍ते से हटाने वाले दो चार ही मिलेगे,

वाह ....क्या खूब कहा ....!!

MEDIA GURU said...

sangeeta puri ji vyvastha ko sudharne me apni aham boomika hai. ham sudhar jaye to kya kam hai.
bahut sundar rachana mahashakti ji.

MEDIA GURU said...

sangeeta puri ji vyvastha ko sudharne me apni aham boomika hai. ham sudhar jaye to kya kam hai.
bahut sundar rachana mahashakti ji.

बाल भवन जबलपुर said...

Vah guru vah

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

वाह .. वाह... | बहुत अच्छा सन्देश दिया है |