अभी अभी एक सज्जन के ब्लाग पर "क्या गैर मुस्लिम औरतों को मुस्लिम मर्द भाते हैं ?" सर्वेक्षण पढ़ कर आया था किन्तु उसके तुरंत बाद मुझे भी हमदर्द कालेज ने एक और सवेक्षण मुझे भी बता कर किया था कि मुस्लिमो मर्दो की फितरत है हराम के माल पर मुँह मारने की, मुस्लिम चुकि मुस्लिमों अधिक कन्या भ्रूण हत्या के कारण उन्हे अपने धर्म में चार नही मिल पाती तो बाकि धर्मो में मुँह मारते फिरते है, जैसे समाज में ये धर्म सिर्फ सेक्स करने लिये ही आया। पता नही सेक्स के लिये यह धर्म कितना नीचे गिरेगा ? ये धर्म शक्शियत को छोड़कर सेक्सियत की और उन्मुख हो रहा है यही कारण है कि सबसे ज्यादा मुस्लिम ही सेक्सुवल बीमारियो से ग्रसित है।
मुस्लिम सम्प्रदाय को चाहिये कि वह समाज की मुख्यधारा से जुडे और समाजिक परिवेश को माने। कोई बुरा नही कि मुस्लिम हिन्दू या किसी अन्यधर्मावलम्बी लड़की से शादी करे किन्तु आपत्ति तब भी नही होनी चाहिये जब कोई हिन्दू पुरूष किसी मुस्लिम लड़की से शादी करे।
21 comments:
बिल्कुल सच कह रहे हैं , अब देखिये ना सदियों से यहाँ का माल मुफ्त में उडाने के बाद भी अरबी विचारधारा की शुद्धता के गुण अब भी गाये जा रहे हैं जैसे कि भारतीय आबोहवा में जन्मा इस्लाम इनके लिए मायने ही नहीं रखता | लानत ऐसे हरामखोरों पर |
|| " सत्यमेव जयते " ||
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मुस्लिम बिल्कुल जहिल है, बच्चे ऐसा पैदा कर रहे है जैसे यूरिया खा कर पैदा कर रहे हो। घर में खाने के लाले पड़े रहते है पर, इन धमसाकाटो के घर बीवी 4 और बच्चे पचासो मिलेगे, जाहिलो को कन्डोम तक युज करना नही आता।
सम्भलिए और सम्भालिए। क्या बेचारगी इतनी बढ़ चुकी है के आपको भी यह सब लिखना पड़ रहा है ? यदि हाँ तो ये ब्लागजगत का दुखद दौर है।
इसका सबसे बडा प्रमाण ये है कि इन मियाँ लोगों ने एक "मस्जिद-ए-हराम" भी बना रखी है :)
हराम का मॉल कौन खा रहा है यह तो सबको पता है, जो संघ विचार अंग्रेज़ों का साथ देता था (क्यूँ कि हकीक़तन मुस्लिम समाज ही था जो अंग्रेज़ों से कड़ी टक्कर दे रहा था, संघ के लोग तो क्रांतिकारियों की मुखबिरी में लगे हुए थे) पहले भी हज़ार साल से ज़्यादा भारत पर एकक्षत्र हुकुमत की (अगर हराम ही खा रहे होते तो एक भी हिन्दू बल्कि एक भी हिन्दू यहाँ नहीं बचता). उस वक़्त भी मुस्लिम शासकों की निर्मलता की छाया ही थी जिसके तले तुलसी दास जैसे लोग भी बड़ी आज़ादी से अपना काम कर गए.
मैं इस तरह टिपण्णी से दूर ही रहता हूँ मगर मजबूर हूँ, और मजबूर तुम लोग कर रहे हो
मैं जो भी कुछ लिखता हूँ वह डंके की चोट पे लिखता हूँ और सबसे बड़ी बात कि साक्ष्यों के साथ लिखता हूँ, लेकिन तुम सब कट्टरता की अंधी आग में झुलस कर लिखते हो, मैं लिखता हूँ "एकम् ब्रह्मा, द्वितियो नास्ति..." तो तुम कहते हो नहीं, अभी तो ईश्वर की खोज ही जारी है...
अरे जाकर, अपनी मान्य पुस्तकों को पढो और जानो कि हज़रत मुहम्मद (सअव) का जिक्र वेदों में पुराणों में, यहाँ तक कि बौद्ध धर्म में, जैन धर्म में, पारसी धर्म में, यहाँ तक कि तुलसी रचित राम चरित मानस में भी हज़रत मुहम्मद (सअव) का जिक्र है.
एक तरफ तुम कहते हो कि हम पुरानी चीज़ों और परम्पराओं को पीछे छोड़ रहे है और समय से कन्धा मिला कर (वस्तुतः पश्चिम का अन्धानुकरण कर) चल रहें है क्यूंकि आधुनिक होना और समय के साथ चलना ही सही है, पुरानी बातें अब मान्य नहीं है. तो दूसरी तरफ़ अपने अतीत पर गर्व भी करते हो. ये कैसी दोहरी मानसिकता? ये दो बातें एक साथ कैसे संभव है???
मुझे जवाब चाहिए कि क्या ब्लॉग को इसी तरह साम्प्रदायिकता की अंधी आग में तुम सब झुलसाते रहोगे या सभी को एक छत के नीचे लाने की तरफ़ भी रुज़ुं होगे? मैंने लिखा कि मुस्लिम के मुकाबले हिन्दू ज़्यादा असहिष्णु होते है (अपने अनुभव के हिसाब से लिखा) और यह पोस्ट या इसी तरह की तमाम पोस्ट्स भी मेरे इस तथ्य पर अब धीरे धीरे खरी उतरती जा रही है ! तुम हमारे ब्लॉग पर गालियाँ दे आते हो और हम साक्ष्यों के साथ तथ्यपरक बातें बता-बता कर तुम्हें समझाते हैं लेकिन तुम लोग हो कि साम्प्रदायिकता की अंधी आग में तुम सब झुलसते ही जा रहे हो...?????????
मुझे जवाब चाहिए सिर्फ जुबान-दराज़ी नहीं!?
मित्र स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़
मेढ़क जब कुऐ में होता है तो कुऐ से बड़ा उसे कुछ दिखाई नही देता, जब तक वो कुऐं की बड़ाई करता है तब तक कुएं के अन्य मेढ़क भी उसका सर्मथन करते है किन्तु यदि मेढ़क ने जरा भी बाहर देखा और उसका वर्णन कर दिया उसकी गति तस्लीमा नस्रीन और सलमान रूश्दी जैसी होती है। आप उस कुऐ के अतिरिक्त कुछ भी नही कह सकते और न कुछ बात सकते है।
हजरत ईसा, हजरज मोहम्मद या हजरज हनुमान हमारे लिये विवाद का विषय नही हो सकते हमारे घरों में पिता अपनी अस्था थे अनुसार अपनी उपसना करते है पुत्र अपनी आस्था के अनुसार, आपके यहाँ सत्य पूर्ण विरामित है, हमारे यहाँ सत्य की खोज निन्तर जारी है। हम आज भी यह मानते है मनुष्य की पूर्णत में असीम सम्भावनाएँ है और आप अपने को पूर्ण मान चुके है।
'एकोऽहं द्वितीयो नास्ति' यह उक्ति हजारों वर्ष पुरानी होते हुये भी हमारे यहाँ अकल के दखल पर कभी प्रतिबंध नही है, हम आज भी यह मानते है कि न जाने किस रूप में नारायण मिल जायें। जहाँ तक हराम के माल पर मुँह मारने की बात है आपके इस टिप्पणी से लगता नही कि पढ़ है। आपने संघ को गाली दी है, हिन्दुओ को सम्प्रदायिक कहा है और इस बात पर इतनी बड़ी सफाई दे दी है चोर की दाड़ी में तिनका नज़र आ रहा है, जहाँ तक आम मुस्लमानो के हलात देखता हूँ वह रूला देने वाली है और ‘’कंकड़ पत्थर जोड़...’’ के न जाने कितनी ही इमारते रातो रात बन नही है क्यो हो रहा है यह शोध करने वाले ही जाने, लेख का उद्देश्य निहायत ही भाई चारे वाला है अब यह भाई चारे वाला है अब यह भाई चारा आपको दिखेगा कैसे कयोकि कुएं के बाहर की बात है कुऐ के अंदर की होती तो आपके नजरो मे भाई चारा होता। चश्मा जैसा होगा दिखेगा वैसे ही।
इस लेख से आपके मानसिक सन्तुलन खोने का एहसास हो रहा है सम्प्रदायिकता पर पर चर्चा फिर कभी करना उचित होगा।
महाशक्ति के अनुसार- कुत्ते में भी नारायण मिल सकते है और बलात्कारी में भी और सुवर में भी और टॉयलेट में भी
@Swach sandesh bhai jaan ! Mahashakti ji baat to sahi keh rahe hain....
....har mazhab main do duni chaar hota hai lekin aapke yaha to 2 duni 16 ya 20.......
Aur jahan tak kutte main bhi naraya mil sakte ki baat hai....
...shayad aapne 'Bahirav' ke baare main nahi suna 'angulimaal' apke balatkaari (ya dusht aatma) aur dweet aur adweet apki toilet ka answer hai....
....Anonymous main mbhi kahin na kahin 'Narayan hai'
Medhakoon ka pata nahi...
Wo shayad Mahashakti bhai hi samjha paaiyen....
(hahahaha)
ek acchi post aur maindhek comment ke liye badhai....
'Maha Shakti' bhai is (poorn Shakti
) naam mein mera visheshadhikaar hai..Aur agar ye koi chorta hai to main kya karoonga?
:(
@स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़ तुमने कहा कि ..............
हकीक़तन मुस्लिम समाज ही था जो अंग्रेज़ों से कड़ी टक्कर दे रहा था, संघ के लोग तो क्रांतिकारियों की मुखबिरी में लगे हुए थे) पहले भी हज़ार साल से ज़्यादा भारत पर एकक्षत्र हुकुमत की ,
अच्छा तो फिर वो समाज कौन सा है जिसको CRUSADER ११ वी शताब्दी अर्थात पिछले हजार सालों से लतियाये जा रहे हैं |
और एक पिद्दी इजराइल के सामने तो सारे मुस्लिम शिखंडी मुल्क मिलकर दंडवत ही कर रहे हैं आखिर वहां रहने वाले भी तो तुम्हारे ही बिरादर हैं |
अगर नहीं हैं तो देवबंद से फतवा जरी कराओ |
प्रिय भाई अनामी,
दरो मत अपना नाम भी बता दोगे तो हम कुछ नहीं करेंगे, जिसको नारायण ने जितनी समझ दी वो उतना ही समझेगा.
रही बात नारायण की उपस्थिति की तो वो तो मुझमे आपमें, बलात्कारी, पेड़ पशु सब में हैं, मोहम्मद साहब में और अल्लाह में भी और ये सब भी नारायण में ही समाहित हैं, इसलिए जब नारायण में अल्लाह और मोहम्मद साहिब हैं तो वो वे वहां भी होंगे जहाँ तक आपकी सोच जाती है, उम्मीद है आप अल्लाह को वहां पाकर भड़केंगे नहीं.
खुदा हाफिज़
अरे क्यो लडाई का आखडा बना रहे हो, भगवान अल्लहा सब एक ही है,क्यो ऎसी वेशी बाते लिख कर अपने आप को दोषी ओर गुनागार बना रहे हो, भाई मै न सब बातो से दुर रहना चाहता हुं, लेकिन सोचा तुम लोगो को समझा दे शायद कुछ समझ मै आ जाये.... अब छोडो इन झगडो को .
धन्यवाद
@ Varun Kumar Jaiswal भाई जी
आप बिल्कुल सत्य कह रहे है।
यदि मुस्लिम समाज को हिन्दुओं से लड़की लेने मैं कोई परहेज नहीं तो फिर हिन्दुओं को अपनी लड़की देने मैं क्यों आपत्ति ?
Taj shivmandir tha, kutubminar lingmandir tha, woh aisa tha, hum waise the,muslim urea kha ke bacche paida kar rahe hain, hum poison pi pi ke choohe paida kar rahein hain,hindu ladkioyon ko musalmano ka kata hua pasand aa raha hai--Abe frusty chootiyon ki nasl walo tum sab masalmano ke peechhe hath gande kar ke kyon pade ho,tum musalmano ke bachche chhod ke jara apne dehati area mein jakar dekho, jahan pandit se lekar bhangi chamar tak 10-10 choohe paida kar rahe hain,Abhi musalman bina kisi sarkari madad ke apne haal mein mast hain, jis din apna haq lene jaag udhega sabki phat jayegi-don
JIS TARAHA PACHO UNGLIYA SAMAN NAHI RAHTI HAI USI TARAHA SABHI KISI BHI DHARM K SAHI LOG EK SAMAN NAHI HOTE HAI. NA HI BURAI SIRF MUSLIM MAI HOTI HAI USI TARAHA SARI ACCHAI HINDU O MAI NAHI HAOTI HAI
musalmaano ki buraai karna ek fashion ho gaya hai, koi bhi samachaar uthaya aur lage zahar ugalne, darasal yeh ek frustation se zyada kuchh nahee, kabhi munh kholne se pahle apne andar ki gandagi bhi dekh liya kare'n , kahte hain 10-10 bachche paida kar rahe hain, haqeeqat jaan lo-main jahan senior medical officer ki post par hun wahan poori tehsil aur uski 44 panchayton mein ku 80 pariwaar musalmaano ke hain, jinke bachcho ka average 2.2 hai, jabki hinduo ke 63% pariwaaron mein 5 se adhik bachche hain, ab zara haram wali baat bhi sunlo, yahan 27% preadult hindoo girls mein premarital sex ki aadat hai, jabki 42% hindoo pariwaron mein post merital sexual corruption hai, pariwaar ke jawaan bete roji roti kamaane surat, bombay mein hain ,sirf jawan ladkiyan aur old men yahan hain, har mahine lagbhag 80 mahilayen abortion ki salah lene aati hain, yahan chemist ki main kamaai sildenafil tablets aur abortion pills hai. yahan hindoo pariwaar itne gande rahte hain ki personnel hygeine naam ki koi cheeze nahee,poore desh mein agar musalmaano ki population rate zyada hai to iski zimmedaari sakaar ki hai, jisne unki education aur employment ke liye kuchh nahee kiya, adhiktar musalmaan chhote-chhote kaam dhande se apna guzaraa karte hain,kyonki padne ke baad bhi naukri ke koi chaance nahee, so apradh karna bhi ek profession hai, jiski poori zimmedaari sarkaaron ki hai.--dr khan-dr.khan.udr@gmail.com
Jab Kanhaiya 16108 Biwi kar sakte hain to Hum Char Kyon Nahin
wah bhai kya khoob feet utari hai in firka parasto ki
in jaise chand logo ne poore mulk ka jeevan tabah kar rakha hai
lagta hai apki beti ya bahan ko kisi muslim ladke se pyar ho gaya h
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