06 January 2008

क्या यही अहिंसा है

आज जिस गान्धी को अहिंसा का पुजारी ओर राष्‍ट्रपिता कहा जाता है और जो कांग्रेसी ऐसा कहते है मैं उन लोगों से पूछ्ता हूं कि उसी गान्धी की मौत के बाद उनकी आदर्श अहिंसा कहां गयी थी जब कितने हि बेकसूर संघ के कार्यकर्ताओं को एक बन्द कमरे मैं ज़िन्दा ज़ला दिया गया क्या कसूर था उन लोगों का केवल इतना कि उन्होंने अहिंसा क तथाकथित चोला नहीं ओड़ रखा था, और पूछना चाहता हूँ कि क्या स्वतन्त्रता गान्धी ने दिलवा दी थी या फ़िर उसकी तथाकथित अहिंसा ने ! अगर अहिंसा के बल पर हम अंग्रेजों को जो हमारे ऊपर पहले से ही राज कर रहे थे भगा सकते थे तो फ़िर आज़ादी के बाद सेना की आवश्यकता क्यों ? ज़ो पहले से ही घुसा हुआ है उसे हम भगा सकते हैं तो फ़िर तो ऐसी अहिंसा के होते हुए सेना की क्या जरूरत? अगर कोइ फ़िर भी आंख उठा कर देखे तो इन अहिंसा के पुजारियों को आगे आना चाहिये अहिंसा को लेकर...

परन्तु ये तो अहिंसा के नाम पर अपनी भारत को भी बेच दैंगे तब फ़िर आगे तो नेताजी और भगत सिंह जैसे लोगों को ही सीमा पर अपनी भारत मां की लाज़ बचाते हुए मरते देखा है ! ये पद्लोलुप अहिंस के पुजारी तो अपने स्वार्थ के लिये किस हद तक गिर सक्ते हैं इसकी कल्पना भी करना मुश्किल है ! जो अपने देश के वीर सपूत नेताजी और भगत सिंह के साथ एक आतंकवादी जैसा व्यवहार करवाते हैं और अफ़ज़ल को अपना दामाद बना कर उसकी मदद करते हैं ! ऐसे अहिंसा के पुजारी कांग्रेसियों को पैदा करके तो भारत मां भी रोती होगी, किन्तु अभी नेताजी भी हमारे दिल मैं हैं और हम उनके मंसूबों को सफ़ल नहीं होने दैंगे
जय हिन्‍द

15 comments:

Anonymous said...

जय हिन्द!!

Anonymous said...

भारत माता की जय,

आपकी बात में दम है,

Pramendra Pratap Singh said...

नेता जी आपका हार्दिक स्‍वागत है, आपने इस पृष्‍ट पर पहले लेख में काफी गम्‍भीर बात कहीं, जो चिन्‍तन करने योग्‍य है।
आज के दौर में गांधी को पूजा जाता है कि उनके विचारों को हासिये पर रख देते है, यह कैसा गांधी वाद है ?

संजीव कुमार सिन्‍हा said...

गांधीजी ने तो संघ की प्रशंसा की थी। और संघ भी गांधीजी के विचारों को साकार करने के लिए अथक परिश्रम कर रहा है। दरअसल मठाधीश गांधीवादी, गांधीजी के विचारों की ऐसी-तैसी कर देश को गर्त में ले जा रहे है।

संजय बेंगाणी said...

भारत की आजादी में कई लोगो का और कई घटनाओं का योगदान रहा है, किसी एक को श्रेय देना गलत है. बाकी गाँधीजी भी अपने गाँधीवादी ठेकेदारो पर रोते होंगे.

netaji said...

भाइ मै ी इससे सह्मत हू कई लोगों क योगदान रहा किन्तु और सब्को भुला कर चारों तरफ़ गान्धी को बिथ देन कहा तक उचित है / क्योन भोल्ल गये है हम नेताजी को ? क्या गान्धी भि यही नहीं चाहता था?

Anonymous said...

what d hell is this????? नेताजी पहले आप अपने विचार को सही तरह से मुल्यांकन करें. आप गॉधीजी के खिलाफ है या उनके अहिंसा के खिलाफ है या काग्रेसीयों के खिलाफ हैं. अगर आप गॉधीजी और उनके अहिंसा के खिलाफ हैं तो, मै आपसे यही कहुँगा की, पहले गॉधीजी और उनके अहिंसा को जाने फिर उस पर अपने विचार दें.

netaji said...

mr ashutosh
what the hell is ahinsa accordin to ur gandhi and u?
ya
i m against of all these three that is gandhi-nehru' congress

Anonymous said...

नेताजी जो आप खुली हवा मे सॉस ले रहे है ना, ये गॉधीजी की ही देन है. और आप हिसॉ की बात करते हैं तो मै आपको बता दुँ की अगर हिसॉ से ही आजादी मिलनी होती तो सन १८५७ मे ही मंगल पान्डे की क्रान्ती से आजादी मिल गई होती. और मै आपको एक बात और बता दुँ, पुरी दुनिया मे १९७ देश है, वो देश शायद हमारे भारतवर्ष को नही जानते होगें, पर महात्मा गॉधी को पुरी १९७ देश जानता है, सिर्फ उनकी आहिसॉ के लिये. आप सुभाषचन्द्र बोस की बात करें तो आपकी जानकारी के लिये बता दुँ, सुभाषचन्द्र बोस भी कभी गॉधीजी के आहिसॉ के खिलाफ नही गये थे. अगर आप हिसॉ पर विश्वास रखते है तो ये जान ले की हिसॉ के बाद दुख ही दुख मिलता है. जीत की खुशी कोई मायने नही रखती है. अगर आप और विवाद करना चाहते है तो मेरा मोबाईल नम्बर है ९९००६८२५१६, और ई-मेल का पता है - aashuman@gmail.com

netaji said...

ahinasa ka viridh na netaji ne kiye na hi main karata hoon, kintu main gandhi aur congress ki ahinsa ka viodh karata hoon jo aninsa ka chola odd ke desh ke senananiyonke sath bharat ma kjo bhi becg dainge
my email id is netaji.agarwal@gmail.com
mobile number bhi mil jayega ..

netaji said...

aur tum kahan kya chahate ho aazadi hum khuli hawa main sans le rahe gandee ke vajah se? how can u say that.matalab netaji,chandrashekhar,bhagat singh kya aatankwadi the?
unaki kurbani bekar thi
main to kahoonga aaj hum thoda bahut khush hain to godse ke vajah se

Pramendra Pratap Singh said...

गांधी जी एक भलमानुष थे किन्‍तु नेहरू परिवार के प्रति उनकी करीबी ने उन्‍हे बन मानुष बना दिया। अगर कोई व्‍यक्ति अंहकारी हो जाता है तो निश्चित रूप से उसके साख पर बट्टा लगता है। गांधी जी ने अपने खास को बट्टा लगाने का काम खुद किया है।

मै कताई नही मानता हूँ कि आजादी गांधी की देन है, आजादी लाखों-करोड़ो भारतीयों के संघर्ष की देन है, साबरमती का संत केवल कमाल ही किया किन्‍तु कोई अपनी जिन्‍दगी में कोई ढ़ग का काम नही किया। आज गांधी सिर्फ इसलिये गांधी है क्‍योकि इन्‍हे इतना महत्‍व दिया गया, और महत्‍व इसलिये दिया गया कि नेहरू गांधी की ऑंच पर अपनी राजनीतिक रोटी सेक सके।

गांधी जी महान थे किन्‍तु उनके चाटुकारों ने उनका नाम खराब किया, यही कारण है कि आज लोग गांधी जी को दोष देते है।

Anonymous said...

मैने ये नही कहा की सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिह, चन्द्रशेखर ऑतकवादी थे. उनको भी वही सम्मान प्राप्त है जो गॉधी जी को है. सबकी मन्जिल एक ही थी.
वैसे आपने कहा है की आप गॉधीजी के आहिसॉ का विरोध करते है, कृप्या आप बतायेगें आप जानते क्या है, गॉधीजी के आहिसॉ के बारे में. और जहॉ तक कॉग्रेस की बात है....आप जो भी कहे कोई फर्क नही पडता है.
गॉधीजी को अगर जानना है तो, सन १९४७ से पहले अपने देश का क्या हाल था उस पर जरा गौर किजियेगा. हॉ आज के सर्न्दभ मे गॉधीजी एकदम सही नही है....पर १९४७ के पहले गॉधीजी बिल्कुल सही थे.
और नेताजी माफी मॉगते हुये आपसे कहना चाहुगॉ की " अगर आप गोड्से को अपना IDLE मानते है तो मुझे आप की मानसिकता पर हँसी आती है" हत्यारा हमेशा हत्यारा ही रहता है. चाहे उसने हत्या एक पापी की की हो या किसी सज्जन की.....अब आप ये मत कहना की आपको अपने देश के संविधान पर भी भरोसा नही है.

Anonymous said...

महाशक्ति जी आपने बिल्कुल सही कहा की " आजादी लाखों और करोडों लोगों के संघर्ष की देन है". पर ये लाखों और करोड लोग गॉधीजी के पहले क्यों नही एक जुट हो पाये.
गॉधीजी ने लाखों और करोडो लोगो मे अपने लिये विश्वास जगाया, लोगो को लगा की एक सिर्फ एक धोती मे घुमने वाला ये मामुली इन्सान ही उनको आजादी दिला सकता है, और इसी लिये लाखों और करोडॉं लोग गॉधीजी के साथ हो लिये और हमे आजादी मिली.
और आपने कहा है की, "साबरमती का संत केवल कमाल ही किया किन्‍तु कोई अपनी जिन्‍दगी में कोई ढ़ग का काम नही किया". मै आपसे बस इतना कहुँगा की किसी आदमी के पिछे ३३ करोड जनता दिवानी है, बिना हथियार उठाये उसके पिछे हो लेती है.....इतने लोगो को एकमत करके आजादी के लिये आगे लाने से बडा काम क्या हो सकता है. और आप ही ने कहा है की "आजादी लाखों और करोडों लोगों के संघर्ष की देन है".

BlogMaster said...

gandhi ji ek mahan aadmi the per kuch logo ne unki mahanata ki ka galat fayada uthaya, yahi karan hai ki aaj un logo ke karan gandhi ji ko galat kaha jata hai.

gandhi ek mantra hai jise bhulaya nahi ja sakata hai par galat mantra kahane se hani bhi hoti hai. aaj jarorat hai ki gandhi ka samman ho kintu bhagat, shubhash aur savarkar ka aatank vadi n kaha jaye.