05 March 2010

अब तक सुमनों पर चलते थे....(एक प्रेरणादायी गीत)

राष्ट्रसेवा के व्रती लोगों को राष्ट्र के लिए तिल तिल कर अपने आप को मिटा देने की प्रेरणा देने वाला एक संग्रहणीय गीत....

अब तक सुमनों पर चलते थे, अब कांटों पर चलना सीखें .

खङा हुआ है अटल हिमालय, दृढता का नित पाठ पढाता..

बहो निरंतर ध्येय सिंधु तक,सरिता का जल कण बतलाता.

अपने दृढ निश्चय से ,सबकी बाधांओं को ढहना सीखें…1

अपनी रक्षा आप करें जो ,देता उसका साथ विधाता .

अन्यों पर अवलंबित है जो, पग पग पर है ठोकर खाता..

जीवन का सिध्दांत अमर है, उस पर है हम चलना सीखें …2

हममें चपला सी चंचलता,हममें मेघों का गर्जन है.

हममें पूर्ण चंद्रमा –चुंबी,सिंधु तरंगों का नर्तन है..

सागर से गंभीर बने हम,पवन समान मचलना सीखें…3

उठें उठें अब अंधकार मय,जीवन पथ आलोकित कर दें..

निबिङ निशा के गहन तिमिर को ,मिटा आज जग ज्योतित कर दे..

तिल –तिल कर अस्तित्व मिटा दें दीप शिखा सम जलना सीखें....4



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